अखंड भारत की कल्‍पना के खिलाफ है विभाजनकारी सोच

तमिलनाडु, से लेकर उत्तर पूर्व के कई राज्य अलगाव वाली राजनीति के तहत भेदभाव पूर्ण व्यवहार कर रहे हैं. भारत का संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता कि व्यक्ति मनमानी कर सके. हिंद से नफरत करने वाले हिंदुस्तानी हो ही नहीं सकते.

Source: News18Hindi Last updated on: March 22, 2023, 8:48 am IST
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अखंड भारत की कल्‍पना के खिलाफ है विभाजनकारी सोच
खालिस्तान के समर्थक भारत की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाना चाहते हैं.

भारत देश की आन, बान, शान और हम हिंदुस्तानियों की तहजीब. अनेकता में एकता, हमारे संस्कार, हमारे प्यार और बंधुत्व का सारे विश्व में कोई भी देश मुकाबला नहीं कर सकता है. असंख्य कष्टों के बाद जिस आजादी को पाकर हमारा अस्तित्व उभरकर आया है उसे संभालकर रखना हमारा परम दायित्व होना चाहिए. इस देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले शहीदों की कुर्बानियां उन पर हुए अत्याचारों को बयान करती हैं. देश के लिए जो मर मिटे उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देना है. उनके देश के टुकड़े-टुकड़े कर देने वाली बात करना उनकी आत्मा को कष्ट देना होगा.


भारत के लिए समर्पित होने वालों की कमी नहीं पर इसके दुश्मन भी कम नहीं. कहीं कोई हिंदुस्तान के टुकड़े करना चाहता है तो कहीं कोई मुर्दाबाद के नारे लगा रहा है. कुछ विध्वंसक हो रहे हैं तो कुछ हिंसक बनकर इसके सम्मान और सम्पदा को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हिंदुस्तान में रहने वाले अपने-अपने तरीकों से देश को ढालने की कोशिश कर रहें हैं. हर जाति अपना संगठन चाहती है. हर व्यक्ति अपनी इच्छा थोपना चाहता है. लगता है देश के लिए नहीं स्वार्थ के लिए जीना ही प्रमुख हो रहा है. देश में संतुलन ना विचारधारा से हो रहा है ना नीतियों से. मनमानी का साम्राज्य हो रहा है. इससे देश खोखला हो रहा है. विकास ना होकर नए मुद्दे सुलझाना ही प्रमुख हो गया है.


खालिस्तान के समर्थक भारत की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाना चाहते हैं. खालिस्तान वाली चाह भले ही कुछ लोगों की ही हो, लेकिन पाकिस्तान और अन्य देशों की मदद लेकर भारत को कमजोर करने वाली ऐसी ताकतों को उभरने से पहले ही कुचलना होगा. हमारा देश सदैव से ही सबका सम्मान करना जानता है. पर उसके अस्तित्व को चोट पहुंचाने वाले खालिस्तान समर्थकों को किसी अन्य देश के हाथों की कठपुतली बनकर अपने देश के विभाजन की कल्पना भी नहीं करनी चाहिए. मंदिर-मस्जिद पर हमले कर भी लोगों की भावनाएं भड़काने की कोशिशें की जाती रही हैं. आस्ट्रेलिया में भी मंदिरों पर हमले हो रहे हैं. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए.


ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हाल ही में हमारे देश आए थे. हिंसक घटनाओं की चर्चा भी हुई, किंतु उसका कोई प्रभाव दिखता नजर नहीं आ रहा है. उन्होंने जो वादा किया था उस पर अमल करना चाहिए था पर इस तरह की हिंसक घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है. पूर्व खालिस्तान समर्थक जसवंत ने कहा कि पीएम मोदी ने सिखों के लिए बहुत कुछ किया है. उन्होंने करतापुर कॉरिडोर खोला. सिखों ने अपनी मांगें जब भी रखी उनको पूरा करने का दायित्व निभाया गया. आगे भी सिख समुदाय की मांगों को माना जाएगा. लेकिन लंदन में खालिस्तानी समर्थकों ने तिरंगें का अपमान किया.


सिखों की कुर्बानियों को देश ने देखा है. पंजाब के ज्यादातर लोग नहीं चाहते कि खालिस्तान बने. बातों की सच्चाई परतों में दबी है. हमारा देश एक है. हम यही सुनते आए हैं और अपनी हर पीढ़ी को बताते भी हैं कि हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई भाई-भाई हैं. लेकिन आज तो देश में प्रदेशों की, प्रांतों की उपलब्धियों से भी भारत की अखंडता आहत हो रही है. उत्तर भारत, दक्षिण भारत को अलग-अलग समझा जा रहा है. ये राजनीति की तेज धार है या देश के प्रति प्रेम का विभाजन? कैसी स्वार्थ की नजर है जो उपलब्धियों में भी देश के हिस्से कर रही है?


ऑस्कर अवार्ड के लिए दक्षिण भारत की उपलब्धि पर गर्व करने वाले क्यों भूल रहे हैं कि दक्षिण भारत भी देश का ही हिस्सा है? भारत की मिट्टी की सुगंध तो हर जगह एक ही है. उसे राजनीति की दृष्टि से देखकर उसका विभाजन उचित नहीं. किसी भी प्रदेश का खिलाड़ी हो, कलाकार हो, संगीतकार हो या अन्य कोई प्रतिभागी. कहीं से भी किसी भी क्षेत्र में विजयी हो नाम देश का ही होता है. वह प्रदेश से जाना जाता है पर गर्व देश करता है. सारे देशवासियों का सम्मान बढ़ता है. कोई भी वेशभूषा हो, पहनावा हो, संगीत हो, भाषा हो, भारत में रहने वालों की पहचान भारतीय होने से ही है. क्रिकेट की टीम हो या अन्य किसी खेल की अलग-अलग प्रदेश के खिलाड़ियों के होने के बावजूद भारत की ही टीम जानी जाती है. समय-समय पर अनेक प्रदेशों की होने वाली उन्नति देश की ही उन्नति होती है. समूचा भारत जहां एक जाना जाता था, आज विभिन्न विचारधाराओं की राजनीति से उसका विभाजन हो रहा है. भारत जोड़ो यात्रा भी अनेक प्रश्नों से जुड़ी रही और सबको एक ना कर सकी.


तमिलनाडु, से लेकर उत्तर पूर्व के कई राज्य अलगाव वाली राजनीति के तहत भेदभाव पूर्ण व्यवहार कर रहे हैं. भारत का संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता कि व्यक्ति मनमानी कर सके. हिंद से नफरत करने वाले हिंदुस्तानी हो ही नहीं सकते. गर्व करें कि हम भारतीय हैं. हर दिन निकलते सूर्य के साथ भारत के विकास की सोचें. इसके खिलाफ साजिश या इसके टुकड़े करने का ख्वाब धरा ही रह जाएगा क्योंकि हिंदुस्तान के टुकड़े करने वालों की सोच और उनके सपने कभी पूरे नहीं हो सकते.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
रेखा गर्ग

रेखा गर्गलेखक

समसामयिक विषयों पर लेखन. शिक्षा, साहित्य और सामाजिक मामलों में खास दिलचस्पी. कविता-कहानियां भी लिखती हैं.

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First published: March 22, 2023, 8:48 am IST

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