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आजमाएं गाय-भैंस से दूध बढ़ाने के ये घरेलू नुस्खे, कम लागत में मिलेगा बंपर फायदा!

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सफल पशुपालन की 2 निशानियां होती हैं. एक तो पशुओं का बेहतर स्वास्थ्य और दूसरा अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन . इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये पशुओं का रखरखाव, साफ-सफाई और खान-पान, सेहत और सैर-सपाटे पर काफी ध्यान रखना होता है.

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रायबरेली. पशुपालन लोगों के लिए समृद्धि का द्वार खोलने के साथ ही रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. पशुपालन से लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अब ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र के लोग एवं पढ़े-लिखे युवा भी इसके जरिए अपनी तकदीर बदल रहे हैं. सफल पशुपालन की 2 निशानियां होती हैं. एक तो पशुओं का बेहतर स्वास्थ्य और दूसरा अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन . इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये पशुओं का रखरखाव, साफ-सफाई और खान-पान, सेहत और सैर-सपाटे पर काफी ध्यान रखना होता है.

रायबरेली के पशु विशेषज्ञ डॉ. आई. जे. वर्मा (एमवीएसी वेटनरी) बताते हैं कि पशुओं को दुग्ध उत्पादकता में कमी आने का प्रमुख कारण मौसम में बदलाव होना होता है. अत्यधिक गर्मी बरसात या ज्यादा सर्दी होने पर उनके दुग्ध उत्पादन में कमी आती है. क्योंकि इस दौरान पशुओं में हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं. जिससे कई प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिनमे प्रमुख रूप से पशुओं के थानों में संक्रमण ,परजीवी संक्रमण शामिल है.
इन बातों का रखें ध्यान
इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि पशुओं को सिर्फ हरा चारा खिलाने से दूध उत्पादन नहीं बढेगा, इसलिये हरे चारे या सूखे चारे के साथ मिनरल और कैल्शियम की भी आपूर्ति करें. इसके लिये पशु विशेषज्ञों की सलाह लेकर प्रो पाउडर, मिल्क बूस्टर, मिल्कगेन आदि पशुओं को चारे के साथ खिला सकते हैं. ध्यान रखें कि पशुओं को आहार किलाने से पहले कम से कम 4 से 5 घंटे के लिये दाने को भिगो देना चाहिये, ताकि पशुओं को आहार पचाने में कोई परेशानी ना हो.पशुओं को साधारण हरा चारा ना खिलायें, बल्कि नेपियर घास, अल्फा, बरसीम, लोबिया, मक्का की उन्नत किस्मों का चारा भी खिलाते रहें. अच्छे फैट वाले दूध के लिये पशु आहार में कैल्शियम, मिनरल मिक्सचर, नमक, प्रोटीन, वसा, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति करते रहें
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