जल्द ही बंद होने वाला है 'नर्क का दरवाजा'
आपने अक्सर फिल्मों और टीवी सीरियल में देखा होगा कि दुनिया के पार एक स्वर्ग है और एक नर्क भी है. स्वर्ग में जहां सब कुछ अच्छा होता है वहीं नर्क में लोगों को धधकती आग (Fire in Hell) में डाल दिया जाता है. नर्क में हमेशा ही आग जलती रहती है और जो लोग उसमें जाते हैं उन्हें उनकी जिंदगी की सजा दी जाती है. पर क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ‘नर्क का दरवाजा’ (Mouth of Hell) है? अब खबर आई है कि इस द्वार को बंद (Mouth of Hell Closing in Turkmenistan) किया जाने वाला है.
तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति (Turkmenistan President) गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव (Gurbanguly Berdimuhamedov) ने हाल ही में एक बड़ा फैसला किया है जिसने सभी को चौंका दिया है. दरअसल, तुर्कमेनिस्तान में एक विशाल क्रेटर (Turkmenistan Crater) यानी गड्ढा मौजूद है जो करीब 230 फीट (230 feet burning crater on earth) चौड़ा है. इस गड्ढे से जुड़ी विचित्र बात ये है कि इसमें पिछले 50 सालों से आग जल रही है. अब राष्ट्रपति ने इस गड्ढे को ढकने के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने अपने मंत्रियों को ये ऑर्डर दिए हैं कि वो विश्व एक्सपर्ट्स को खोजें जो इस क्रेटर को बंद कर सके.
Gates of Hell: Darvaza gas crater. Methane gas burning for 50 years in Darvaza, Turkmenistan. pic.twitter.com/paFr4nR1BV
— UOldGuy🇨🇦 (@UOldguy) January 9, 2022
50 साल से जल रहा है गड्ढा
आपको बता दें कि ये विशाल क्रेटर काराकुम रेगिस्तान में मौजूद है जो अश्गाबत शहर से करीब 160 मील दूर है. हर वक्त आग जलते रहने के कारण ही इसे माउथ ऑफ हेल या गेट ऑफ हेल कहा जाता है. हैरानी की बात ये है कि पिछले 50 सालों से लगातार इस गड्ढे की आग जल रही है और कभी इसे बुझाया नहीं जा सका है. राष्ट्रपति ने इस कारण से मंत्रियों को ये ऑर्डर दिया है कि वो गड्ढे को बंद करवाने का काम करें क्योंकि लगातार निकल रहे धुएं से वायु प्रदूषण हो रहा है और आसपास रह रहे लोगों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच रहा है.
कैसे लगी गड्ढे में आग?
ये गड्ढा हमेशा ही यहां मौजूद (How was Mouth of Hell formed?) नहीं था. दावा किया जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ के हालात ठीक नहीं थे. उन्हें तेल और प्राकृतिक गैस की काफी आवश्यकता थी. उस वक्त वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान में खोदाई शुरू की और तेल खोजने लगे. उन्हें प्राकृतिक गैस तो मिली मगर जहां उन्होंने उसे खोजा वहां जमीन धंस गई और ये विशाल गड्ढे बन गए. गड्ढों में से मीथेन गैस का रिसाव तेजी से हुआ. वायुमंडल को ज्यादा नुकसान ना पहुंचे तो इसलिए उन्होंने गड्ढे में आग लगा दी. उन्हें लगा था कि जैसे ही गैस खत्म होगी, वैसे ही आग भी बुझ जाएगी, मगर ऐसा हुआ नहीं और 50 साल बाद भी गैस लगातार जल रही है. हालांकि इस दावे की सच्चाई के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं.
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