इस बार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बीच नजरें उत्तर प्रदेश और पंजाब पर अधिक रहीं. उत्तराखंड में तो हर पांच साल की तरह इस बार भी बदलाव की उम्मीद की जा रही थी. बदलाव हुआ तो यह कि भाजपा लगातार दूसरी बार आ गई. गोवा के गणित का कुछ ठिकाना नहीं रहता. वहां भी अंकों का खेल भाजपा के ही पक्ष में हो गया. कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों से निकलकर मणिपुर का भाजपा के हाथ आना पहले से ही मायने रखने लगा है. वहां पिछली बार ही क्षेत्रीय दल एनपीपी के सहयोग से भाजपा नेता और फुटबॉलर रहे एन. बीरेन सिंह ने राजनीतिक खेल की बाजी भी अपने नाम कर ली थी. इस बार भी वह जीत चुके हैं और यह टिप्पणी लिखे जाने तक भाजपा बहुमत की ओर थी.
उक्त तथ्यों के बीच एक सामान्य वाक्य कहा जाए तो यह है कि इन चुनावों में भाजपा का बुलडोजर चल गया. बुलडोजर तो बाबा, यानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चर्चित हुआ. पूरे चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी यह कहती रही कि दोबारा सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश में माफिया की अवैध सम्पत्ति पर बुलडोजर चलना जारी रहेगा. बहरहाल, मतगणना के दिन देर सायं तक साफ हो चला कि पंजाब को छोड़ अन्य चारों राज्यों में भाजपा ने विपक्ष के मंसूबों पर बुलडोजर चला दिया है.
उत्तराखंड में तो मुख्यमंत्री को ही पराजय का मुंह देखना पड़ा. हां, भाजपा के आगे विपक्ष के सारे धुरंधर धराशायी हो गए. जहां भाजपा नहीं आ सकी, पहली बार शिरोमणि अकाली दल के अलग रहने पर पंजाब में भी भाजपा के पहले से बेहतर प्रदर्शन के संकेत हैं. सच यह है कि इन राज्यों में खासकर उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम पूरे देश की राजनीति पर असर डाला करते हैं. साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी ये परिणाम भाजपा और मोदी की राह आसान करेंगे.
इस हार के बीच विपक्ष की एकता पर भी सवाल उठेंगे. कमजोर कांग्रेस आज भी क्षेत्रीय दलों के मुकाबले राष्ट्रीय होने का दम भरती रहेगी. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में वह किसी अन्य का नेतृत्व नहीं मानेगी. दूसरी ओर ममता बनर्जी के साथ अब अरविंद केजरीवाल भी दावा ठोकेंगे. तेलगांना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की महत्वाकांक्षा भी दिखने लगी है. इस माहौल में भाजपा और मोदी की राह में फिलहाल कोई बाधा नहीं दिखती. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने माफिया की सम्पत्ति पर बुलडोजर चलाया, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी शैली में विपक्ष के मंसूबों पर बुलडोजर चला दिया है.
हिन्दी पत्रकारिता में 35 वर्ष से अधिक समय से जुड़ाव। नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित गांधी के विचारों पर पुस्तक ‘गांधी के फिनिक्स के सम्पादक’ और हिन्दी बुक सेंटर से आई ‘शिवपुरी से श्वालबाख’ के लेखक. पाक्षिक पत्रिका यथावत के समन्वय सम्पादक रहे. फिलहाल बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से जुड़े हैं.
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