Palia Assembly Seat: लखीमपुर खीरी जिले की पलिया विधानसभा सीट पर 1990 से पहले तक कांग्रेस प्रभाव रहता था. कांग्रेस नेता छेदालाल चौधरी यहां से चार बार विधायक रह चुके हैं. 1996 के बाद यहां बसपा मजबूत बनकर उभरी और 2002 से लेकर लगातार तीन चुनाव जीती. भाजपा पहली बार 1993 में और दूसरी बार 2017 में इस सीट से जीती है....
Jalalabad Assembly Seat: शाहजहांपुर जिले की जलालाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए अब तक अबूझ पहेली बनी हुई है. भाजपा की हर लहर यहां आकर थम जाती है. 'राम लहर' में 1991 में भाजपा यहां तीसरे नंबर पर थी. 2017 की 'मोदी लहर' में दूसरे नंबर पर पहुंच गई. यह भी पहली बार हुआ था. अभी तक भाजपा प्रत्याशी कभी दूसरे नंबर पर भी नहीं आया था. इस सीट पर पहले कांग्रेस का प्रभाव था, अब सपा का दबदबा है....
Shahjahanpur Assembly Seat: शाहजहांपुर सदर विधानसभा सीट पर 32 साल से प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना का सिक्का चल रहा है. अब तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे पाया है. यह सीट अब भाजपा की मजबूत किला बन चुकी है. यहां इस बात की चर्चा नहीं होती कि कौन जीतेगा, महत्वपूर्ण यह होता है कि इस बार 'खन्ना साहब' की जीत का अंतर क्या होगा....
Powayan Assembly Seat: शाहजहांपुर जिले की पुवायां विधानसभा सीट पर 2017 में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. भाजपा के टिकट से चुनाव जीतने वाले चेतराम पुराने कांग्रेसी हैं और इससे पहले चार बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं. 2017 में वह पांचवीं बार विधानसभा पहुंचे थे. यह सीट भी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करती थी. कांग्रेस की पकड़ कमजोर होते ही इस पर समाजवादी पार्टी काबिज हो गई थी....
Tilhar Assembly Seat: शाहजहांपुर जिले की तिलहर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जितिन प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा था. रोशन लाल वर्मा ने पहली बार यहां से भाजपा का परचम फहराया था. जितिन के भाजपा में आने और रोशन के बागी होने से 2022 में भी यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है....
Katra Assembly Seat: परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई शाहजहांपुर जिले की कटरा विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 2012 में हुआ था. अब तक हुए दो चुनाव में एक बार सपा और एक बार भाजपा जीत चुकी है. इस सीट पर दलित, मुस्लिम, क्षत्रिय, यादव और ब्राह्मण मतदाता प्रभावी हैं. 2017 में भाजपा के वीर विक्रम सिंह ने सपा के राजेश यादव को 16 हजार से अधिक वोटोंं से हराकर जीता था. ...
Dadraul Assembly Seat: शाहजहांपुर की ददरौली विधानसभा सीट पर 2017 में भाजपा को पहली बार जीत मिली थी. यह सीट कांग्रेस की मजबूत गढ़ मानी जाती थी. कांग्रेस के रामऔतर मिश्र इस सीट से चार बार विधानसभा पहुंचे थे. कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई तो यहां बसपा का कब्जा हो गया. 2022 के चुनाव मेंं इस सीट को बचाना भाजपा के लिए चुनौती होगा....
Bisalpur Assembly Seat: पीलीभीत की बीसलपुुर विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री व बसपा नेता अनीस अहमद खान उर्फ फूलबाबू और वर्तमान भाजपा विधायक रामसरन वर्मा के बीच 30 साल से वर्चस्व की जंग चल रही है. तीन बार फूलबाबू और चार बार रामसरन जीते हैं. रामसरन वर्मा के आगे 2022 में जीत की हैट्रिक लगाना चुनौती होगा....
Pilibhit Assembly Seat: पीलीभीत विधानसभा सीट पर सपा नेता रियाज अहमद की पकड़ मजबूत मानी जाती थी. वह इस सीट से चार बार विधायक रहे हैं. 2017 मेंं भाजपा के संजय सिंह गंगवार ने यह सीट उनसे छीन ली थी. 2022 के चुनाव में सीट को बरकरार रखना संजय के लिए चुनौती होगा. ...
Barkhera Assembly Seat: जनसंघ के जमाने से पीलीभीत विधानसभा क्षेत्र में भाजपा मजबूत रही है. सबसे अधिक आठ बार जनसंघ और भाजपा प्रत्याशियों को यहां जीत मिली है. कांग्रेस सिर्फ एक बार जीती है, समाजवादी पार्टी को दो बार मौका मिला है. बसपा का खाता अभी तक नहीं खुला है....
Bareilly Assembly Seat: बरेली विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत भी कर चुके हैं. शुरुआती दो दशक तक इस सीट पर कांग्रेस का प्रभाव था. 80 के दशक में भाजपा ने यहां दबदबा कायम किया था. जिसे अभी तक कोई चुनौती नहीं दे पाया है. बसपा और सपा के लिए तो यह सीट अबूझ पहले जैसी है....
Puranpur Assembly Seat: पीलीभीत जिले की पूरनपुर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक चार बार कांग्रेस को जीत मिली है. भाजपा पहली बार 1991 में जीती थी. अब तक तीन बार जीत चुकी है. दो-दो बार जनता दल और सपा, एक-एक बार बसपा, जनसंघ, बीकेडी और जनता पार्टी को भी जीत मिली है....
Aonla assembly Seat: बरेली जिले की आंवला विधानसभा सीट पर अब तक हुए 17 चुनावों में सबसे अधिक आठ बार भाजपा जीती है. इससे पहले दो बार जनसंघ के खाते में भी यह सीट रही है. वर्तमान में प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं....
Bareilly Cantt Assembly Seat: साल 2008 के परिसीमन से पहले बरेली कैंट विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व हुआ करता था. अब वैश्य मतदाता भी निर्णायक स्थिति में आ गए हैं. वैश्य के साथ अन्य अगड़ी जाति के वोटरों के समीकरण और ध्रुवीकरण के बल पर भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है....
Nawabganj Assembly Seat: बरेली की नवाबगंज सीट पर पूर्व मंत्री और भगवत शरण गंगवार की पकड़ मजबूत मानी जाती है. वह यहां से पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं. 2017 में भाजपा के केसर सिंह ने उन्हें बड़े अंतर से मात दी थी....
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