सुदूर ब्रह्मांड में हुआ दो ब्लैक होल्स का महाविलय, 7 अरब साल बाद पृथ्वी पहुंचा सिग्नल

दो ब्लैक होल का हुआ विलय.
दो ब्लैक होल (Black Hole) के मिलने की घटना के बाद पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण तरंगें पिछले साल 21 मई को महसूस की गई थी.
- News18Hindi
- Last Updated: September 15, 2020, 11:11 AM IST
नई दिल्ली. ब्रह्मांड में मौजूद ब्लैक होल्स (BLack hole) वैज्ञानिकों के लिए लगातार रहस्य रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये ब्लैक होल बड़ी मात्रा में ऊर्जा समेटे होते हैं. अब आप सोचिए कि अगर दो ब्लैक होल्स आपस में मिल जाएं या यूं कहें कि ब्रह्मांड में 9 सूर्य आपस में भिड़ जाएं तो क्या होगा. दरअसल ऐसी ही एक घटना ब्रह्मांड में घटी है. इसका असर हमारी पृथ्वी पर भी पड़ा है. यहां तक यह प्रभाव गुरुत्वाकर्षण तरंगों के रूप में आया है.
दो ब्लैक होल के मिलने की घटना के बाद पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण तरंगें पिछले साल 21 मई को महसूस की गई थी. वैज्ञानिकों ने अब इस घटना के संबंध में पूरी जानकारी साझा की है. उनके अनुसार इस प्रभाव को पृथ्वी तक आने में सात अरब साल लग गए. यह प्रभाव इतना शक्तिशाली था कि इससे अमेरिका और इटली में स्थापित लेजर डिटेक्टर तक हिल गए. वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक दो ब्लैक होल के आपस में मिलने से एक बड़े ब्लैक होल का निर्माण हुआ. इसका द्रव्यमान सूर्य से भी 142 गुना अधिक था.
वैज्ञानिकों ने बताया कि ब्लैक होल की टक्कर के दौरान करीब नौ सूर्यों के बराबर ऊर्जा उत्पन्न हुई. अंतरिक्ष में मौजूद ब्लैक होल वह इलाका होता है जहां गुरुत्वाकर्षण खिंचाव बेहद शक्तिशाली होता है. इसमें से कोई चीज बाहर नहीं जा सकती, प्रकाश भी नहीं. कुछ ब्लैक होल्स का द्रव्यमान सूरज से अरबों गुना अधिक होता है.
ब्लैक होल से निकली गुरुत्वाकर्षण तरंगें पहचानने के लिए अमेरिका में लिगो और इटली में वर्गो डिटेक्टर स्थापित किए गए हैं. लिगो और वर्गो ने ही इस बड़ी खगोलीय घटना को महसूस किया. इनके लेजर इंटरफेरोमीटर उपकरण अंतरिक्ष में उन कंपनों को सुनते हैं, जो बड़ी ब्रह्मांडीय घटनाओं से उत्पन्न होते हैं. पिछले साल 21 मई को दोनों ने एक तीव्र सिग्नल पकड़ा था. यह एक सेकेंड के दसवें हिस्से के बराबर था.
दो ब्लैक होल के मिलने की घटना के बाद पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण तरंगें पिछले साल 21 मई को महसूस की गई थी. वैज्ञानिकों ने अब इस घटना के संबंध में पूरी जानकारी साझा की है. उनके अनुसार इस प्रभाव को पृथ्वी तक आने में सात अरब साल लग गए. यह प्रभाव इतना शक्तिशाली था कि इससे अमेरिका और इटली में स्थापित लेजर डिटेक्टर तक हिल गए. वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक दो ब्लैक होल के आपस में मिलने से एक बड़े ब्लैक होल का निर्माण हुआ. इसका द्रव्यमान सूर्य से भी 142 गुना अधिक था.
वैज्ञानिकों ने बताया कि ब्लैक होल की टक्कर के दौरान करीब नौ सूर्यों के बराबर ऊर्जा उत्पन्न हुई. अंतरिक्ष में मौजूद ब्लैक होल वह इलाका होता है जहां गुरुत्वाकर्षण खिंचाव बेहद शक्तिशाली होता है. इसमें से कोई चीज बाहर नहीं जा सकती, प्रकाश भी नहीं. कुछ ब्लैक होल्स का द्रव्यमान सूरज से अरबों गुना अधिक होता है.