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वो देश जहां सालभर में मारे गए डेढ़ लाख लोग, फिर भी हो गई डेड बॉडीज की कमी, अब विदेश जाकर लाश ला रहे लोग

लाशों की कमी के कारण प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे डॉक्टर्स (इमेज- सांकेतिक)

लाशों की कमी के कारण प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे डॉक्टर्स (इमेज- सांकेतिक)

आजतक आपने किसी देश में पैसों की कमी या खाने की कमी के बारे में सुना होगा. लेकिन आज हम आपको ऐसे देश के बारे में बताने जा ...अधिक पढ़ें

दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां पैसों की कमी या खाने की कमी हो जाती है. चाहे पाकिस्तान हो या श्रीलंका, कई देश ऐसी कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में मदद के लिए वो दूसरे देशों से मदद मांगते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ऐसे किसी देश के बारे में सुना है, जहां डेड बॉडीज की कमी हो गई है. जी हां, दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश में शामिल रुस में डेड बॉडीज की कमी हो गई है. जी हां, इस समय रुस लाशों की कमी से जूझ रहा है. ये हालत तब है जब सालभर में इस देश के करीब डेढ़ लाख सैनिक यूक्रेन में मारे लाश जा चुके हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, यूक्रेन में रुस के करीब डेढ़ लाख सैनिक मारे गए हैं. इसके बाद भी रुस में लाशों की कमी हो गई है. इस कमी की वजह से देश के डॉक्टर्स को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए लाश नहीं मिल रही है. ऐसे में उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए विदेश जाकर लाश का जुगाड़ करना पड़ रहा है. टेलीग्राम चैनल बाज़ा ने रुस के प्राइवेट अनटोमिकल लैब के हेड अलेक्सी इवानोव के हवाले से बताया कि रुस के मेडिकल स्टूडेंट्स को जॉर्जिया, तुर्की, आर्मेनिया और अज़रबैजान जाकर लाशों पर प्रैक्टिस करना पड़ रहा है.

वॉर में मारे जा चुके हैं लाखों लोग
लाशों की कमी से जूझ रहे रुस के करीब डेढ़ लाख से ज्यादा सिपाही यूक्रेन में मारे जा चुके हैं. वॉर से पहले रुस में डेड बॉडीज की सप्लाई अमेरिका से भी की जाती थी. लेकिन अब इसपर रोक लगा दी गई है. इस वजह से रुस के मेडिकल स्कूल्स को दूसरी तकनीक अपनानी पड़ रही है. मास्को के पिरोगोव रशियन नेशनल रिसर्च मेडिकल यूनिवर्सिटी के हाई टेक एजुकेशनल डेवलपमेंट टीम के हेड मारिया पोटंकिना ने नवंबर में बताया था कि लाशों की कमी के कारण स्टूडेंट्स को अब वर्चुअल रियलिटी के जरिये ट्रेनिंग दी जा रही है.

कर रहे हैं वीआर तकनीक का इस्तेमाल
मरिया ने Gazeta.ru को दिए इंटरव्यू में बताया था कि लाशों की कमी के कारण अब प्रैक्टिस के लिए वीआर तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. मरीज की हेल्थ कंडीशन को फीड कर इसी तकनीक से इलाज करने की प्रैक्टिस करवाई जा रही है. हालांकि, इसमें वो सिखाया नहीं जा सकता जो रियल बॉडी पर ट्रेनिंग में सिखाई जाती है. इस वजह से कई डॉक्टर्स विदेश जाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं. वहां उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए बॉडी मिल जा रही है.

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