पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 2022-23 में रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया जारी करेगा. बिटकॉइन या ईथर आदि प्राइवेट करेंसी हैं और हाल के वर्षों में इनका चलन तेजी से बढ़ा है. इसलिए कई देशों में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रहे हैं. चीन में दो साल से इस पर पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है. वहां इस महीने बीजिंग में जो विंटर ओलंपिक्स होने हैं, उसमें आने वाले एथलीट, अधिकारी और पत्रकार डिजिटल युवान में भी भुगतान कर सकते हैं. अमेरिका में डिजिटल डॉलर और यूरोप में डिजिटल यूरो लाने से पहले इसके जोखिमों पर विचार हो रहा है.
करेंसी नोट के बराबर ही होगी वैल्यू
आधिकारिक डिजिटल करेंसी को अभी सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक-बैक्ड डिजिटल करेंसी) कहा जाता है. बिटकॉइन जैसी प्राइवेट करेंसी की वैल्यू हमेशा गिरती-चढ़ती रहती है. लेकिन, रिजर्व बैंक जो डिजिटल रुपया जारी करेगा, उसकी वैल्यू सामान्य रुपए के बराबर ही होगी. फर्क सिर्फ इतना होगा कि हम अपनी जेब में जो रुपया रखते हैं, वैसा ना होकर वह डिजिटल होगा. करेंसी नोट पर रिजर्व बैंक गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ लिखा होता है- मैं धारक को इतने रुपए अदा करने का वचन देता हूं, लेकिन प्राइवेट करेंसी में ऐसी कोई लायबिलिटी नहीं होती है.
नोट छपाई और डिस्ट्रीब्यूशन का खर्च बचेगा
अगर आप किसी को डिजिटल रुपया देते हैं तो वह कैश देने के समान ही होगा. इससे बिजनेस को भी आसानी होगी. बिना किसी इंटरमीडियरी के वे आपस में एक दूसरे को पैसा भेज सकते हैं. भारत में कैश का इस्तेमाल काफी होता है. डिजिटल रुपए से करेंसी नोट छापने, उन्हें रखने, उनके डिस्ट्रीब्यूशन आदि का खर्च बच जाएगा. सामान्य करेंसी पुरानी हो जाने के बाद उसे नष्ट करने और नई करेंसी छापने की जरूरत पड़ती है, डिजिटल मनी के साथ ऐसा नहीं होगा. बहरहाल, डिजिटल रुपया आने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. क्योंकि उसके लिए आरबीआई एक्ट, फेमा, आईटी एक्ट समेत कई कानूनों में बदलाव की जरूरत पड़ेगी जिन्हें करेंसी नोट को ध्यान में रखकर बनाया गया था.
ब्लॉकचेन आधारित होने की संभावना कम
वित्त मंत्री ने बजट में कहा कि रिजर्व बैंक ‘ब्लॉकचेन या अन्य टेक्नोलॉजी’ आधारित डिजिटल रुपया लेकर आएगा. हो सकता है रिजर्व बैंक जो डिजिटल रुपया लेकर आए वह ब्लॉकचेन पर आधारित ना हो. अभी जिन देशों में सरकारें डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रही हैं, कहीं भी वह ब्लॉकचेन पर आधारित नहीं है. ब्लॉकचेन में बड़ी संख्या में कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े होते हैं, जिनमें किसी भी ट्रांजैक्शन से जुड़ी सूचनाएं संग्रह होती हैं. लगातार अनेक कंप्यूटर चलने से बिजली की बहुत ज्यादा खपत होती है. डिजिटल करेंसी के मामले में भारत आईएमएफ और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ भी संपर्क में है. ब्लैकमनी और ड्रग्स के धंधे में इसके इस्तेमाल की आशंकाओं को देखते हुए जी-20 देशों में भी इस पर चर्चा होने की संभावना है.
क्रिप्टो करेंसी को मान्यता पर पसोपेश
बजट में डिजिटल एसेट पर 30 फ़ीसदी टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है. इसे क्रिप्टो करेंसी या एनएफटी जैसे डिजिटल एसेट को एक तरह से मान्यता देना समझा जा रहा है. हालांकि वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि टैक्स लगाने का मतलब मान्यता देना नहीं, अभी इस पर विचार चल रहा है. फिर भी क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल एसेट मार्केट में इसे सरकार की स्वीकृति माना जा रहा है. यही कारण है कि बजट में घोषणा के बाद भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज पर रजिस्टर्ड अकाउंट की संख्या 30 से 50 फ़ीसदी बढ़ गई. इनमें अनेक बिजनेस कम्युनिटी से जुड़े लोग बताए जा रहे हैं. ब्लॉकचेन एंड क्रिप्टो एसेट काउंसिल के अनुसार क्रिप्टो करेंसी में भारतीयों ने करीब 6 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है.
ट्रांजैक्शन पर 1 फीसदी टीडीएस, मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स
बजट में प्रावधान किया गया है कि 1 अप्रैल 2022 से क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल एसेट की खरीद-बिक्री में होने वाले मुनाफे पर लॉटरी या गेम के बराबर 30 फ़ीसदी टैक्स लगेगा. एक निश्चित रकम से ज्यादा की खरीद-बिक्री पर 1 फ़ीसदी टीडीएस भी कटेगा. टीडीएस काटने पर इन्वेस्टर का रिकॉर्ड सरकार के पास रहेगा. सरकार देख सकती है कि उसने मुनाफे पर टैक्स दिया है या नहीं. यानी क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल एसेट की खरीद-बिक्री करने वाले इनकम टैक्स के दायरे से बच नहीं सकेंगे.
1 अप्रैल से पहले के मुनाफे पर भी टैक्स
इनकम टैक्स सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के अधीन आता है और इसके चेयरमैन जेडी महापात्र ने कहा है कि 1 अप्रैल 2022 से 30 फ़ीसदी टैक्स लगाने के प्रावधान का मतलब यह नहीं कि उससे पहले लोगों ने जो कमाई की है उस पर टैक्स नहीं लगेगा. महापात्र के अनुसार इनमें इन्वेस्ट करने वाले अनेक लोगों ने तो रिटर्न ही फाइल नहीं किया है और अगर फाइल किया है तो उसमें क्रिप्टो एसेट में इन्वेस्टमेंट को नहीं दिखाया है. अभी अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उन्हें कोई नोटिस नहीं भेज रहा है तो सिर्फ इसलिए कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किस नियम के तहत टैक्स लिया जाए.
घाटा सेट ऑफ करने की अनुमति होगी या नहीं
लेकिन यहां एक दिक्कत आ सकती है. अभी शेयर, म्यूचुअल फंड या इन्वेस्टमेंट के जो भी माध्यम हैं, उनमें मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है. लेकिन अगर एसेट की बिक्री पर नुकसान होता है तो उसे सेट ऑफ करने की छूट भी मिलती है. सीबीडीटी चेयरमैन के कहने के मुताबिक अगर 1 अप्रैल 2022 से पहले डिजिटल एसेट की खरीद-बिक्री में होने वाले मुनाफे पर टैक्स लगाया जाएगा तो जिन्हें इनकी खरीद-बिक्री में नुकसान हुआ है क्या उन्हें सेट ऑफ करने की अनुमति होगी?
सरकार ने कहा है कि 1 अप्रैल 2022 से नुकसान को सेट ऑफ करने की इजाजत नहीं होगी. लेकिन उससे पहले के लेनदेन पर क्या होगा अभी यह स्पष्ट नहीं है. एक और मुद्दा है. मान लीजिए आपने क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्ट किया. उसकी कीमत बढ़ने के बाद उसे बेचकर आपने कोई दूसरा क्रिप्टो एसेट खरीदा, लेकिन उस मुनाफे को रुपए में कन्वर्ट नहीं किया है. तो वैसी स्थिति में टैक्स की गणना कैसे होगी, यह भी स्पष्ट नहीं है.
लेखक का 30 वर्षों का पत्रकारिता का अनुभव है. दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक जागरण जैसे संस्थानों से जुड़े रहे हैं. बिजनेस और राजनीतिक विषयों पर लिखते हैं.
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