बेहद खतरनाक है ये चुम्बकीय आइलैंड, जिसमें चिपक सकते हैं लोहे के बड़े-बड़े जहाज, यहां जाने से डरते हैं नाविक!

जाबुका, ब्रुस्निक और पालाग्रूजा टापू एक त्रिकोण बनाते हैं जिसे एड्रिएटिक वॉलकेनिक ट्राएंगल कहते हैं (तस्वीर: सोशल मीडिया)
जाबुका टापू (Jabuka Island) में चुंबकीय शक्तियां (Magnetic power) काफी ज्यादा हैं. इसका कारण है यहां के पत्थरों में पाया जाने वाला मैग्नेटाइट (Magnetite). मैग्नेटाइट प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला आयरन ऑक्साइड (Iron Oxide) है जो पत्थरों में चुंबकीय शक्तियां पैदा करता है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 1, 2020, 2:48 PM IST
दुनिया में कई ऐसी जगह हैं जो बहुत अनोखी हैं. ये जगह अक्सर आम लोगों की पहुंच से दूर होती हैं. वहां ज्यादा लोग नहीं जाते इसलिए उन जगहों के बारे में लोगों को कम पता होता है. एड्रिएटिक सागर में ऐसी ही एक जगह मौजूद है. इस जगह का नाम है जाबुका. जाबुका एक टापू है जिसका क्रोएशियन भाषा में अर्थ होता है 'सेब'. ये टापू पूरी तरह से ज्वालामुखी के फटने से जो लावा निकलता है, उससे बना है. जाबुका के पास ही ब्रुस्निक नाम का टापू मौजूद है. ये दोनों ही टापू ज्वालामुखी के फटने से बने हैं. जाबुका, ब्रुस्निक और पालाग्रूजा टापू एक त्रिकोण बनाते हैं जिसे एड्रिएटिक वॉलकेनिक ट्राएंगल कहते हैं.
आइलैंड में कैसे हैं चुम्बकीय शक्तियां?
जाबुका टापू में चुंबकीय शक्तियां काफी ज्यादा हैं. इसका कारण है यहां के पत्थरों में पाया जाने वाला मैग्नेटाइट. मैग्नेटाइट प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला आयरन ऑक्साइड है जो पत्थरों में चुंबकीय शक्तियां पैदा करता है. इस कारण से जब इस टापू के निकट कोई जहाज आता है तो उसके कंपस की सूई गलत दिशा बताने लगती है. कई लोगों का कहना है कि टापू पर चुंबकीय शक्तियां होने के चलते इस टापू के पास कोई नहीं जाता है मगर सच ये भी है कि ये टापू समुद्री रूट पर नहीं है जिसके चलते इस टापू के क्षेत्र में बहुत कम जहाज दिखाई देते हैं. यहां बस वही जहाज आते हैं जिन्हें इस टापू पर ही उतरना रहता है या आसपास के क्षेत्र में मछली पकड़ना रहता है.
इस आइलैंड तक जाना क्यों है मुश्किल?जाबुका टापू तक पहुंचना तो मुश्किल है ही, यहां उतरना और डेरा डालना उससे भी ज्यादा मुश्किल है. इस क्षेत्र में चलने वाली हवा इतनी तेज होती है कि उससे समुद्री लहरें भी उग्र हो जाती हैं. हल्की सी भी लहर नाव को पलटाने के लिए काफी रहती है. इस टापू की खड़ी चट्टानों पर डेरा डालना मुश्किल है और इस टापू पर अन्य टापुओं की तरह कोई किनारा नहीं है इसलिए नाव को रोक पाना बेहद मुश्किल है.
जाबुका से कुछ दूर के क्षेत्रों में काफी मछुआरे मछली पकड़ने आते हैं. यहां पर कई दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु भी पाए जाते हैं. 1958 में इस द्वीप को प्रकृति का भूवैज्ञानिक स्मारक घोषित किया गया.
आइलैंड में कैसे हैं चुम्बकीय शक्तियां?
जाबुका टापू में चुंबकीय शक्तियां काफी ज्यादा हैं. इसका कारण है यहां के पत्थरों में पाया जाने वाला मैग्नेटाइट. मैग्नेटाइट प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला आयरन ऑक्साइड है जो पत्थरों में चुंबकीय शक्तियां पैदा करता है. इस कारण से जब इस टापू के निकट कोई जहाज आता है तो उसके कंपस की सूई गलत दिशा बताने लगती है. कई लोगों का कहना है कि टापू पर चुंबकीय शक्तियां होने के चलते इस टापू के पास कोई नहीं जाता है मगर सच ये भी है कि ये टापू समुद्री रूट पर नहीं है जिसके चलते इस टापू के क्षेत्र में बहुत कम जहाज दिखाई देते हैं. यहां बस वही जहाज आते हैं जिन्हें इस टापू पर ही उतरना रहता है या आसपास के क्षेत्र में मछली पकड़ना रहता है.
इस आइलैंड तक जाना क्यों है मुश्किल?जाबुका टापू तक पहुंचना तो मुश्किल है ही, यहां उतरना और डेरा डालना उससे भी ज्यादा मुश्किल है. इस क्षेत्र में चलने वाली हवा इतनी तेज होती है कि उससे समुद्री लहरें भी उग्र हो जाती हैं. हल्की सी भी लहर नाव को पलटाने के लिए काफी रहती है. इस टापू की खड़ी चट्टानों पर डेरा डालना मुश्किल है और इस टापू पर अन्य टापुओं की तरह कोई किनारा नहीं है इसलिए नाव को रोक पाना बेहद मुश्किल है.
जाबुका से कुछ दूर के क्षेत्रों में काफी मछुआरे मछली पकड़ने आते हैं. यहां पर कई दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु भी पाए जाते हैं. 1958 में इस द्वीप को प्रकृति का भूवैज्ञानिक स्मारक घोषित किया गया.