हिंदुस्तान में रहकर पाकिस्तान के नारे लगाने वाले देश प्रेमियों को आज पाकिस्तान के हालात देखकर भी क्या पाकिस्तान के ऊपर गर्व करने का भाव जाग्रत हो रहा है? क्या हिंदुस्तान की सुदृढ़ नीतियां हमारा अभिमान बनकर सामने नहीं आ रही हैं? क्या आज अपने देश को शीर्षस्थ देखकर भी पाकिस्तान के प्रति प्रेम उत्पन्न हो रहा है? पाकिस्तान जो हथियारों के मामलों में तो अग्रणी रहा पर अपने देश के लोगों के जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल हो गया. पाकिस्तान की दयनीय दशा से वहां की जनता का जो हाल है वह काफी विचलित कर देनेवाला है.
आजादी के बाद विभाजन होने से हिंदुस्तान और पाकिस्तान दो अलग रुप हो गए पाक के पाकिस्तानी, हिंंद के हिंदुस्तान उनकी पहचान हो गई. दोनों का एक ही दिन जन्म हुआ पर सोच अलग रही. भारत वसुधैव कुटुम्बकम् के रास्ते पर चला और आगे बढ़ा. पाकिस्तान आतंकवाद के रास्ते चला और डूब गया. भले ही ये एक-दूसरे से निभाकर चलते हों पर सच्चाई ये है कि पाकिस्तान हमारा दोस्त कभी बना ही नहीं. एक प्रतिद्वन्दी बना रहा. हमेशा हमें नुकसान पहुंचाने की भावना से ही ग्रसित रहा. मन में नफरत पालने वाला पाक कभी आंतरिक संबंधों की गहराई तक पहुंच ही नहीं पाया. भारतीयों के प्रति उसकी ईर्ष्या कभी कम नहीं हुई. जगजाहिर है कि वह आतंक का पर्याय है. आतंकी गतिविधियों को जन्म देने वाला हमारी बराबरी कभी कर ही नहीं सकता.
विभाजन के बाद से पाक ने भारत को कभी अपना माना ही नहीं. आज शांत छवि वाला भारत अपनी सुदृढ़ व स्वच्छ नीतियों के कारण ऊंचाइयों को छू रहा है और पाकिस्तान के इतने बुरे दिन आ गए हैं कि लोग अन्न के दानों के लिए तरस रहें हैं. जीवन की अनिवार्य आवश्यकता अनाज के लिए जान दे रहें हैं. हथियारों को जीवन का अनिवार्य अंग समझने वाले देश के पास अपने लोगों का पेट भरने के लिए खाना भी नसीब नहीं हो रहा है. जबकि भारत में कोरोना काल से आगे आने वाले कुछ सालों तक मुफ्त अनाज घर-घर पहुंचाया जा रहा है. दुर्दशा को प्राप्त हुआ आतंकी देश आज कितनी बेचारगी झेल रहा है.
एक ओर जहां सारे संसार में भारत का नाम है. देश के प्रधानमंत्री की कार्य शैली और निर्णयों से एकजुट भारत उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहा है. वहीं पाक कमजोर नीतियों के कारण भूखमरी के कगार पर पहुंच गया है. हर वस्तु की महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. कुछ भी खरीद पाना उसकी पहुंच से बाहर होता जा रहा है. आटे जैसी जरुरत के लिए छीना-झपटी, एक दूसरे को आहत करना. इससे ज्यादा बुरा तो कुछ हो ही नहीं सकता. कैसा वक्त आ गया है? कहना गलत ना होगा कि जैसी करनी वैसी भरनी.
शीर्षस्थ लोगों के गलत निर्णय के कारण पाक डूबने के कगार पर है. भूख से बड़ा कुछ नहीं होता. आज भूख से पीड़ित पाकिस्तान के बच्चे-बूढ़े, महिलाएं घंटों लाइन में लगकर भी आटा हासिल नहीं कर पा रहे हैं. उनके हथियार किसी काम नहीं आ रहे हैं. जनता का जो हश्र हो रहा है. वो किसी पीड़ा से कम नहीं है. आज पाकिस्तान के नागरिक हिंदुस्तान की प्रशंसा कर रहे हैं. यही सोच रहे होंगे शायद कि वो भी हिंदुस्तान के नागरिक होते. पाक बिलख रहा है. पाक भले ही हमें शत्रु मानता हो पर आज के जो हालात है उससे मन द्रवित हो रहा है. वहां के लोगों की व्याकुलता और विलाप बेचैन कर रहा है. यद्यपि पाक में अच्छी मात्रा में अन्न होता है पर ना जाने किस नीति के कारण इतनी महंगाई हो गई. भारत में मिनटों में ऑनलाइन ही घर पर आटा आ जाता है वहां पाकिस्तान में संघर्ष हो रहा है. खाद्य पदार्थों की मूल्य वृद्धि से लोग आशंकित हो रहे हैं. दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ जाती है. पाक की स्थिति लंका जैसी ना हो जाए.
कंगाली के द्वार पर पहुंचा पाक कुछ भी खरीदने के लायक नहीं है. बंदरगाह पर सामान लेकर जहाज खड़े हैं पर उसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि पैसे देकर सामान ले सके. बिजली की किल्लत से अलग परेशानी है. कई शहरों के अंधेरे में डूबने से जनता की मुसीबतों में ‘कंगाली में आटा गीला’ वाली बात हो गई है. परमाणु सम्पन्न पाक भूखा मर रहा है. हथियारों से व बमों से घर भरने वाले पाक ने अच्छी नीतियों के तहत यदि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया होता तो जनता को इतना झेलना नहीं पड़ता. देश के ऐसे हालात नहीं होते. पाक जो इस समय दया का पात्र है दरअसल दया के लायक ही नहीं है. भारत को हर समय नुकसान पहुंचाने वाले पाक की दयनीय दशा के बावजूद भारत उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता है.
कट्टरवादी विचारधारा वाला पाक अपनी कटट्रता के कारण आज विनाश के कगार पर पहुंच गया है. उसका मुद्रा भंडारण खत्म हो गया है. उसका भविष्य अंधेरे में डूबता नजर आ रहा है. मतलबी पाक ने सदैव स्वार्थ के वशीभूत होकर सब देशों से संबंध रखें दूसरे देशों ने हमेशा उसकी मदद की पर वह आतंकी सोच से बाहर ही नहीं आया, आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा. आतंकवाद की फैक्टरी में आतंक का प्रशिक्षण देकर अपना भविष्य बनाता रहा. हर लड़ाई जीतने के ख्वाब देखता रहा पर जिंंदगी की लड़ाई ही हार गया, हार भी स्वयं से ही, ना कोई हमला हुआ, ना कोई विस्फोट पर सब धराशाई हो गया.
हथियारों से, बम से पेट की भूख शांत नहीं होती. शांत सुखी जीवन के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति होना ही जरुरी है जिसकी पाक ने कभी चिंता नहीं की. पाकिस्तान में रहने वाले आज हमारी नीतियों की प्रशंसा कर रहे हैं. वहां के वक्तव्य जो हमें छलनी करते रहे हैं हमारा गुणगान कर रहे हैं. अपने देश की अव्यवस्था से असंतुष्ट जनता भारत के कुशल नेतृत्व की प्रशंसक है. हमारे देश के साथ सदैव दोरंगा व्यवहार करने वाले पाक ने आतंकी गतिविधियों और दिखावे की भावना में भरकर सदैव अहित करना चाहा है.
आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मिलकर चलने की कोशिश भारत की सुनीतियां ही हैं, पर पाकिस्तान से विश्वास की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. पाकिस्तान में कोई निवेश भी नहीं करना चाहता और भारत जी 20 में नेतृत्व कर रहा है. बाढ़ के कारण उसका अनाज नष्ट हुआ और भारत से तीन बार युद्ध में उसने मुंह की ही खाई है. आर्थिक रुप से उसकी कमर टूटी है. कभी भी नेक इरादे नहीं रखने वाले स्वार्थी पाक के लिए अपने को आतंकवादी ना मानना उसका वहम है और आज उसका भ्रम टूट रहा है.
समसामयिक विषयों पर लेखन. शिक्षा, साहित्य और सामाजिक मामलों में खास दिलचस्पी. कविता-कहानियां भी लिखती हैं.
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