रामपुर विधानसभा सीट से 10 बार विधायक और कई बार मंत्री बने आजम रामपुर लोकसभा से सांसद भी रहे हैं. कांग्रेस के शासनकाल में आपातकाल के विरोध में तमाम छोटे-बड़े नेताओं के साथ आजम खां भी जेल में रहे. लंबे राजनीतिक संघर्ष के बाद उनका कद काफी बड़ा हो गया. वह समाजवादी पार्टी के चुनिंदा संस्थापकों में भी शामिल थे.
आजम खां को रामपुर की राजनीति में अलग ही मुकाम हासिल है. उनके इस सफर की शुरुआत 1974 से शुरू हुई थी. उस समय वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे. उसी समय आपातकाल लगा और उनके कांग्रेस विरोधी रवैये के कारण उन्हें भी जेल भेज दिया गया. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विवि से कानून की डिग्री हासिल की.
आपातकाल में ज्यादातर नेताओं को राजनीतिक कैदी का दर्जा देकर जेल में अच्छे ढंग से रखा जाता था. इसके उलट आजम उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें पांच गुणा आठ फीट की कोठरी में डाल दिया गया था. इस कोठरी में रोशनी तक नहीं होती थी. बाद में छात्र नेता होने के नाते उन्हें जेल में बी क्लास सुविधा मिलने लगी. उनके बेटे अब्दुल्ला आजम रामपुर के स्वार से विधायक हैं.
आजम के करीबी आसिम रजा को सपा ने उपचुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया. वह मुख्य चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं. विधानसभा चुनाव 2022 के बाद रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में आसिम रजा को सपा ने उम्मीदवार बनाया था. उस समय बीजेपी के घनश्याम लोधी ने उन्हें शिकस्त दे दी थी. बताया जाता है कि उस समय आजम खां की पत्नी तंजीम फातिमा को चुनाव लड़ाने की बात चल रही थी. हालांकि, बाद में आजम के करीबी आसिम रजा को टिकट दिया गया.
रामपुर के कद्दावर नेता आजम को बीजेपी नेता आकाश सक्सेना 'हनी' ने चुनौती दी. उन्होंने आजम के खिलाफ एक के बाद एक कई आरोपों में मामले दर्ज कराए. नतीजतन आजम खां को जेल भी जाना पड़ा. आकाश सक्सेना रामपुर के वरिष्ठ नेता शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. (फोटो साभार: Instagram/akashsaxenarampur)
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