जेआरडी टाटा ने करीब 50 साल तक टाटा समूह का नेतृत्व किया.
नई दिल्ली. ‘टाटा’ भारतीय उद्योग जगत का ऐसा नाम जो हर क्षेत्र में छाया हुआ है. टाटा समूह की कंपनियां आज देश के 11 सेक्टर में काम कर रही हैं और लंबे समय तक इसकी अगुवाई करने वाले जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata) सच में भारतीय उद्योग जगत के ‘दादा’ साबित हुए हैं. वैसे तो जेआरडी टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 को पेरिस में हुआ था, लेकिन उनका ज्यादातर जीवन भारत में ही बीता और उन्होंने भारतीय उद्योग जगत को ऐसी ऊंचाइयों तक पहुंचाया जिसे आज भी दुनिया सलाम करती है. आज उनकी पुण्यतिथि है.
जेआरडी ने साल 1925 में बिना वेतन के ही टाटा एंड संस में बतौर ट्रेनी अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने बेहद कम समय में उद्योग जगत को अपनी काबिलियत दिखाई और साल 1938 में टाटा एंड संस के अध्यक्ष चुन लिए गए. इसके बाद उन्हें अपने विजन को विस्तार देने का मौका मिला और भारतीय उद्योग जगत का दुनियाभर में डंका बजने लगा. उनके कार्यकाल में टाटा समूह की संपत्ति 10 करोड़ डॉलर से बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंच गई. जेआरडी के हाथ जब टाटा समूह की कमान आई तो इसमें 14 उद्यम शामिल थे, लेकिन करीब 50 साल की सेवा के बाद जब उन्होंने पद छोड़ा तो इन उद्यमों की संख्या बढ़कर 95 पहुंच चुकी थी.
दो विजन जो सब पर भारी
उद्योगों को लेकर जेआरडी का नजरिया इतना दूरदर्शी था कि जिस समय भारत में कंप्यूटर था भी नहीं तभी उन्होंने 1968 में टाटा कंप्यूटर सेंटर की नींव डाल दी थी. अब यह कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के नाम से जानी जाती है. इसके साल 1979 में उन्होंने टाटा स्टील की स्थापना की, जिसने भारतीय इस्पात उद्योग की पहचान बदलकर रख दी. इससे पहले साल 1945 में जेआरडी टाटा मोटर्स की स्थापना कर चुके थे. देश की पहली एयरलाइन बनाने की उपलब्धि भी उन्हीं के पास है.
जिस धंधे में हाथ डाला ‘सोना’ बना दिया
जेआरडी ने भारतीय उद्योग जगत के लगभग सभी प्रमुख सेक्टर में अपने उद्यमों की शुरुआत की. आज टाटा समूह का विस्तार 6 महाद्वीपों के 100 से ज्यादा देशों में है. फिलहाल टाटा समूह देश के 11 सेक्टर में काम कर रहा है और इसकी 29 से ज्यादा कंपनियां हैं. फिलहाल टाटा समूह के तहत टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा केमिकल, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट, टाइटन, टाटा कैपिटल, टाटा पावर, इंडियन होटल्स, टाटा कम्यूनिकेशंस, टाटा डिजिटल और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां हैं.
अब पानी के कारोबार में उतरेगी कंपनी
कहते हैं कि टाटा समूह सुई से लेकर हवाई जहाज तक सब बनाता है. यह बात सही भी है, क्योंकि इस समूह के पास नमक, घड़ी, आभूषण, रसायन, सहित लगभग हर क्षेत्र से जुड़े उत्पादों की फेहरिस्त है. अब यह समूह पानी के कारोबार में भी उतरने वाला है. कयास हैं कि देश की जानी-मानी कंपनी बिसलेरी को टाटा समूह करीब 7 हजार करोड़ रुपये में खरीदने वाली है. अगर ऐसा होता है तो अब बिसलेरी को टाटा का भरोसेमंद नाम भी मिल जाएगा.
देश का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह
टाटा समूह की कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण देखा जाए तो यह देश का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह है. टाटा समूह के तहत करीब 29 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं और 31 मार्च, 2022 तक इसका कुल बाजार पूंजीकरण 311 अरब डॉलर यानी करीब 23.6 लाख करोड़ रुपये है. टाटा समूह में अभी करीब 10 लाख कर्मचारी काम करते हैं.
दान के लिए मिला भारत रत्न
जेआरडी ने न सिर्फ भारतीय उद्योग जगत को ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि दान और सामाजिक कार्यों में भी बड़ी भूमिका निभाई है. सबसे पहले तो उन्होंने अपनी कंपनी के कर्मचारियों के लिए हितकारी नीतियां बनाई. इसके तहत कर्मचारी संगठन बना जो उनके लिए आवाज उठा सके. साथ ही उन्होंने काम के घंटे (8 घंटे) तय किए और निशुल्क इलाज व दुर्घटना क्षतिपूर्ति जैसी योजनाएं शुरू की. जेआरडी ने सामाजिक कार्यों के लिए कई संस्थानों का निर्माण किया. उनके इसी योगदान के लिए सरकार ने सर्वोच्च नागरिकता सम्मान भारत रत्न से नवाजा.
समूह की हर कंपनी स्वतंत्र लेकिन…
टाटा समूह की हर कंपनी स्वतंत्र रूप से काम करती है, जिसकी जिम्मेदारी उसके निदेशकों के पास रहती है. सभी कंपनियों पर निगाह रखने के लिए टाटा संस के नाम से एक स्वतंत्र कंपनी बनाई गई जो टाटा की सभी कंपनियों की प्रिंसिपल इंवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी और प्रमोटर है. टाटा संस के 66 फीसदी शेयरों का अधिकार परोपकारी ट्रस्ट के पास है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति के विकास में मदद करता है.
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