OPINION : आइफा अवार्ड 2020 से कैसे होगा मध्य प्रदेश के अंतिम नागरिक का उद्धार?

आईफा 2020 (IIFA 2020) को लेकर सीएम ने ब्लॉग लिखकर बताया कि इस आयोजन से प्रदेश के आदिवासी समाज और आखिरी नागरिक को फायदा मिलेगा जबकि दोनों से ही इसका सीधा सरोकार नहीं है

Source: News18Hindi Last updated on: February 5, 2020, 7:18 pm IST
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OPINION : आइफा अवार्ड 2020 से कैसे होगा मध्य प्रदेश के अंतिम नागरिक का उद्धार?
पर्यटन मंत्रालय ने फिल्म निर्माता-निर्देशकों को दिया एमपी आने का न्यौता (फाइल फोटो)
भोपाल. 'एमपी अजब है सबसे गजब है' शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) की सरकार में यह गाना मध्य प्रदेश में पर्यटन (Tourism) बढ़ाने के लिए टीवी स्क्रीन पर दिल से बजा. इससे कितना पर्यटन बढ़ा यह तो वही जानें, लेकिन 'वक्त है बदलाव का' के नारे के साथ सत्ता पर विराजमान मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) ने अब मध्य प्रदेश में आइफा अवार्ड 2020 लाकर धूम मचा दी है. इंदौर में जन्मे सलमान खान (Salman Khan) और अभिनेत्री जैकलीन ने मुख्यमंत्री की उपस्थिति में दो दिन पहले इस आयोजन की घोषणा की.



आईफा पर खट्टी-मीठी प्रतिक्रियाएं

आइफा के इस महत्वकांक्षी आयोजन पर खट्टी-मीठी प्रतिक्रियाएं आईं. विपक्ष ने इसे फिजूलखर्ची करार दिया, ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वयं कलम उठाकर ब्लॉग लिखा है जिसमें बताया गया है, 'इस आयोजन का सबसे बड़ा फायदा यहां के आदिवासी समाज और अंतिम नागरिक को मिलेगा.' कैसे, यह नहीं बताया, न ही ये आंकड़ा दिया कि मध्य प्रदेश में बीते 10-15 सालों में पर्यटन का क्या हाल रहा है और इसे वह कहां तक ले जाना चाहते हैं? अलबत्ता यह सही बात है कि खजुराहो सहित अन्य पर्यटन स्थलों से मध्य प्रदेश आने वाला पर्यटक तेजी से गायब हो रहा है. ऐसे में पर्यटन को बढ़ाने की मुख्यमंत्री की यह कोशिश किसी मायने में कम नहीं है, लेकिन सवाल यह उठता है कि वह आखिर ब्लॉग लिखकर सफाई क्यों दे रहे हैं और उसे आदिवासी और अंतिम नागरिक से क्यों जोड़ रहे हैं. जबकि यह बहुत साफ बात है कि पर्यटन से सीधे तौर पर उस गरीब आदिवासी आदमी को कोई फायदा नहीं होता है.



News - आईफा को लेकर प्रदेश में जमकर सियासत हुई.
आईफा को लेकर प्रदेश में जमकर सियासत हुई.




आईफा से आदिवासियों का भला हुआ तो बड़ी उपलब्धि होगी

आईफा अवार्ड की वेबसाइट पर दिए गए किसी भी विवरण में यह कहीं नहीं लिखा है कि यह आयोजन होने से वहां के आदिवासी या अंतिम नागरिक की बल्ले-बल्ले हो गई, यदि मध्य प्रदेश में यह कर देने का कमाल कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कर देती है, तो निश्चित ही यह दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि लोगों के खून पसीने की कमाई से हो रहे इस आयोजन का हिसाब-किताब और आमजन के विकास का एक विश्लेषण भी साल दो साल बाद आम नागरिकों के सामने जरूर आएगा.



आत्म विश्वास में है सरकार

कुछ महीने पहले तक बहुमत पर डरती-डरती सी सरकार अब पूरे आत्मविश्वास में है और मुख्यमंत्री कमलनाथ जो सोच रहे हैं वह कर भी रहे हैं. प्रदेश के मंत्रालय की नई नवेली इमारत बनवाई तो भरोसे से  शिवराज सिंह चौहान ने थी, लेकिन पहुंचे मुख्यमंत्री कमलनाथ. सबसे पहले अपने उस दस्तावेज को याद किया था, जिसे महज चुनावी घोषणापत्र नहीं 'वचन पत्र' नाम दिया गया था. इस वचन पत्र में किसानों, आदिवासियों, बच्चों, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सहित तमाम वह वचन थे, जिनको पढ़कर लगता था कि यदि इनको पूरा कर लिया गया तो निश्चित तौर पर तमाम मानकों पर पिछड़ते मध्य प्रदेश में तरक्की और जनोन्मुखी विकास के द्वार खुल जाएंगे. हो सकता है कि छिंदवाड़ा मॉडल अलग तरह से विकास करता हो, लेकिन वास्तव में आम लोगों को जमीनी विकास का अब भी बेसब्री से इंतजार है.



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मेहमानों को अखबारों में दिखेगी प्रदेश की तस्वीर

अखबारों को ही देख लें तो खबरें बताती हैं कि प्रदेश का क्या हाल है. अस्पतालों में प्रसूता महिलाएं बिस्तर पर लेटती हैं तो पलंग टूटकर गिर जाता है. किसानों के कर्ज पूरी तरह से माफ नहीं हुए हैं. मध्य प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर 25 प्रतिशत बच्चे स्कूल ही छोड़ देते हैं. नर्मदा और दूसरी नदियों से अब भी निर्बाध रूप से अवैध खनन जारी है. अखबारों में हर दिन अपराध की वैसे ही खबरें हैं जो साल भर पहले हुआ करती थीं. फिर बदला क्या? देश विदेश से हजारों मेहमान जब मध्य प्रदेश की धरती पर आकर अखबारों में इन खबरों को पढ़ेंगे, देखेंगे तो दुनिया में हमारी क्या छवि बनेगी, जरा इस पर भी सोचा जाना चाहिए.



फिल्मों का आदिवासियों के विकास से क्या सरोकार?

फिल्में और आदिवासियों-गरीबों का विकास दो भिन्न बिंदु हैं, जिनका सीधे तौर पर कोई सरोकार नहीं है. यदि सलमान खान सहित मध्य प्रदेश के उन 30 फीसदी फिल्मों सितारों जिनका जिक्र मुख्यमंत्रीजी ने अपने ब्लॉग में किया है, से पूछा जाए कि आपने मध्य प्रदेश में फिल्म उद्योग को बढ़ाने के लिए क्या किया, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलेगा. प्रकाश झा की कृपा से 2-3 फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो ऐसी कोई बड़ी फिल्म याद नहीं आती है, जिसे मध्य प्रदेश में फिल्माया गया हो, जबकि मध्य प्रदेश में अपार संभावनाएं भरी पड़ी हैं. फिल्म उद्योग कभी अपनी मर्जी से आया नहीं और उसे बुलाने के भी प्रयास हुए नहीं. अब यदि फिल्मों सितारों को मध्य प्रदेश पर प्यार उमड़ रहा है तो अच्छी बात है, लेकिन इस बात से क्या यह तय हो जाएगा कि इस प्रदेश की प्रतिभाओं को अब अच्छे अवसर मिलेंगे.



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(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
राकेश कुमार मालवीय

राकेश कुमार मालवीयवरिष्ठ पत्रकार

20 साल से सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव, शोध, लेखन और संपादन. कई फैलोशिप पर कार्य किया है. खेती-किसानी, बच्चों, विकास, पर्यावरण और ग्रामीण समाज के विषयों में खास रुचि.

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First published: February 5, 2020, 7:18 pm IST

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