सरोज कुमार पिछले पच्चीस वर्षों से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं.
जवने तरह से प्रकृति हर तरह क मौसम बनइले हौ, ओही तरे मौसम के मार से बचय क उपाय भी. गरमी के मार से बचय क प्रकृति में कई ठे उपाय मौजूद हौ. बनारस क लोग प्राकृतिक जड़ी-बूटी क अइसन फारमूला बनइले हउअन कि गरमी का, गरमी क बाप भी कुछ नाहीं बिगाड़ि सकत. बनारसी ठंढई खाली तरावट क ही नाहीं, ताजगी अउर तंदुरुस्ती क भी बेजोड़ फारमूला हौ....
गरमी के मौसम में खरबूजा क चर्चा न होय त ठीक नाहीं बा. खरबूजा स्वाद के साथे गरमी में सेहत बदे भी मुफीद फल हौ. देश के कई इलाकन में खरबूजा क खेती होला, लेकिन जौनपुर क जमैथा गांव खरबूजा के खेती बदे सरनाम हौ. खरबूजा जमैथा क पहचान अउर आर्थिक आधार भी हौ. स्वाद, सुगंध अउर मिठास के मामले में जमैथा के खरबूजा क कवनो जोड़ नाहीं. लेकिन इधर कुछ साल से जमैथा के खरबूजा के स्वाद अउर सुगंध पर जइसे समय क नजर लगि गयल हौ....
नारद एक मात्र ऋषि रहलन, जेकर कवनो ठेकाना नाहीं रहल. उ कभी आश्रम नाहीं बनइलन, आजीवन इहां-उहां भटकत रहलन. दुइ घड़ी से जादा कत्तौ न टिकयं. अपने दैवीय शक्ति बल पर हवा मार्ग से तीनों लोक में विचरण करत रहयं. देवर्षि नारद तीनों लोक के जोड़य वाला एकमात्र सूत्रधार रहलन. एक विलक्षण किरदार, सूचनाकार, अउर ब्रह्मांड क पहिला पत्रकार....
बौद्ध धर्म आज दुनिया क एक बड़ा धरम बनि चुकल हौ. एकर पहुंच दुइ सौ से अधिक देशन में होइ चुकल हौ. कई देश त अपुना के बौद्ध देश तक घोषित कइ चुकल हयन. लेकिन इहां इ जानब जरूरी बा कि एतना विशाल धरम के फइलावय क काम काशी में शुरू भइल रहल. बाबा विश्वनाथ क नगरी काशी, दुनिया क सबसे पुरानी नगरी काशी!...
सनातन धरम में एकादशी तिथि क बहुत मान हौ. एकादशी के आम तौर पर लोग व्रत रखयलन. लेकिन मोहिनी एकादशी क व्रत खास हौ. भगवान विष्णु वैशाख सुदी एकादशी के मोहिनी अवतार लेहले रहलन. इ एकादशी एही के नाते मोहिनी एकादशी कहाला. एह साल गुरुवार के दिन पड़ले के नाते मोहिनी एकादशी मान अउर बढ़ि गयल हौ....
जगत जननी सीता मइया क जनम वैशाख सुदी नवमी के भयल रहल. एकरे एक महीना पहिले भगवान राम क जनम चईत सुदी नवमी के भयल रहल. दूनों दिव्य विभूती मानव जाति के कल्याण बदे धरती पर अवतरित भयल रहलन. हिंदू धरम में जवने तरह से चईत रामनवमी क महत्व हौ, ओही तरे वैशाख सीतानवमी भी खास हौ. मान्यता हौ कि दूनों तिथि पर व्रत रखले से मनुष्य क मनोकामना पूरा होइ जाला, मोक्ष मिलि जाला. ...
अद्वैत वेदांत दर्शन क प्रणेता आदिशंकराचार्य पूरी दुनिया के ज्ञान देहलन, लेकिन ओन्हय ज्ञान मिलल बाबा विश्वनाथ क नगरी काशी में आइ के. काशी पहुंचतय आदिशंकराचार्य के भीतर निर्गुण ब्रह्मोपासना के साथे सगुण भक्ति क धारा फूटि पड़ल, अउर उ जइसे ज्ञान क महासागर बनि गइलन. भगवान शिव क अवतार कहाए वाला शंकराचार्य बाबा के नगरी में आइ के ज्ञानी बनलन, त इ कवनो संयोग नाहीं, बल्कि महायोग रहल....
जइसे साहित्य समाज क आईना होला, ओही तरे लोक कला भी खास लोक अउर समाज क आईना होला. सुख-दुख, दर्द, आशा-निराशा, हास-परिहास, सीख-समझ, सभ्यता-संस्कृति लोक कला के माध्यम से जाहिर करय क लंबी परंपरा रहल हौ. धोबिया लोक कला भी एही में एक हौ. एक समय रहल जब धोबिया नाच, धोबिया गीत, धोबिया नौटंकी अकसर देखय-सुनय के मिलय, लेकिन आज आधुनिकता क सरौता धोबिया लोक कला के भी कतरि देहले हौ. ...
काशी अनंत अउर काशी क कथा भी अनंत बा. हनुमान घाट महल्ला में कांची कामकोटी मठ हौ. इहां से गंगा के तरफ जाए वाली गली में घुसतय एक अलग तरह क अनुभूति होवय लगयला. गली दाएं-बाएं घूमत क आगे एकदम संकरी होइ जाला, अउर गंगाजी के किनारे पहुंचयला. घाटे पर पहुंचतय तन-मन अध्यात्म के गंगा में डूबय लगयला. गंगा किनारे क आखिरी मकान महाप्रभु वल्लभाचार्य क बइठक हौ. महल्ला क लोग कहयलन महाप्रभु आज भी इहां रोज देखल जालन....
बाबा विश्वनाथ क नगरी काशी तमाम रहस्यन से भरल हौ. तमाम संत-महात्मा, ऋषि-मुनि, तपस्वी अपने तप अउर साधना से काशी क रहस्य गूढ़ बनइले हउअन. काशी में मनुष्य के मुक्ति क मार्ग अपने आप में सबसे गूढ़ रहस्य हौ. अलग-अलग पूजा-साधना पद्धति के अनुसार इहां अलग-अलग मंदिर अउर मठ भी मौजूद हयन. गुरुधाम मंदिर एही में से एक हौ. दुइ सौ साल से अधिक पुराना इ मंदिर योग तंत्र साधना क अद्भुत पीठ रहल हौ. अपने तरह क देश क पहिला अउर अनोखा मंदिर....
जमीनी से निकलय वाले तेले क दाम जब से असमाने पहुंच बा, कार त दूर, मोटरसाइकिल चलाइब लोगन क मुश्किल हो गइल बा. कमाई बा नाहीं, महंगाई हनुमानजी के पूंछे की नाईं बढ़ल जाता. केतना जने क कार खड़ी हो गइल, त केतना मोटरसाइकिल पंचर होइ के गर्दा खात बा. मोटरसाइकिली के एह हाल पर साइकिल ठहाका मारि के हंसत हौ-’’बहुत भुर्र भुर्र करत रहले, गोड़ जमीनी पर नाहीं परत रहल. जइसन कइले, ओइसय अब भोग.’’...
धन-दौलत हमेशा से ऊंचाई क पैमाना रहल हौ, लेकिन इतिहास अउर वर्तमान में अइसन कई उदाहरण हयन, जहां ऊंचाई क पैमाना शिक्षा, संकल्प, समर्पण अउर मेहन रहल हौ. एक दबल-कुचलल, दलित, गरीब के ऊंचाई पर पहुंचय क इहय एक रस्ता हौ. संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडर एही रस्ते जमीन से असमान तक क सफर तय कइलन. ...
देश के अजादी के आंदोलन में जलियांवाला बाग नरसंहार सबसे बड़ी अउर वीभत्स घटना रहलथ्रेसर इ घटना जहां एक तरफ अंगरेजी हुकूमत क असली चेहरा बेनकाब कइलस, ओही दूसरी ओर पूरा देश जाति-धरम क झगड़ा भुलाइ के फिरंगिन के खिलाफ एकजुट होइ गयलथ्रेसर एकजुटता क ही परिणाम रहल कि 15 अगस्त, 1947 के आपन देश अजादी क अजोर देखलसथ्रेसर....
जवने जमाने में लड़किन के घरे से बहरे निकलय पर रोक रहल, ओह जमाने में लड़किन के पढ़ाई बदे स्कूल खोलब धरती पर गंगा उतारय से कम नाहीं रहल. इ काम भगीरथ जइसन कवनो महापुरुष ही कइ सकत रहलन. ज्योतिबा फुले अपने भगीरथ प्रयास से इ काम कइ के महापुरुष बनि गइलन....
देश में अंगरेजन के खिलाफ बगावत क पहिली गोली 1857 में बंगाल के बैरकपुर में सिपाही मंगल पांडेय चलइले रहलन. मंगल पांडेय हलांकि गिरफ्तार कइ लेहल गइलन, अउर बगावत के सजा के रूप में अंगरेज ओन्हय आठ अप्रैल, 1857 के फांसी पर चढ़ाइ देहलन. लेकिन मंगल पांडेय के बलिदान के बाद देश में बगावत क जवन बवंडर उठल, उ इतिहास में 1857 के क्रांति के रूप में दर्ज होइ गयल....
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