मेरठ का हस्तिनापुर आजकल बर्ड वॉचर्स के लिए बड़ा तोहफा लेकर आया है. ये तोहफा सात समंदर पार से आया है. जी हां सात समंदर पार से आये प्रवासी पक्षियों से गुलजार है. हस्तिनापुर का वेटलैंड. बर्ड्स को देखने के लिए क्या बच्चे क्या बड़े सभी उमड़ रहे हैं.
भीकुण्ड वैटलैंड पर आज बर्ड वॉचिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन को देखने के लिए बर्ड लवर्स का रेला उमड़ पड़ा. बर्ड लवर्स चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर उन्हें देखकर इतने प्रफुल्लित हुए कि वो नारा लगाने लगे. हम सबने ये ठाना है चिडि़यों को बचाना है.
भीकुण्ड वेटलैंड में बर्ड वॉचिंग के दौरान विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखे गए. जिनमें मुख्य रूप से बार हैडिड गीस, ग्रे लैग्ड गीस, सारस क्रेन, लिटिल कोरमोरेंट, कोमन कोट्स आदि प्रजातियां देखी गईं. वैटलैंड क्षेत्र में पायी जाने वाली प्रजातियों के चित्र और स्लोग्न भी प्रदर्शित किये गये.
मेरठ के साथ पांच जिलों को छूती 2073 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली हस्तिनापुर सैंक्चुअरी में भरपूर जैव विविधता है. वन्य जीव अभ्यारण्य में जहां दस से ज्यादा तेंदुए, सैकड़ों की संख्या में बाहरसिंहा व चीतल समेत चार प्रकार के हिरन, लंगूर, लोमड़ी, जंगली सुअर, और नीलगाय बड़ी संख्या में हैं, वहीं गंगा नदी में बिजनौर से हस्तिनापुर होते हुए नरौरा तक घड़ियालों की बड़ी तादाद है. मगर ठंड के समय में विदेशी पक्षियों का यहां खास आकर्षण रहता है.
आनेवाले समय में यहां डाल्फिन की उछलकूद देखने के लिए मखदूमपुर, सिरजेपुर, कुंडा एवं खरखाली के रूप में चार केंद्र चिन्हित किए गए हैं. इसे विकसित किया जा रहा है. यहां कछुओं की चार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. कछुओं के पुनर्वास पर शोध हो रहा है, वहीं भविष्य में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर एवं सेजय वन में प्रस्तावित मिनी चिड़ियाघर भी इको टूरिज्म से जुड़ेगा.
डीएफओ राजेश कुमार ने न्यूज़ 18 से खास बातचीत में बताया कि सभी को आद्र भूमि के बारे में बताया गया. उन्होंने बताया कि तीन सौ से ज्यादा स्पेशीज़ अलग अलग टाइम में यहां रहती हैं. माइग्रेशन कर आई चिड़ियों की चहचहाहट देखकर सभी प्रफुल्लित होते हैं.
हस्तिनापुर यकीनन प्राकृतिक रुप से बहुत समृद्ध है. यहां की सुन्दरता में चार चांद लगाने के लिए अब विदेशी पक्षी भी यहां डेरा डाले हुए हैं. अगर वेटलैण्ड सुरक्षित रहेगा तभी हमारी विविधता बरकरार रह पाएगी. बर्ड लवर्स ने आज चिड़ियों को बचाने का भी संकल्प लिया. यहां आए बच्चों ने खास तौर से कहा कि अब वो भी अपनी प्यारी गोरैया को बचाने के लिए अपना कर्तव्य निभाएंगे. वाकई में कुदरत के खजाने में हमारे लिए सबकुछ है बस उसे सहेजने की जरूरत है.
घर में रखी ज्वेलरी पैसों की जरूरत पड़ने पर करेगी प्रॉब्लम को दूर
वुडन फ्लोर बैडमिंटन खेलेंगे खिलाड़ी, 20 लाख रुपये की लागत से तैयार होगा फ्लोर
गुमला में दिनदहाड़े नाबालिग को अगवा कर दुष्कर्म का प्रयास, 3 आरोपी गिरफ्तार
लिट्टिया मिठाई की खाड़ी देशों में डिमांड, शुद्ध छेना के चलते अनोखा है स्वाद
RPF और GRP में क्या होता है अंतर, दोनों में है कंफ्यूजन तो पढ़ें डिटेल