‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ से मिलेगी आर्थिक वृद्धि को गति

आर्थिक वृद्धि को गति देगा एआई (AI)
भारत में अर्थव्यवस्था (Economy) की क्या स्थिति है, भारत की आर्थिक वृद्धि की दर क्या है ? आपने इस विषय में जरूर सोचा होगा. मीडिया (Media) की हर सुर्खियों में यह सवाल आ जाता है. दुनिया भर में जब कोरोना वायरस ( COVID -19 ) के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक मंदी का दौर है, तब भारत भी इससे अछूता नहीं है. कई क्षेत्रों में आर्थिक स्थितियां संवेदनशील हो चुकी हैं और हालात पर काबू पाने के लिए भारत सरकार तमाम दांव-पेंच आजमा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आत्मनिर्भर भारत योजना (Aatm Nirbhar Yojana) और 20 लाख करोड़ के बड़े विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की. इन सबके बीच बड़ी उम्मीद और आशा की किरण मिली है 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' (Artifical Intelligence) से. यह ऐसा विषय है जो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) और आर्थिक वृद्धि की दर को तेजी दे सकता है. इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) इंसान की तरह सोचना, इंसान की तरह व्यवहार करना और तथ्यों को समझना एवं तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया देने के आधार पर काम करता है. इसकी शुरूआत 1950 में ही हो गई थी. इसके आधार पर कंप्यूटर या रोबोटिक सिस्टम (Computer or Robotic System) तैयार किया जाता है. इसका शाब्दिक अर्थ है बनावटी तरीके से बनाई गई बौद्धिक क्षमता. यह उन्हीं लॉजिक (Logic) पर चलता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क व्यवहार करता है. इसका सबसे बड़ा फायदा है कि लोगों को कम समय में सटीक जानकारी हासिल हो सकेगी. वे फाइनेंस (Finance), खेती, मौसम और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पल भर में हासिल कर सकेंगे. हालांकि इससे मशीनों पर निर्भरता बढ़ेगी और इन मशीनों के निर्णय लेने की क्षमता पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होगा.
स्कूली पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, को लेकर आम परिवारों तक जागरूक करने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए जा रहे हैं. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने 2020-21 के सत्र से 11वीं क्लास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को दो अन्य विषयों डिजाइन थिंकिंग, फिजिकल एक्टिविटी ट्रेनर के साथ शुरू कर दिया है. बोर्ड का मानना है कि इससे नई जनरेशन के स्टूडेंट्स को इनोवेटिव, क्रिएटिव और फिजिकली फिट बनाया जा सकता है. इसे नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसके साथ ही केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पाठ्यक्रम को देशभर में केंद्रीय शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से कक्षा 8 में ही शुरू करने की बात कही है. ऐसे तैयार हुआ है आधार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर भारत ने अपनी तैयार पहले से ही कर रखी हुई है. देश में ई-गवर्नेंस के अभियान और नागरिक केंद्रित सेवाओं को देने में कई प्रकार के प्रयोग 1990 से ही शुरू हो गए थे. इसके साथ ही कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस पर आधारित प्रोजेक्ट्स शुरू किए थे. भारत सरकार ने 2006 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना शुरू की थी. इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, उत्पादों, सेवाओं और रोजगार के अवसरों को शामिल करने वाले विकास को बढ़ाने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया था. इसके तहत ही भारत को डिजिटल रूप से मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की. अंकीय भारत या डिजिटल भारत (डिजिटल इंडिया) सरकारी विभागों एवं भारत के लोगों को एक दूसरे के पास लाने की भारत सरकार की एक पहल है. 'डिजिटल इंडिया कार्यक्रम' की शुरुआत 1 जुलाई, 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.
पहला कदम बना डिजिटल इंडिया कार्यक्रमडिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य है कि सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें, वह भी बिना कागज के इस्तेमाल के. साथ ही सभी ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है. इसके मुख्य घटक हैं डिजिटल आधारभूत ढांचे का निर्माण करना, इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना, डिजिटल साक्षरता. हालांकि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने महामारी COVID-19 के इस दौर में भी अपनी अहम भूमिका निभाई. ई-संजीवनी, आरोग्य सेतु, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और MyGov के माध्यम से मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और हैंड सेनेटाइजेशन जैसी अहम जागरूक करने वाली जानकारियां लोगों तक पहुंचाई गईं.
आरोग्य सेतु को 3 सप्ताह में 12 भारतीय भाषाओं के साथ विकसित किया गया. इस एप ने 350 से अधिक COVID-19 हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद की. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण ही भारत के सुदूर क्षेत्र के किसान सीधे अपने बैंक खातों में पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना का लाभ प्राप्त करने में सक्षम हैं. इसके साथ ही वर्क फ्रॉम होम, डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने और मरीजों के टेली परामर्श लेने की सुविधा मिल सकी है. कार्यक्रम ने आधार, डिजीलॉकर, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, MyGov के माध्यम से शासन में भागीदारी, ई-अस्पताल, आयुष्मान भारत, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पीएम-किसान, ई-नाम, मोबाइल आधारित उमंग (UMANG) सेवाएं, कॉमन सर्विस सेंटर, स्वयं (SWAYAM), स्वयं प्रभा (SWAYAM PRABHA), ई-पाठशाला आदि के माध्यम से भारतीयों में बड़ा बदलाव लाया है. वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग और उपयोग के लिए खुद को तैयार कर चुके हैं.
डिजिटलीकरण से संबंधित अहम आंकड़े
सरकारी वेबसाइट्स के आधार पर माना जाए तो भारत में ई-सेवाओं की संख्या वर्ष 2014 में 2,463 से बढ़कर मई 2020 तक 3,858 हो गई हैं. वर्ष 2014 में दैनिक औसत इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन 66 लाख रुपए से बढ़कर वर्ष 2020 में 16.3 करोड़ रुपए हो गया है. मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग क्रमशः 117 करोड़ तथा 68.8 करोड़ उपयोगकर्त्ताओं द्वारा किया जा रहा है. 1 जुलाई, 2015 को लॉन्च हुए डिजीलाकर (DigiLocker) में अब तक 378 करोड़ दस्तावेज़ पंजीकृत किये जा चुके हैं. न्यू-एज़ गवर्नेंस के लिये यूनिफाइड मोबाइल एप (उमंग-UMANG) में 860+ सेवाएँ चालू हैं और इसे अब तक 3 करोड़ से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं. अब तक 125.7 करोड़ नागरिकों को आधार (Aadhaar) जारी किया जा चुका है और 4,216 करोड़ प्रमाणीकरणों को सुगम बनाया गया है. वहीं, भारत सरकार के 56 मंत्रालयों की 426 योजनाओं के अंतर्गत 11.1 लाख करोड़ रुपए को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत वितरित किया गया है और जिससे 1.7 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है. लाभार्थियों के बैंक खातों में कुल 1.33 लाख करोड़ रुपए के साथ जन-धन खातों की संख्या 38.73 करोड़ तक पहुँच चुकी है. MyGov को देश में सहभागी शासन की सुविधा के लिये शुरू किया गया है जिसमें कुल 1.17 करोड़ पंजीकृत प्रतिभागी हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए हां तैयार हैं हम
सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो यह मान लेना चाहिए कि भारत का एक बड़ा वर्ग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए तैयार हो चुका है. वहीं स्कूलों के माध्यम से भी आने वाली पीढ़ी इसके बारे और अधिक जानकार व जागरूक होगी. जब देश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम सफल रहा है तो अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर ज्यादा संशय नहीं है. इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना होगा. इससे हम वैश्विक स्तर पर आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकेंगे. वहीं तकनीकी रूप से सुदृढ़ होने पर हमारी अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि को रफ्तार दी जा सकेगी. अगले कदम के रूप में भारत के राष्ट्रीय "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल" लॉन्च किया गया है, इसका नाम "ai.gov.in" है. इसे जून 2020 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कानून और न्याय और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा लांच किया गया है. पोर्टल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित आर्टिकल्स, निवेश फंडों, स्टार्टअप्स, कंपनियों, संसाधनों और शैक्षणिक संस्थानों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित संसाधनों को साझा करने के लिए जिम्मेदार होगा. यह भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित विकास के लिए वन एक स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) इंसान की तरह सोचना, इंसान की तरह व्यवहार करना और तथ्यों को समझना एवं तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया देने के आधार पर काम करता है. इसकी शुरूआत 1950 में ही हो गई थी. इसके आधार पर कंप्यूटर या रोबोटिक सिस्टम (Computer or Robotic System) तैयार किया जाता है. इसका शाब्दिक अर्थ है बनावटी तरीके से बनाई गई बौद्धिक क्षमता. यह उन्हीं लॉजिक (Logic) पर चलता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क व्यवहार करता है. इसका सबसे बड़ा फायदा है कि लोगों को कम समय में सटीक जानकारी हासिल हो सकेगी. वे फाइनेंस (Finance), खेती, मौसम और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पल भर में हासिल कर सकेंगे. हालांकि इससे मशीनों पर निर्भरता बढ़ेगी और इन मशीनों के निर्णय लेने की क्षमता पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होगा.
स्कूली पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, को लेकर आम परिवारों तक जागरूक करने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए जा रहे हैं. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने 2020-21 के सत्र से 11वीं क्लास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को दो अन्य विषयों डिजाइन थिंकिंग, फिजिकल एक्टिविटी ट्रेनर के साथ शुरू कर दिया है. बोर्ड का मानना है कि इससे नई जनरेशन के स्टूडेंट्स को इनोवेटिव, क्रिएटिव और फिजिकली फिट बनाया जा सकता है. इसे नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसके साथ ही केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पाठ्यक्रम को देशभर में केंद्रीय शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से कक्षा 8 में ही शुरू करने की बात कही है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर भारत ने अपनी तैयार पहले से ही कर रखी हुई है. देश में ई-गवर्नेंस के अभियान और नागरिक केंद्रित सेवाओं को देने में कई प्रकार के प्रयोग 1990 से ही शुरू हो गए थे. इसके साथ ही कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस पर आधारित प्रोजेक्ट्स शुरू किए थे. भारत सरकार ने 2006 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना शुरू की थी. इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, उत्पादों, सेवाओं और रोजगार के अवसरों को शामिल करने वाले विकास को बढ़ाने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया था. इसके तहत ही भारत को डिजिटल रूप से मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की. अंकीय भारत या डिजिटल भारत (डिजिटल इंडिया) सरकारी विभागों एवं भारत के लोगों को एक दूसरे के पास लाने की भारत सरकार की एक पहल है. 'डिजिटल इंडिया कार्यक्रम' की शुरुआत 1 जुलाई, 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.
पहला कदम बना डिजिटल इंडिया कार्यक्रमडिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य है कि सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें, वह भी बिना कागज के इस्तेमाल के. साथ ही सभी ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है. इसके मुख्य घटक हैं डिजिटल आधारभूत ढांचे का निर्माण करना, इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना, डिजिटल साक्षरता. हालांकि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने महामारी COVID-19 के इस दौर में भी अपनी अहम भूमिका निभाई. ई-संजीवनी, आरोग्य सेतु, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और MyGov के माध्यम से मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और हैंड सेनेटाइजेशन जैसी अहम जागरूक करने वाली जानकारियां लोगों तक पहुंचाई गईं.
आरोग्य सेतु को 3 सप्ताह में 12 भारतीय भाषाओं के साथ विकसित किया गया. इस एप ने 350 से अधिक COVID-19 हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद की. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण ही भारत के सुदूर क्षेत्र के किसान सीधे अपने बैंक खातों में पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना का लाभ प्राप्त करने में सक्षम हैं. इसके साथ ही वर्क फ्रॉम होम, डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने और मरीजों के टेली परामर्श लेने की सुविधा मिल सकी है. कार्यक्रम ने आधार, डिजीलॉकर, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, MyGov के माध्यम से शासन में भागीदारी, ई-अस्पताल, आयुष्मान भारत, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पीएम-किसान, ई-नाम, मोबाइल आधारित उमंग (UMANG) सेवाएं, कॉमन सर्विस सेंटर, स्वयं (SWAYAM), स्वयं प्रभा (SWAYAM PRABHA), ई-पाठशाला आदि के माध्यम से भारतीयों में बड़ा बदलाव लाया है. वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग और उपयोग के लिए खुद को तैयार कर चुके हैं.
डिजिटलीकरण से संबंधित अहम आंकड़े
सरकारी वेबसाइट्स के आधार पर माना जाए तो भारत में ई-सेवाओं की संख्या वर्ष 2014 में 2,463 से बढ़कर मई 2020 तक 3,858 हो गई हैं. वर्ष 2014 में दैनिक औसत इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन 66 लाख रुपए से बढ़कर वर्ष 2020 में 16.3 करोड़ रुपए हो गया है. मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग क्रमशः 117 करोड़ तथा 68.8 करोड़ उपयोगकर्त्ताओं द्वारा किया जा रहा है. 1 जुलाई, 2015 को लॉन्च हुए डिजीलाकर (DigiLocker) में अब तक 378 करोड़ दस्तावेज़ पंजीकृत किये जा चुके हैं. न्यू-एज़ गवर्नेंस के लिये यूनिफाइड मोबाइल एप (उमंग-UMANG) में 860+ सेवाएँ चालू हैं और इसे अब तक 3 करोड़ से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं. अब तक 125.7 करोड़ नागरिकों को आधार (Aadhaar) जारी किया जा चुका है और 4,216 करोड़ प्रमाणीकरणों को सुगम बनाया गया है. वहीं, भारत सरकार के 56 मंत्रालयों की 426 योजनाओं के अंतर्गत 11.1 लाख करोड़ रुपए को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत वितरित किया गया है और जिससे 1.7 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है. लाभार्थियों के बैंक खातों में कुल 1.33 लाख करोड़ रुपए के साथ जन-धन खातों की संख्या 38.73 करोड़ तक पहुँच चुकी है. MyGov को देश में सहभागी शासन की सुविधा के लिये शुरू किया गया है जिसमें कुल 1.17 करोड़ पंजीकृत प्रतिभागी हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए हां तैयार हैं हम
सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो यह मान लेना चाहिए कि भारत का एक बड़ा वर्ग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए तैयार हो चुका है. वहीं स्कूलों के माध्यम से भी आने वाली पीढ़ी इसके बारे और अधिक जानकार व जागरूक होगी. जब देश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम सफल रहा है तो अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर ज्यादा संशय नहीं है. इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना होगा. इससे हम वैश्विक स्तर पर आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकेंगे. वहीं तकनीकी रूप से सुदृढ़ होने पर हमारी अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि को रफ्तार दी जा सकेगी. अगले कदम के रूप में भारत के राष्ट्रीय "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल" लॉन्च किया गया है, इसका नाम "ai.gov.in" है. इसे जून 2020 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कानून और न्याय और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा लांच किया गया है. पोर्टल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित आर्टिकल्स, निवेश फंडों, स्टार्टअप्स, कंपनियों, संसाधनों और शैक्षणिक संस्थानों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित संसाधनों को साझा करने के लिए जिम्मेदार होगा. यह भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित विकास के लिए वन एक स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
First published: July 21, 2020, 6:43 PM IST