जमीन ला तो ख़रीदे खातिर गाँव ला कोन काहय शहर ले चील कउआ असन दलाल मन गली-गली किंजरे ले धर लिस. बात मुँह ले निकलिस नहीं के जमीन ला झपटे खातिर घर मं ओकर मन के रेलम-पेल मचगे. ...
ए सरकार मन ला अतेक पॉवर कोन दे देथे के सत्ता रूपी घोड़ी मं बइठे साठ सातो आसमान मं उड़े ले धर लेथे अउ जनता के हित ऊपर अइसे हनटर बरसावत रहिथे के ओमन कराहत रहि जथे....
ए बिमारी अजार ले अउ जादा बढ़गे हे अइसन मं तीन जुग मं एकर मन के परान नइ बाचय तइसे लागथे. जब हाथी ला ग्राह ह खीचत तरिया के बीच मं लेगे ले धरथे तब ओहर छटपटाय ले धर थे....
जी-परान ले ले के जंगली जानवर अपन जीव ला बचाए खातिर गाँव-गाँव मं धमकथे. किसान मन के फसल के बारा बजावत हे. हाथी, भालू, बेंदरा, तो कोनो गाँव अइसे नइ होही जिहां ओकर मन के डेरा नइ होय होही?...
अभी कातिक के महीना चलत हे. बेटी बहिनी मन फजर (सुबह) ले उठ के तरिया नदिया अस्नान करे बर जाथे. सुरुज देवता उगे के पहिली महादेव के मंदीर मं जाके पूजा पाठ करथे अउ कुंआरी बेटी बहिनी मन मन्नत मांगथे....
सुरुज नारायन जमराज कस बनगे हे, चना गहुँ के होरा कसभुंजत हे सबला जइस्रे कोरोना मनखे मन ला करो करो के मारत हे,जीव ला लेवत हे....
ये इंदिरा हा खैरागढ़ रियासत के नरेश राजा वीरेंद्र सिह अउ रानी पदमावती देवी के बेटी हे. जब ओखर इंतकाल होइस तब उही सुरता मं नावं ला अजर अमर रखे खातिर अपन राज महल ‘‘कमल विलास महल‘‘ ला दान कर दीस....
बिना धन अउ धान के कइसे नेत-घात (योजना) बनही कइसे देषके विकास होही? आत्मनिर्भर बनना हे, देषला आरथिक विकार कोती ले जाना हे तब मुसुवां अउ बैंदरा मन के पांव मं बेड़ी, डारें बिगन थाम नइ बनय....
किसान मन के तकदीर म अइसन सुख कहां, बने - बने हे तब सब बने हे अउ कहूं. अकाल झांक दीस तब ओकर सब कुछ चउपट हो जथै. दूसर कइसनो करके किसान अनाज उपजारथै तब ओमन ला ओकर लागत मूल्य नइ मिलय....
ये सरकार के रीति नीति ल देख के अकुलागे छत्तीसगढ़िया, जान डरिन के जौन सत्ता के कुरसी में बइठे हे तौंन छत्तीसगढ़िया नोहे, एमन नकली छत्तीसगढिया हे. ...
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