इसका टूटा, झुका, टेढ़ा या फूला हुआ नहीं होना चाहिए. Image-canva
वास्तु शास्त्र में भूमि व भवन की दिशा के साथ मुख्य द्वार को भी अहम माना गया है. सही दिशा के साथ ये भी सही आकार व बनावट में होना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार टूटा, झुका, टेढ़ा या फूला हुआ नहीं होना चाहिए. ऐसा होने पर यह मकान मालिक की संपति व संतान के साथ पूरे कुल के लिए घातक हो सकता है. आइए आज आपको मुख्य द्वार के अशुभ लक्षणों और उनके परिणाम के बारे में बताते हैं.
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झुके व फूले हुए दरवाजे के नुकसान
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, यदि घर का मुख्य द्वार अंदर की तरफ झुका हो तो मकान मालिक की मृत्यु की आशंका होती है. द्वार बाहर की तरफ झुका है तो ये गृह स्वामी का उस घर के सुख से वंचित रहते हुए बाहर रहने का संकेत है. इसी तरह द्वार का यदि ऊपर का भाग आगे झुका हो तो वह संतान का नाश करता है और दरवाजे का फूलना गरीबी व भूख के डर का संकेत माना गया है.
दरवाजे में छेद या टेढ़ा होना
वास्तु शास्त्र में मुख्य दरवाजे में छेद व टेढ़ापन भी अशुभकारी होता है. दरवाजे में छेद संसाधनों का नाश करने वाला होता है. वहीं, मुख्य द्वार का टेढ़ापन कुल की पीड़ा का कारण बन सकता है. इसी तरह मुख्य द्वार का बाहर की तरफ निकलना पराभव और बीच के भाग से कमजोर होना भी घर में रोग बढ़ने का संकेत माना गया है.
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ऐसा हो मुख्य द्वार
पंडित जोशी के अनुसार, घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए. शुक्रनीति के अनुसार, मकान की लम्बाई के आठ भाग करके बीच के दो भागों में मुख्य द्वार बनाना श्रेष्ठ है. घर के अन्य द्वारों के मुकाबले बड़ा तथा चौड़ाइ के मुकाबले दो गुना लंबा मुख्य द्वार भी घर में सुख, शांति व वैभव बढ़ाने वाला माना गया है.
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