रिपोर्ट – जुगल कलाल
डूंगरपुर. जिस दौर में लोग पेड़-पौधों को काटकर पयार्वरण को नुकसान पंहुचा रहे हैं. उस दौर में एक सिविल इंजीनियर और उनकी सॉफ्टवेयर इंजीनियर पत्नी का पयार्वरण के प्रति अनूठा प्रेम दिखाई दे रहा है. जिन्होंने न केवल घर के बाहर बाग बगीचों का संरक्षण किया हुआ है, बल्कि वह बारिश के पानी के भी संरक्षण में जुटे हुए हैं.
डूंगरपुर शहर के उदयपुरा के रहने वाले आशीष पंडा और उनकी पति मधुलिका ने अपने घर को प्रकृति से जोड़कर तैयार किया है. आशीष और उनकी पत्नी मुधुलिका का 5300 स्क्वायर फीट का प्लॉट है, जिसमें से उन्होंने 2300 स्क्वायर फीट पर घर बनाया है. बाकि खुले भाग को उन्होंने पक्का नहीं बनवाकर उसमें मिट्टी ही रहने दी, जिसमें उन्होंने छोटे- बड़े करीब 500 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं. जिसमें में से कई औषधीय पौधों के साथ ही साग- सब्जियां भी उगाई गई हैं. आशीष कहते हैं कि घर के बाहर से लेकर अंदर तक पयार्वरण की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा गया है.
सालभर पीते हैं बारिश का पानी
आशीष न केवल पेड़-पौधों को बचाने में जुटे हैं, बल्कि वे बारिश के पानी का भी संरक्षण कर रहे हैं. आशीष ने अपने घर पर वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम लगाया है. इससे न केवल जमीन का जल स्तर बढ़ता है, बल्कि बारिश से इकठ्ठा होने वाले पानी को ही वह सालभर में पीने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं.
आशीष बताते हैं कि उन्होंने घरलेू इस्तेमाल के 45 हजार लीटर पानी का टैंक तैयार करवाया. यही पानी सालभर पीने में इस्तेमाल होता है. इसके अलावा 90 हजार लीटर पानी का टैंक अलग से है जो भूजल स्तर को रिचार्ज करता है. वहीं 90 हजार लीटर का एक और टैंक है जो घर के वेस्ट पानी (जो किचन के बतर्न धोने व कपड़े धोने से निकलने वाला पानी) को इकट्ठा करता है. यह पानी पेड़-पौधों की सिंचाई में काम आ जाता है.
पेड़-पौधों की पत्तियों और बचे खाने से बनाते हैं खाद
मधुिलका के अनुसार किस पेड़ से क्या क्या फायदे हैं, यह सब जानकर ही पेड़ लगाए हैं. वहीं, बगीचे में ज्यादातर पेड़ ऐसे हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाते रहते हैं. अक्सर देखा जाता है कि लोग पेड़-पौधों की सूखी पत्तियों या कचरे को इकठ्ठा करने के बाद जला देते हैं, लेकिन दंपती ने उसे जलाने के बजाय एक ड्रम में इकट्ठा करते हैं वहीं इसी ड्रम में रोजाना के बचे हुए खाने और वेस्ट को इकट्ठा कर देशी खाद और जैिवक खाद तैयार करते हैं, जिसे अपने बगीचे में इस्तेमाल करते हैं.
बगीचे से ही मिलती हैं ताजी सब्जियां और फल
आशीष बताते हैं कि उनके बनाए इस बगीचे में कई सब्जियां और फलों के पेड़ भी हैं, जिससे उन्हें सालभर सब्जियोें और फलों के लिए बाजार में नहीं जाना पड़ता. केवल कुछ विशेष जरूरत होने पर ही वे बाजार का सामान उपयोग करते हैं. बाकी 80 प्रतिशत सब्जियां और फल उनको बगीचे से ही मिल जाते हैं.
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