क्रिप्टो करेंसी: क्या कहता है इनकम टैक्स का नियम

हाल के दिनों में क्रिप्टो करेंसी का चलन बढ़ा है. इस प्रचलन के साथ ही क्रिप्टो करेंसी में इनवेस्‍टमेंट पर इनकम टैक्‍स को लेकर भी छूट की मांग की जा रही है. संसद में सरकार ने साफ कर दिया है कि क्रिप्टो करेंसी या किसी अन्य वर्चुअल डिजिटल ऐसेट की माइनिंग कॉस्ट पर कोई टैक्स डिडक्शन नहीं मिलेगा. आइए, समझते हैं इस नियम का टैक्स पर क्या असर होगा.

Source: News18Hindi Last updated on: March 27, 2022, 7:30 pm IST
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Crypto currency: क्या है इनकम टैक्स का नियम

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के एक सवाल के जवाब में बताया कि क्रिप्टो करेंसी या किसी अन्य वर्चुअल डिजिटल ऐसेट की माइनिंग कॉस्ट पर कोई टैक्स डिडक्शन नहीं मिलेगा. इसके अलावा, एक डिजिटल ऐसेट ट्रांजैक्शन में इन्वेस्टर को अगर नुकसान होता है और दूसरे में फायदा, तो नुकसान को फायदे के साथ एडजस्ट (ऑफसेटिंग) नहीं किया जा सकेगा. क्रिप्टो इंडस्ट्री चाहती थी कि इन दोनों की अनुमति मिले. सरकार के स्पष्टीकरण के बाद उनका कहना है कि इससे निवेशक वर्चुअल डिजिटल ऐसेट से दूर भागेंगे. आइए समझते हैं इस नियम का टैक्स पर क्या असर होगा.


वर्चुअल ऐसेट में निवेशक के लिए दो तरह के खर्च होते हैं. एक तो क्रिप्टो ऐसेट की माइनिंग का खर्च होता है और दूसरा उस ऐसेट की कीमत होती है. निवेशक को ऐसेट की कीमत तो चुकानी ही पड़ती है, माइनिंग का खर्च भी उठाना पड़ता है. क्रिप्टो इंडस्ट्री चाहती है कि माइनिंग के खर्च को भी एसेट खरीदने की लागत में शामिल किया जाए.


इनकम टैक्स का आकलन किसी भी असेसी की कुल सालाना आमदनी पर होता है. अलग-अलग स्रोतों से होने वाली आय को जोड़ा जाता है. शेयर ट्रांजैक्शन में भी निवेशक को कुछ शेयरों में मुनाफा होता है तो कुछ में घाटा भी हो सकता है. पूरे साल में उसे सब मिलाकर कितना मुनाफा या घाटा हुआ उसी के हिसाब से उस पर टैक्स की देनदारी बनती है. कुछ नुकसान को ऑफसेट करने की इजाजत होती है तो कुछ नुकसान को नहीं. यह ऑफसेटिंग तीन तरीके से की जा सकती है. इंट्रा हेड एडजस्टमेंट, इंटर हेड एडजस्टमेंट और कैरी फॉरवर्ड.


अगर कई स्रोतों से होने वाली आय एक ही हेड के तहत आती है तो एक स्रोत से नुकसान को दूसरे स्रोत के फायदे के साथ एडजस्ट किया जा सकता है. इसे इंट्रा हेड एडजस्टमेंट कहते हैं. अगर दो अलग तरह के हेड में एक में नुकसान और दूसरे में फायदा होता है तो नुकसान को फायदे के साथ एडजस्ट किया जा सकता है. इसे इंटर हेड एडजस्टमेंट कहते हैं. अगर एक हेड में होने वाले नुकसान को किसी भी दूसरे हेड के साथ एडजस्ट नहीं किया जा सकता है तो उस नुकसान को अगले वित्त वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड करने की इजाजत होती है.


लेकिन वर्चुअल डिजिटल ऐसेट के मामले में ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई है. अगर इस हेड में निवेशक को नुकसान होता है तो उसे किसी दूसरे के साथ एडजस्ट नहीं किया जा सकेगा, न ही उसे अगले वित्त वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड किया जा सकेगा. आसान शब्दों में कहें तो वर्चुअल डिजिटल ऐसेट पर मुनाफा हुआ तो टैक्स देना पड़ेगा, लेकिन नुकसान हुआ तो टैक्स में कोई छूट नहीं मिलेगी.


मान लीजिए किसी निवेशक को क्रिप्टो ऐसेट की माइनिंग का खर्च 15 रुपए और ऐसेट खरीदने के लिए 85 रुपए देने पड़े. यानी उसकी कुल लागत 100 रुपए हुई. अगर वह उस ऐसेट को 125 रुपए में बेचता है तो उसे 25 रुपए का मुनाफा हुआ, जिस पर उसे टैक्स चुकाना होगा. लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि माइनिंग के खर्च को लागत में शामिल नहीं किया जाएगा. यानी निवेशक ने भले ही 100 रुपए खर्च किए हों, उसकी लागत 85 रुपए ही मानी जाएगी, और वह ऐसेट 125 रुपए में बेचने पर उसका मुनाफा 40 रुपए माना जाएगा. इस तरह उसे 25 रुपए के बजाय 40 रुपए पर टैक्स चुकाना पड़ेगा.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के बजट में क्रिप्टो ऐसेट पर 30 फ़ीसदी की दर से इनकम टैक्स लगाने का प्रावधान किया है. मुनाफा चाहे शॉर्ट टर्म हो या लांग टर्म, टैक्स की दर यही रहेगी. इस पर सेस और सरचार्ज भी जुड़ेगा. यह नियम 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी होगा. नॉन फंजीबल टोकन यानी एनएफटी भी डिजिटल ऐसेट के दायरे में आएंगे. वैसे टैक्सेशन के लिहाज से किन ऐसेट को वर्चुअल डिजिटल ऐसेट माना जाएगा, सरकार इसकी परिभाषा भी तय करेगी. भविष्य में अनेक तरह के डिजिटल ऐसेट बाजार में आ सकते हैं, इसलिए सरकार ने विकल्प खुला रखा है. वह अध्यादेश के जरिए किसी भी ऐसेट को वर्चुअल डिजिटल ऐसेट के दायरे में ला सकती है या इससे बाहर कर सकती है.


इंडस्ट्री सरकार से इस नियम की समीक्षा की मांग कर रही है. डिजिटल ऐसेट की खरीद बिक्री का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की दलील है कि ऑफसेट की अनुमति न मिलने पर निवेशक अधिकृत प्लेटफॉर्म के बजाय ग्रे मार्केट में जाना पसंद करेंगे.


भारतीय रिजर्व बैंक शुरू से क्रिप्टो करेंसी के खिलाफ रहा है. गवर्नर शक्तिकांत दास कह चुके हैं कि यह देश की वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम भरा होगा. रिजर्व बैंक ही नहीं, अनेक विकसित देशों के केंद्रीय बैंक भी क्रिप्टो करेंसी को मान्यता देने के खिलाफ हैं. बजट में वित्त मंत्री ने कहा था कि रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी लेकर आएगा. उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया जारी करेगा.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
सुनील सिंह

सुनील सिंहवरिष्ठ पत्रकार

लेखक का 30 वर्षों का पत्रकारिता का अनुभव है. दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक जागरण जैसे संस्थानों से जुड़े रहे हैं. बिजनेस और राजनीतिक विषयों पर लिखते हैं.

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First published: March 27, 2022, 7:30 pm IST

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