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अत्‍याचार की इंतहा , अंग्रेजों के सामने बैठने के लिए भी लेनी पड़ती थी परमिशन, सर्टिफ‍िकेट देखकर आपका भी खून खौल उठेगा

सोशल मीडिया पर एक ऐसा दस्‍तावेज वायरल हो रहा है जिससे पता चलता है कि अंग्रेज भारतीयों पर इतना अत्‍याचार करते थे कि उनके सामने बैठने के लिए भी परमिशन लेनी पड़ती थी. (Photo-Twitter-@Raghuraj_Bhadri)

सोशल मीडिया पर एक ऐसा दस्‍तावेज वायरल हो रहा है जिससे पता चलता है कि अंग्रेज भारतीयों पर इतना अत्‍याचार करते थे कि उनके सामने बैठने के लिए भी परमिशन लेनी पड़ती थी. (Photo-Twitter-@Raghuraj_Bhadri)

India @ 75 : गणतंत्र दिवस पर वैसे तो पूरे देश में जश्न का माहौल है पर इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा दस्‍तावेज वायरल हो ...अधिक पढ़ें

हमें आजादी कितनी मुश्किल से मिली है यह हम सभी को पता है. अंग्रेजों को भगाने के लिए लोगों ने जुल्म सहे हैं. सैकड़ों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं. उसके बाद हम आज गणतंत्र दिवस मना रहे हैं. पर सोशल मीडिया पर एक दस्‍तावेज वायरल हो रहा है जिसे देखकर लोग अंग्रेजों के अत्‍याचार को याद करने लगे हैं. यह दस्‍तावेज- यूपी के कुंडा से विधायक राजा भैया ने अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर किया है.

इससे पता चलता है कि एक समय ऐसा भी था जब हमें अंग्रेजों के सामने बैठने के लिए परमिशन लेनी पड़ती थी. अंग्रेज हमें बैठने के लिए एक सर्टिफिकेट देते थे. उस सर्टिफिकेट को हमें दिखाना पड़ता था, फिर हम बैठते थे. इस सर्टिफिकेट को ट्विटर पर शेयर करते हुए राजा भैया ने लिखा है- आज़ादी अनमोल है, ये सबक़ हम सभी को याद रहे. बता दें कि यह सर्टिफिकेट राजा भैया ने पिछले साल 29 जनवरी को ट्वीट किया है लेकिन आज गणतंत्र दिवस के मौके पर यह एक बार फ‍िर वायरल हो रहा है.

बकायदा जारी होता था मुहर लगा सर्टिफ‍िकेट
सर्टिफ‍िकेट में एक भारतीय को ब्रिटिश अधिकारियों के इंतजार में बैठने की इजाजत दी गई थी. तब ‘कुर्सी नशीन’ नाम से यह सर्टिफ‍िकेट जारी किया जाता था. 1887 के जुलाई में दिल्ली जिले की ओर से यह प्रमाणप. शेद पार्षद के पुत्र राम नरसिम को जारी किया गया था. डेप्‍युटी कमिश्नर ने यह सर्टिफ‍िकेट जारी किया था और बकायदा इस पर मुहर भी लगी थी. आजादी से पहले भारतीयों को ब्रिटिश अधिकारी की प्रतीक्षा में कुर्सी पर बैठने की अनुमति नहीं थी, जब तक कि उनके पास यह प्रमाण पत्र न हो.

लोगों ने कहा, न भूलो उस संघर्ष को
पोस्‍ट को करीब पांच हजार लाइक मिले हैं और 700 से ज्‍यादा लोगों ने इसे रीट्वीट किया है. कई लोग इस पर कमेंट भी कर रहे हैं. एक शख्‍स ने लिखा है, हमें मानसिक गुलामी से ऊपर उठकर खुद को अपने राष्ट्र के लिए साबित करना होगा. एक अन्‍य यूजर ने लिखा, न भूलो उस संघर्ष को, न भूलो उस लहू के कतरे को, न भूलो उस पीड़ा को, न भूलो उस अपमान को, मिली है आज़ादी बहुत कुछ खोने के बाद, झुकाओ शीश और करो नमन उस बलिदान को। जय हिंद.

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