दो दशक तक टेलिवजन, प्रिंट और वेब पत्रकारिता करने के बाद स्वतंत्र लेखन. सामाजिक, राजनीतिक और संगीत पर लिखते रहे हैं. कई किताबों का अनुवाद भी कर चुके है.
Daastaan-Go ; Chacha Chowdhari Cartoonist Pran : उस वक़्त 25 पैसे किराया लगा करता था, 24 घंटे तक कॉमिक्स पास रखने का. दिलचस्प बात ये कि इस दौरान एक कॉमिक्स को कम से कम चार-पांच बच्चे मिलकर पढ़ा करते. किराए से लाते तो बाकी काम-धंधा छोड़कर सबसे पहले 40-50 पेज की नई कॉमिक्स ही निपटाई जाती. दो-तीन घंटे में ही. ताकि उसे दूसरे साथी को देकर उससे दूसरी वाली हासिल की जा सके. ...
Daastaan-Go ; Kishore Kumar Rare Interview : ‘मी लॉर्ड, मैंने जब-जब गाना चाहा, तो मेरे बड़े भाई अशोक कुमार ने कहा- अरे जा जा, तू क्या गाएगा, पहले आवाज़ को ठीक कर, माइक के सामने गाना बच्चों का खेल नहीं’. ‘हूं.. यानी अशोक कुमार, उर्फ़ तेरे बड़े भाई ने तुझे डिस्करेज़ किया’. ‘नईं, हां.. नईं भी और हां भी, उनका यही डिस्करेजमेंट मेरे लिए सबसे ज़्यादा एनकरेज़मेंट बन गया, मैंने ठान लिया कि मैं और अच्छा गाऊंगा, और अच्छा गाऊंगा...
Daastaan-Go ; Day when Iraq Attacked on Kuwait : यह थी वह ‘लक्ष्मण रेखा’ जिसका ज़िक्र अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ‘सीनियर’ ने किया था. उस वक़्त जब कुवैत पर इराक़ी हमले के पांच दिन बाद ही उनके मुल्क की अगुवाई में इराक़ के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला गया था. अपने साथी मुल्कों को उन्होंने इस मामले में इराक़ से तय दिख रही लड़ाई के लिए जोड़ना शुरू किया था तब. उस वक़्त उन्होंने कहा था कि ‘हम ‘ऑपरेशन डेज़र्ट स्टॉर्म’ के ज़रिए ‘रेत पर लकीर’ खींचने जा रहे हैं’....
Daastaan-Go : Mohammad Rafi Funeral : तय वक़्त पर स्टूडियो पहुंचे. दुर्गा-पूजा के लिए भजन रिकॉर्ड कराए और शाम ढलते तक घर लौटे. आते ही बैठक में सोफे पर निढाल होकर बैठ गए. अब तक तबीयत कुछ ज़्यादा बिगड़ने के आसार दिखने लगे थे. सीने में दर्द बढ़ गया था. ज़िस्म पसीना-पसीना हो रहा था. नाखून नीले पड़ रहे थे. ये हाल देखकर बेगम बिलक़ीस बानो ने तुरंत अपने घरेलू डॉक्टर को फोन लगाया. उन्होंने मशवरा दिया कि तुरंत रफ़ी-साहब को अस्पताल लेकर आइए. ...
Daastaan-Go ; Mohammad Rafi Death Anniversary : ‘वक़्त’ फिल्म का पहला गाना रिकॉर्ड हुआ, ‘वक़्त से दिन और रात, वक़्त से कल और आज, वक़्त की हर शय ग़ुलाम’. इसी नग़्मे में एक मिसरा है, ‘आदमी को चाहिए, वक़्त से डरकर रहे, कौन जाने किस घड़ी, वक़्त का बदले मिज़ाज’. बस जनाब, यूं बिना कुछ कहे रफ़ी-साहब का ज़वाब बीआर चोपड़ा तक पहुंच गया गोया....
Daastaan-Go ; Baba Sahab Purandare Jaanta Raja : नाटक शुरू हुआ, ‘जाणता राजा’, यानी ‘जनता के राजा’. छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी अवाम ने यह तमगा दिया था. ज़ाहिर तौर पर नाटक उन्हीं के इर्द-गिर्द बुना गया था. एक-एक कर उनकी ज़िंदगी से जुड़े दृश्य मेरे जैसे हजारों देखने वालों की निग़ाहों के सामने से गुजरते जाते थे. किलों पर धावे. सैनिकों की ललकारें. लड़ाइयां. चमकती तलवारें. चिंघाड़ते हाथी. हिनहिनाते घोड़े. कभी जीत. कभी हार. कहीं मार्मिक दृश्य. कहीं विजय का उल्लास. सब कुछ ऐसा, मानो अदाकारी न होकर अस्ल में सामने घट रहा हो....
Daastaan-Go ; Mahashweta Devi and her Literary Contribution : दास-मजदूर प्रथा के विरोध में जहां आंदोलन है, वहां अब ऐसा संभव नहीं. लेकिन व्यवसाय के लिए लड़कियों को बेचना तो चल ही रहा है. ‘दौलती’ आज भी सच है. भारत में सब जगह सच. इसलिए कहानी का अंत भी सोचकर लिखा. ‘दौलती’ का रक्ताक्त सड़ा शव भारत में सर्वत्र फैला हुआ है....
Daastaan-Go ; Amjad Khan Friendship With Amitabh Bachchan : कॉलेज के दौरान ही अमजद खान और उनसे बड़े भाई इम्तियाज़ के ख़िलाफ़ बांद्रा पुलिस थाने में तमाम केस दर्ज हो चुके थे. जानने वालों ने उन्हें एक तमगा भी दे दिया था- अच्छे दिलवाला गुंडा. मतलब अच्छे लोगों के साथ अच्छा होना और ग़लत लोगों को उन्हीं के अंदाज़ में सबक सिखाना, ये अमजद भाई की ख़ासियत थी....
Daastaan-Go ; Amjad Khan other than Gabbar of Sholey ; मशहूर अदाकार अमजद खान की आज पुण्यतिथि है. मुंबई में 27 जुलाई 1992 काे उनका निधन हुआ था. उस वक्त उनकी उम्र महज 51साल थी. उनका जन्म 12 नवंबर 1940 को हुआ था. उनके पिता ज़कारिया खान उर्फ़ ‘जयंत’ भी हिन्दी फिल्मों के मशहूर अदाकार हुआ थे. वे पेशावर से आकर परिवार सहित मुंबई में आ बसे थे....
Daastaan-Go ; Amitabh Bachchan Accident's Story : अमिताभ बच्चन किसी तरह के ऑपरेशन, इलाज, दवा वग़ैरा पर ज़वाबी हरकत नहीं कर रहे थे. नब्ज़ डूब रही थी. नसों में खून का दौड़ना रुक गया था, कुछ देर के लिए. वे कोमा में चले गए. तब उन्हें वेंटिलेटर पर रखने के बाद डॉक्टरों को मज़बूरन कहना पड़ा कि अमिताभ बच्चन ‘क्लीनिकली डेड’ हो चुके हैं. यानी ऐसा, शख़्स जिसका शरीर कोई हरक़त नहीं करता. बस दिमाग चलता रहता है....
Daastaan-Go ; Story of Yahoo's : शुरुआत के सालों में पेज और ब्रिन को लगा कि ये काम उनके वश का है नहीं. लिहाज़ा, उन्होंने ‘बैकरब’ (गूगल Google) के नाम से अपनी जो ‘सर्च-साइट’ बनाई, उसे बेचने का फ़ैसला किया. इस मामले में ‘याहू’ (Yahoo) बेहतर काम कर रही थी. लिहाज़ा, सबसे पहले उसी का दरवाज़ा खटखटाया. ग़ौर कीजिए, महज़ 10 लाख डॉलर में पेज और ब्रिन ने अपनी ‘सर्च-साइट’ को बेचने की पेशकश की. मगर ‘याहू’ ने उसे ख़रीदने से इंकार कर दिया. जबकि ‘बैकरब’ की ‘सर्चसाइट’ तकनीक के मामले में ‘याहू’ के मुकाबले कई दर्ज़े बेहतर थी. यह बात हुई 1998 की....
Daastaan-Go ; Singer Mukesh Birth Anniversary : बड़े सीखे हुए गवैयों की तरह मुश्किल तानें, तिहाइयां, मुरकियां नहीं लेते थे वे. सुरों को गमक देकर झिंझोड़ते नहीं थे. मींड देकर उन पर चढ़ते-उतरते नहीं थे. बल्कि उन्हें आहिस्ता से छूते थे, बस. वैसे ही जैसे उन्होंने ख़ुद कहा है, ‘फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं’. गोया, सुर भी फूल ही तो हैं, नाज़ुक से. ज़ोर-ज़बरदस्ती से बिखर जाया करते हैं. और बिखरे हुए फूल न तो सिर पर चढ़ने के क़ाबिल होते हैं और न अपनी महक से दिलों में उतरने के....
Daastaan-Go ; Anand Bakshi, Birth Anniversary : उस दौर के तमाम अज़ीम शा’इर और हिन्दी, उर्दू अदब से त’अल्लुक़ रखने वालों को बख्शी साहब के लिखे की यह आसानियत नागवार गुज़रा करती थी. वे कहा करते थे, ‘बख्शी साहब कोई कवि या शा’इर नहीं हैं. वे तो सिर्फ़ तुक-बंदी किया करते हैं.’...
Daastaan-Go ; Gangu Bai Hangal Death Anniversary : कहते हैं, सवाई गंधर्व से सीखने के बाद तो गंगूबाई का फ़न यूं निखरा कि एक वक़्त उनके पास फिल्म बनाने वालों, रेडियो, रिकॉर्डिंग स्टूडियो वग़ैरा के नुमाइंदों और महफ़िलों के ऑर्गनाइज़रों की क़तार लगी रहा करती थी. सब उनका वक़्त चाहते थे....
Daastaan-Go ; Naseeruddin Shah Birth Anniversary : ‘ग़ालिब से हमारा त‘अर्रुफ़ नसीरुद़्दीन शाह से शुरू होता है. आज भी जब मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम लिया जाता है तो हमें सिर्फ़ नसीर साहब का ख़्याल आता है. हमने मिर्ज़ा ग़ालिब का पूरा सीरियल देखा. उसे देखने के बाद कह सकते हैं कि हम मिर्ज़ा ग़ालिब को जानते हैं. हमने अगर ग़ालिब को हंसते, रोते या ग़म में डूबे देखा है तो सिर्फ़ गुलज़ार और नसीरुद्दीन शाह की वजह से. हमारे घरों तक ग़ालिब को पहुंचाने में इन दोनों का कोई सानी नहीं.’...
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