West Bengal Election: नेता वही, परिवर्तन हुआ भी तो क्या बदल जाएगा

ममता 2011 में दुनिया के सबसे लंबे शासन काल (34 साल) में से एक को हटा कर सकता में आई थीं. तृणमूल नेता इस बार हैट्रिक बनाने का दावा कर रहे हैं तो भाजपा प्रदेश में पहली बार सरकार बनाने का.

Source: News18Hindi Last updated on: March 28, 2021, 2:14 pm IST
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West Bengal Election: नेता वही, परिवर्तन हुआ भी तो क्या बदल जाएगा
पश्चिम बंगाल में पहले चरण का मतदान हो चुका है. (File pic)

पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए मतदान शुरू होते ही शनिवार को एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ. यह क्लिप तथाकथित रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रलय पाल के बीच बातचीत का है. प्रलय पाल वही शख्स हैं जिन्होंने ममता के पैर में चोट लगने के बाद उनके लिए बर्फ का इंतजाम किया था. प्रलय पहले तृणमूल में थे, हाल ही उन्होंने हरे रंग के ऊपर केसरिया रंग चढ़ाया है. इस ऑडियो क्लिप में ममता उनसे तृणमूल की मदद करने का आग्रह कर रही हैं. प्रलय का कहना है कि वैसे तो मैं किसी का कॉल रिकॉर्ड नहीं करता, लेकिन यह फोन किसी अनजाने नंबर से आया था, इसलिए उसे रिकॉर्ड कर लिया.


प्रलय जैसे सैकड़ों नेता तृणमूल, लेफ्ट या कांग्रेस से भाजपा में आए हैं. एक रोचक आंकड़ा देखिए. 27 मार्च को मतदान शुरू होने से पहले ही पश्चिम बंगाल में ‘भाजपा विधायकों’ की संख्या 6 गुना हो गई. 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के तीन विधायक जीते थे. 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के चार और प्रत्याशी जीत गए. लेकिन प्रदेश पार्टी अध्यक्ष दिलीप घोष मिदनापुर लोकसभा सीट से जीते थे, इसलिए उन्हें खड़गपुर सदर के विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बीते कुछ महीनों में भाजपा में तृणमूल से 26, कांग्रेस से तीन और लेफ्ट से चार विधायक आए हैं. लेफ्ट से आए देवेंद्रनाथ राय की मौत हो चुकी है. शुभेंदु अधिकारी और राजीव बंदोपाध्याय ने कमल को थामने से पहले मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. इस तरह 2019 में भाजपा के 6 विधायक थे, जो अब 36 हो गए हैं.


नंदीग्राम में ममता की पहरेदारी

इस बीच उम्मीद के मुताबिक बंगाल में पहले चरण का मतदान हिंसा की अनेक घटनाओं के साथ संपन्न हुआ. तृणमूल और भाजपा, दोनों प्रमुख पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं. अच्छी बात यह रही कि हिंसा के बावजूद जंगलमहल में औसतन 80% वोटिंग हुई. 2016 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 83% और 2019 के लोकसभा चुनाव में 82% वोटिंग हुई थी. शनिवार को पुरुलिया, पश्चिम और पूर्व मिदनापुर, बांकुड़ा और झाड़ग्राम जिलों की जिन 30 सीटों पर वोटिंग हुई, वहां 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. 27 पर तृणमूल, दो पर कांग्रेस और एक पर लेफ्ट का प्रत्याशी जीता था. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से देखा जाए तो 20 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की बढ़त थी. तृणमूल को सिर्फ 10 सीटों पर बढ़त मिली थी.


दूसरे चरण में 1 अप्रैल को भी 30 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जिनमें नंदीग्राम भी है. यहां से तृणमूल प्रत्याशी और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि 28 तारीख से मतदान के दिन तक वे नंदीग्राम में ही रहेंगी. ममता और उनके विरोधी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी कम से कम 25 मंदिरों में जा चुके हैं. ऐसे में विश्लेषक मान रहे हैं कि इस चुनाव से न सिर्फ प्रदेश की सरकार, बल्कि आने वाले दिनों की राजनीति भी तय होगी. ममता जानती हैं कि उनकी पार्टी को जिंदा रखने के लिए चुनाव जीतना जरूरी है, वरना उनके विधायकों का टूटना आगे भी जारी रह सकता है. इसलिए वे पैर में प्लास्टर होने के बावजूद हुए व्हीलचेयर पर रोजाना तीन चार सभाएं कर रही हैं.


ममता बनाम भाजपा, संघ और केंद्र

एक तरफ ममता हैं तो दूसरी तरफ भाजपा, संघ और केंद्र सरकार की पूरी मशीनरी है. भाजपा ने अभी तक इस लड़ाई को ममता पर केंद्रित रखने की कोशिश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से लेकर प्रदेश स्तरीय नेता तक, सब चुनाव प्रचार में ममता पर ही आक्रमण कर रहे हैं. ममता भी जानती हैं कि यह चुनाव सिर्फ उनके चेहरे पर ही जीता जा सकता है. इसलिए वे कह रही हैं कि मतदाता प्रदेश की सभी 294 सीटों पर उन्हें तृणमूल का उम्मीदवार समझकर वोट डालें.


ममता 2011 में दुनिया के सबसे लंबे शासन काल (34 साल) में से एक को हटा कर सकता में आई थीं. तृणमूल नेता इस बार हैट्रिक बनाने का दावा कर रहे हैं तो भाजपा प्रदेश में पहली बार सरकार बनाने का.

भाजपा को 2016 के विधानसभा चुनाव में 10.2% और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां 40.3% वोट मिले थे. सरकार बनाने के लिए पार्टी को कम से कम 44% वोटों की जरूरत होगी, जो थोड़ा मुश्किल लग रहा है. दूसरे राज्यों में हमने देखा है कि लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में भाजपा को कम वोट मिले. विश्लेषकों का आकलन है कि अगर बंगाल में लोकसभा की तुलना में भाजपा को 2% भी कम वोट मिले तो उसकी सीटें 75 के आसपास रह जाएंगी. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सत्ता परिवर्तन होता भी है तो उसका कोई मतलब नहीं होगा. क्योंकि तृणमूल के ही तो नेता भाजपा में गए हैं. 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए भाजपा ने जो प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें करीब 150 दूसरे दलों से आए नेता ही हैं.


महीने भर पहले मैंने लिखा था कि यह चुनाव नए नारों और पैरोडी के लिए भी जाना जाएगा. तृणमूल, भाजपा और संयुक्त-मोर्चा, तीनों नए नारे-पैरोडी लेकर आ रहे हैं. लेकिन चुनाव लड़ने वाले स्वतंत्र उम्मीदवार की तरह एक नया स्वतंत्र म्यूजिक वीडियो भी लांच हुआ है- निजेदेर मतो, निजेदेर गान (अपनी तरह, अपना गाना). प्रदेश के कई जाने-माने कलाकार इसमें हैं. इसमें किसी पार्टी का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन जिस तरह स्वतंत्र विधायक किसी न किसी पक्ष के साथ हो जाता है, उसी तरह गाने के बोल और वीडियो से स्पष्ट हो जाता है कि निशाने पर कौन है.


वीडियो में दिल्ली दंगे की वह तस्वीर है जिसमें कई लोग एक व्यक्ति को लाठी-डंडों से पीट रहे हैं. नाथूराम गोडसे का जन्मदिन समारोह, कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी, दलित उत्पीड़न, किसान आंदोलन, पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी और नोटबंदी को भी दिखाया गया है. गाना लिखने वाले अनिर्बान भट्टाचार्य कहते हैं कि अगर कल इस वजह से मुझे इंडस्ट्री में काम नहीं मिलता है, तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं. (यह लेखक के निजी विचार हैं.)


(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
सुनील सिंह

सुनील सिंहवरिष्ठ पत्रकार

लेखक का 30 वर्षों का पत्रकारिता का अनुभव है. दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक जागरण जैसे संस्थानों से जुड़े रहे हैं. बिजनेस और राजनीतिक विषयों पर लिखते हैं.

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First published: March 28, 2021, 2:14 pm IST

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