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Auto Expo Special: जब 6 साल तक नहीं हुआ था ऑटो एक्सपो और फिर ऐसी चमक जो आज तक बरकार

पहले और दूसरे ऑटो एक्सपो में 6 साल का समय रहा.

पहले और दूसरे ऑटो एक्सपो में 6 साल का समय रहा.

Auto Expo History: 1986 में हुए पहले ऑटो एक्सपो के बाद दूसरा ऑटो एक्सपो 1993 में आयोजित किया जा सका. इसके पीछे कई कारण ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

ऑटो मैन्युफैक्चरर्स को पहला ऑटो एक्सपो घाटे का सौदा दिखा.
इसके बाद कंपनियों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया और ये 6 साल तक नहीं हो सका.
आखिरकार दूसरा ऑटो एक्सपो हुआ और वो टू व्हीलर बाजार में क्रांति लेकर आया.

नई दिल्ली. ऑटो एक्सपो की नींव 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने डाली. जब उन्होंने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में फ्यूचर देखा और इसे ऊंचाइयों पर ले जाने का फैसला किया. इसके साथ ही ऑटो एक्सपो के लिए प्लान तैयार हुए. ऑटो एक्सपो के लिए एक साल तक तैयारी की गई और फिर 1986 में पहला ऑटो एक्सपो दिल्ली में आयोजित किया गया. ये ऑटोमोबाइल मैन्युफैचरर्स के साथ ही आम लोगों के लिए भी एक नया आयोजन था. इस दौरान एक्सपो में भीड़ तो बहुत दिखी लेकिन ऑटो कंपनियों को इसमें कुछ फायदा नजर नहीं आया. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का विजन कुछ अलग था. उन्होंने इस ग्लोबल इंडस्ट्री को पहचान कर इंडिया में इसके प्रॉस्पेक्टिव देखे थे. 1986 में हुए ऑटो एक्सपो के बाद अगले साल होने वाले ऑटो एक्सपो की चर्चा शुरू हो गई लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

पहले ऑटो एक्सपो के बाद अगला ऑटो एक्सपो होने में करीब 6 साल का समय लग गया और ये 1993 में आयोजित हो सका. इसके पीछे वैसे तो कोई ठोस कारण नहीं दिया गया. लेकिन बड़ा कारण खुद ऑटो मैन्युफैचरर्स की सोच थी. आइये जानते हैं इसके पीछे क्या कारण रहे.

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  • ऑटो एक्सपो के 6 साल तक नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण था ऑटो मैन्युफैक्चरर्स को इसमें बड़ा फायदा नजर नहीं आया.
  • ऑटो मैन्युफैक्चरर्स को ये एक खर्चीला सौदा लगा और इसके चलते उन्होंने इससे किनारा किया.
  • इसके साथ ही ये वो दौर था जब इंडिया में एमएनसी की एंट्री हो रही थी और सरकार का पूरा ध्यान इस तरफ था.
  • साथ ही कंप्यूटराइजेशन के दौर ने भी ऑटो एक्‍स्पो की रफ्तार को धीमा किया.

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही लाए
ऑटो एक्सपो के 5 साल तक नहीं होने के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री और उस दौरान वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने ही राजीव गांधी के विजन को आगे बढ़ाया. वे भी इस बात को समझ चुके थे कि ऑटो इंडस्ट्री देश की अर्थव्यवस्‍था को सुधारने के साथ ही रोजगार के बड़े अवसर पैदा करेगी. साथ ही लाइफ स्टाइल ट्रांसफॉर्मेशन में भी बड़ा योगदान देगी. इसके बाद 1992 में ऑटो एक्‍सपो को फिर आयोजित करने की घोषणा की गई और ठीक एक साल बाद दूसरा ऑटो एक्सपो 1993 में आयोजित किया गया.

टू व्हीलर क्रांति की शुरुआत
1993 में हीरो होंडा ने स्पलेंडर को लॉन्च किया. इस मोटरसाइकिल को शुरुआत में लोगों ने पसंद नहीं किया और वजन में हल्की व कम पावर की बताया. लेकिन इस मोटरसाइकिल ने इं‌डियन टू व्हीलर का मार्केट बदल दिया. और ऐसा बदला कि कम सीसी की ज्यादा एवरेज वाली मोटरसाइकिल लोगों को पसंद आने लगीं. स्पलेंडर ने मार्केट पर राज किया और ये राज आज तक कायम है.

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