कहते हैं दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम. तभी तो जब आखिर तक भी लगता है कि शायद अब इसे कोई न खाए तब भी कोई न कोई दावेदार आखिरी निवाले को खाने भी आ धमकता है. लेकिन उनका क्या जो हर रोज़ दाने-दाने को मोहताज़ है लेकिन बड़े-बड़े स्टोर्स 10-10 लोगों का खाना यूं ही फेंक देते हैं.
इन सब के बीच इंग्लैंड के नॉर्थम्प्टन में 62 साल की जिल बेनेट ने ये खुलासा कर सबको चौंका दिया कि वो बड़ी-बड़ी दुकानों के फेंके जाने वाले कचरे से अपने खाने का इंतज़ाम कर लेती है. और तीन वक्त का भरपेट भोजन कर रही हैं वो भी सुपरमार्केट जैसी बड़ी कंपनियां के फेंके जाने वाले वेस्ट से. पिछले एक महीने से यही कर रही है. वो इसे गलत भी नहीं मानती क्योंकि उन्हें खाने-पीने की बर्बादी से सख्त नफरत है.
कचरे से लेकर खाने लगी बढ़िया ताज़ा खाना
कुछ लोग जो फेंक देते हैं वो कई लोगों की महती ज़रूरत पूरी करने का काम करता है. एक बार जब बेनेट राशन लेने गई थी तभी पास के सुपरमार्केट के बाहर बड़े-बड़े 10 गार्बेज बैग में कुछ सामान लेकर शॉपकीपर फेंकने जा रहा था. बेनेट ने उसे रोक कर वो बैग मांग लिए जिसे खोल कर देखने पर वो दंग रह गई. कचरे में फेंके जाने वाले बैग में सीलबंद खाने के तमाम सामान पड़े थे. ताजी सब्जियां, फल, मांस के टुकड़े, रेडीमेड खाना जैसी कई चीजें. ये सब बिक्री हो जाने के बाद एक्स्ट्रा बच गए थे लिहाज़ा बड़ी-बड़ी दुकाने उसे कचरे में डलवा देती हैं. जैसे ही सुपरमार्केट के इस रूटीन का पता चला वो हर रोज़ ठीक उसी वक्त पर नियम से आने लगी जिस वक्त दुकानों से वेस्ट मैटेरियल फेंकने के लिए बाहर आता है. बस हर रोज़ वो गार्बेज बैग ले लेती और उनके खाने-पीने का अच्छा जुगाड़ चल निकला.
यूं ही फेंक देते हैं बचा हुआ एक्स्ट्रा सामान
बेनेट के मुताबिक पिछले एक महीने से जो खाना वो खा रही हैं वो बिल्कुल साफ और ताज़ा है. और पहले से कहीं बेहतर खाया. सुपरमार्केट के कर्मचारी से पूछने पर पता चला कि बाकी बड़े स्टोर्स भी इसी तरह बचा हुआ माल कचरे में निकाल देते हैं जिसके बाद एक बार बेनेटे किसी और दुकान का रुख किया जहां से उन्हें फल, सब्जिया, नॉनवेज़ के अलावा महंगे ब्रांड की चॉकलेटी का पूरी डिब्बा भी मिला जो अपना एक्पायरी डेट के अंदर ही था. इस तरह बेनेट कई बार अपने समुदाय से जुड़े कुछ और लोगों को भी खाने की सामग्री देने लगी. साथ ही उनका कहना ही उन्हें इस खाने को लेने औऱ खा लेने में कोई शर्मिंदगी नहीं है. क्योंकि जहां बड़ी संख्या में लोग भूखों मरते हैं वहां इतनी-इतनी खाद्य सामग्री हर दुकानें कचरे में फेंद दे रही हैं जो गलत है. ये हालत तब है जब बिजनेस वेस्ट के एक हालिया अध्ययन के मुताबिक यूके एक ही स्ल में लगभग 9.5 मिलियन टन खाने का सामान फेंकता है. जबकि यूके में 8.4 मिलियन लोग खाद्य गरीबी का शिकार हैं.
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