नदी के किनारे बैठना या उसके पानी में अठखेलियां करना किसे पसंद नहीं होता? सोचिए अगर एक खूबसूरत नदी में आप उतर जाएं और उससे बाहर निकलते ही आपको लेने के देने पड़ जाएं, तो क्या होगा? रूस (Russia) की टेका नदी (Techa River) ऐसी ही है. इस नदी का पानी इतना ज्यादा रेडियोएक्टिव (radioactive river) है, कि शरीर पर लगते ही ये आपको जानलेवा बीमारियां दे सकता है.
टेका नदी (Techa River) को आप देखेंगे तो ये बाकी नदियों की ही तरह सुंदर और शांत दिखाई देती है. ये नज़ारा आपको नदी के पास जाने के लिए मजबूर कर देगा. हालांकि इस नदी के अंदर छिपा हुआ रहस्यमय न्यूक्लियर कम्पाउंड (Secret Nuclear Compound) इसके पानी को इतना ज्यादा ज़हरीला बना चुका है, कि शरीर पर छूते ही ये जानलेवा बीमारियों की वजह बन सकता है.
क्यों ज़हर बन गया नदी का पानी?
दरअसल, रूस में हुई न्यूक्लियर आपदा Chernobyl Nuclear Disaster के बाद इस नदी में ही उस रहस्यमयी न्यूक्लियर कंपाउंड को फेंका गया था, जो हज़ारों लोगों को प्रभावित कर चुका था. इस नदी के पानी में इतना ज्यादा रेडिएशन है कि टेका के पास बसे तमाम गांवों के लोगों को यहां से निकालना पड़ा. पिछले 13 सालों के अंदर 23-24 ग्रामीण समुदाय यहां से जा चुके हैं, हालांकि उससे पहले ही हज़ारों लोगों को इस पानी के चलते कैंसर, क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलिटी और जन्मजात विकलांगता हो चुकी है. आधिकारिक तौर पर आज भी कहा जा रहा है कि नदी का पानी इस्तेमाल करने योग्य है, लेकिन इसके आस-पास रहने वाले लोगों की दुर्दशा अलग ही कहानी कहती है.
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हजारों लोगों की सेहत का दुश्मन बना पानी
रूस के पर्यावरणविद मयाक ने एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए ये बात बताई कि 1949-1956 के बीच नदी में 76 मिलियन क्यूबिक मीटर खराब पानी टेका नदी में फेंका गया था. ये बात सभी को पता थी कि इस पानी को 2 दर्जन गांव के लोग इस्तेमाल करते थे. इन गांवों में रहने वाले 28 हज़ार लोगों ने इस पानी को इस्तेमाल किया. साल 2007 में हुए एक सर्वे में ये बात सामने आई कि इस नदी के पानी से कैंसर होने के चांस 3.6 गुना ज्यादा हो जाता है, जबकि 25 फीसदी ज्यादा चांस इस बात का होता है कि बच्चों क जन्मजात विकृति हो जाए. रूस ने 1980 के दशक तक पर्यावरणविद मयाक की बात को ही नकार दिया था. Nuclear Engineering magazine के मुताबिक पिछले साल अधिकारियों की ओर से नदी के किनारे कई तरह के वॉर्निंग साइन बोर्ड्स लगाए गए हैं, ताकि कोई इसके पानी को इस्तेमाल में न लाए.
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