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इस तकनीक से चंद घंटों में तैयार हो जाएंगी बड़ी-बड़ी इमारतें, खर्च भी होगा काफी कम, फटाफट जान लें सबकुछ!

जर्मनी में ऐसा तरीका अपनाया जा रहा है जिससे यह काम दोगुनी रफ्तार से होता है. इसमें इमारत ईंट दर ईंट नहीं, बल्कि मॉड्यूल दर मॉड्यूल बनती है. (Photo-twitter-@JUNGLONDON)

जर्मनी में ऐसा तरीका अपनाया जा रहा है जिससे यह काम दोगुनी रफ्तार से होता है. इसमें इमारत ईंट दर ईंट नहीं, बल्कि मॉड्यूल दर मॉड्यूल बनती है. (Photo-twitter-@JUNGLONDON)

इमारत बनाने में कितना समय लगता है, यह सब जानते हैं. अब जर्मनी में ऐसा तरीका अपनाया जा रहा है जिससे यह काम दोगुनी रफ्तार ...अधिक पढ़ें

एक छोटा सा घर बनाने में कई बार महीनों लग जाता हैं. ढेर सारा पैसा खर्च होता और सबसे कीमती हमारा समय बर्बाद होता है. कई बार इस चक्‍कर में बहुत कुछ नुकसान हो जाता है. क्‍योंकि हमें ईंट से लेकर तमाम तरह की चीजों का इंतजाम करना पड़ता है. फ‍िर उसकी रखवाली और अन्‍य तमाम तरह के झंझट. पर अब यह कुछ दिनों की बात होगी. जर्मनी में एक तक‍नीक पर काम चल रहा है जिससे बड़ी-बड़ी इमारतें चंद घंटों में तैयार हो जाएंगी. इतना ही नहीं खर्च भी काफी कम आएगा. आइए जानें इसके बारे में सबकुछ.

डायचे वैले की रिपोर्ट के मुताबिक, यह ऐसा तरीका है जिससे काम दोगुनी रफ्तार से होता है. इसमें इमारत ईंट दर ईंट नहीं, बल्कि मॉड्यूल दर मॉड्यूल बनती है. अब आप कहेंगे कि यह मॉड्यूल दर मॉड्यूल है क्‍या. दरअसल, स्‍टील और कंक्रीट जो हम अपने घरों में यूज करते हैं. उन्‍हीं से यह मॉड्यूल तैयार किया जाता है और वह भी महज तीन से चार घंटे में. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि तमाम छोटी ईंट की बजाय कुछ बड़ी ईंटों से आपका घर तैयार हो जाएगा. यह बड़ी ईंटें स्‍टील और कंक्रीट से बनी होंगी.

50 फीसदी तक पैसे की बचत
हर एक मॉड्यूल का वजन तकरीबन 30 टन तक होता है. इन्‍हें क्रेन की मदद से एक के ऊपर एक उठाकर रखा जाता है. इस तकनीक को मॉड्यूलर कंस्‍ट्रक्‍शन कहते हैं और जर्मनी में बीते कुछ वर्षों में इस तकनीक से घर बनवाने वालों की संख्‍या काफी तेजी से बढ़ी है. भवन निर्माता कंपनी पीडीपी कंस्‍ट्रक्‍शन के मुताबिक, इससे इमारतें बनवाने में करीब 50 फीसदी की बचत होती है. यानी जो इमारत बनाने में एक करोड़ का खर्च आना होता है, इस तकनीक के जर‍िए उसे महज 50-60 लाख रुपये में तैयार किया जा सकता है.

चंद घंटे में आप अपने घर में रह सकेंगे
इन इमारतों को बनाने के लिए पहले मजदूर सीमेंट से आधार तैयार करते हैं. फ‍िर इनके ऊपर माड्यूल को फ‍िट किया जाता है. कुछ ही मिनट में एक कमरा बनकर तैयार हो जाएगा जिसे ईंटों से बनाने में आमतौर पर कम से एक तीन से चार दिन का समय लगता है. इसे ऐसे समझिए कि ये इमारतें ऐसी होंगी क‍ि इनमें तुरंत आकर रहा जा सकता है. यानी महज एक दिन के अंदर आप अपने घर में रह सकते हैं.

पहले से फ‍िट होती हैं सारी पाइप
खास बात, मॉड्यूल में पानी और हिटिंग की पाइप पहले से लगी होती हैं. यानी इसके लिए अलग से आपको तोड़फोड़ नहीं करनी पड़ती. सबकुछ फैक्‍टरी में जोड़कर रखा जाता है. उसे यहां बस कनेक्‍ट करना होता है. शॉवर, बेड और डेस्‍क भी तैयार होता है, आपको सिर्फ फ‍िट करना होता है. यहां तक क‍ि इंटरनेट कनेक्‍शन भी होता है. इसे बनाने में शोर शराबा भी नहीं होता क्‍योंकि कोई कटिंग ठोकना पीटना नहीं करना पड़ता. सबुकछ पहले किया जा चुका होता है.

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