हम सभी जानते हैं कि खिलाड़ियों (Athlete) के लिए पौष्टिक खाना और उसका पचना कितना ज़रूरी है. बिना इसके उन्हें एनर्जी और स्टेमिना नहीं मिल सकता. हालांकि 36 साल के जुआन डुआल (Juan Dual ) ने इन सभी सिद्धांतों को धता बताते हुए एक ऐसी परिस्थिति में जीना सीख लिया है, जो दुनिया के लिए मिसाल है. न तो उनका पेट है, न ही पाचन तंत्र (stomach, colon, rectum and gallbladder removed) फिर भी वे ज़िंदगी जी रहे हैं और ज़िंददादिली सिखा रहे हैं.
जुआन डुआल (Juan Dual ) के साथ ये सब अचानक नहीं हुआ. ये उनके परिवार में चली आ रही अनुवांशिक बीमारी ( colon adenocarcinoma) थी. उनके परिवार के ज्यादातर लोगों की मौत की वजह ही कोलन कैंसर ( colon cancer) बना था. इसकी वजह से उन्हें पेट में इंफेक्शन हुआ और इस इंफेक्शन ने धीरे-धीरे उनकी जान ले ली. जुआन को भी 13 साल की उम्र में ही इस बीमारी का पता चल गया था और धीरे-धीरे उनके पेट में भी इंफेक्शन फैलने लगा था.
हर सर्जरी के बाद पेट से एक अंग होता था कम
Familial multiple polyposis नाम की घातक बीमारी उनके परिवार के लगभग हर सदस्य को थी, जिसने पाचन तंत्र ( digestive system) को खत्म करके उन्हें दर्दनाक मौत दी. खुद जुआन के पिता को भी सर्जरी का सामना करना पड़ा था. 19 साल की उम्र में जुआन की पहली सर्जरी हुई और उनके मलाशय (colon and rectum) को निकालना पड़ा. 28 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बीमारी उनके पेट को इंफेक्ट करने लगी और उनके आमाशय को भी निकाल दिया गया. इसने उनके वज़न को तेज़ी से कम किया और वे महज 57 किलो के रह गए. अभी सिलसिला खत्म नहीं हुआ था, उन्हें अपनी अगली सर्जरी के बाद पेट से गॉल ब्लैडर को भी निकलवा देना पड़ा, ताकि इंफेक्शन और न फैले. इतनी सर्जरीज़ ने उनके शरीर को बुरी तरह से तोड़कर रख दिया. कभी 106 किलो के रहने वाले जुआन का वज़न महज 50 किलो रह गया.
... और फिर इच्छाशक्ति ने दिया साथ
इतना सब कुछ होने के बाद जब उनकी हालत थोड़ी सुधरी तो वे अपने दोस्तों से मिलने के लिए जापान गए. उन्हें जापान की भाषा तो नहीं आती थी, इसलिए उन्होंने कुत्तों के साथ टहलते हुए अपना वक्त गुजारना शुरू किया. इसी बीच एक रोज़ वे कुत्ते के पीछे भागे तो उन्हें पता चला कि वे अब भी जॉगिंग करने की क्षमता रखते हैं. यहीं से जुआन ने अपनी राह चुन ली, वे इंग्लैंड के छोटे से पहाड़ियों वाले गांव में चले गए. वे पहाड़ियों पर दौड़ते हुए अपना वक्त बिताते थे और एक्सरसाइज़ करते थे. लोग उन्हें देखकर आश्चर्य में पड़ जाते थे कि वे किस तरह की बुरी परिस्थिति में भी अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं.
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बिना पेट के कैसे लगती है भूख, कैसे पचता है खाना?
अपने शरीर के नए सिस्टम को समझने के लिए उन्होंने एक न्यूट्रिशनिस्ट की मदद ली और जाना कि उनके शरीर में एनर्जी लेवल कैसे बना रहे. पेट नहीं होने की वजह से उनका दिमाग भूख का सिग्नल ही नहीं पाता. ऐसे में जुआन अपने लिए खाने का टाइम टेबल बनाकर चलते हैं. वे कुछ-कुछ देर पर एक निश्चित समय तक ही खाना खाते हैं. चूंकि उनका खाना पचकर ऊर्जा स्टोर नहीं करता, ऐसे में उन्हें बार-बार खाना खाना पड़ता है. वे कुछ खास परहेज़ नहीं करते. अब उनकी स्थिति ये है कि अपने आखिरी ऑपरेशन के 8 महीने बाद ही वे मैराथन में दौड़ने लगे थे. इसके बाद उन्होंने माउंटेन रनिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी. जुआन बताते हैं कि इससे उन्हें प्रेरणा मिलती है.undefined
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Tags: Disease, Fitness, Success Story
FIRST PUBLISHED : July 23, 2021, 07:25 IST