नई दिल्ली. भारत में कारों को सेफ्टी रेटिंग देने के लिए बनाई गई एजेंसी Bharat NCAP (भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) अगले साल से देश में निर्मित वाहनों का क्रैश टेस्ट शुरू करेगी. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंजूरी देते हुए कहा था कि ये टेस्ट अगले साल अप्रैल से शुरू होंगे.
नोटिफिकेशन में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी और कारों को सेफ्टी रेटिंग पाने से पहले किन चरणों से गुजरना होगा. इसमें उन कैटेगरी का भी जिक्र किया गया है, जिनके लिए कारों का टेस्ट किया जाएगा.
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भारत बनेगा ऑटोमोबाइल हब
गडकरी ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारतीय कारों की सेफ्टी टेस्टिंग के लिए भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने के लिए मंजूरी दे दी गई है. गडकरी ने कहा था, “भारत एनसीएपी भारत को दुनिया में नंबर 1 ऑटोमोबाइल हब बनाने के मिशन के साथ हमारे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.” वर्तमान में भारत में बेचे जाने वाले वाहन सेफ्टी रेटिंग प्राप्त करने के लिए ग्लोबल एनसीएपी क्रैश टेस्ट पर निर्भर करते हैं.
इस तरह मिलेगी सेफ्टी रेटिंग
Global NCAP की तरह निर्धारित भारत एनसीएपी की सेफ्टी टेस्ट बेंचमार्क का पालन करेगा. भारत एनसीएपी की ओर से एडल्ट पैसेंजर प्रोटेक्शन, चाइल्ड पैसेंजर प्रोटेक्शन और सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजी के मूल्यांकन के लिए क्रैश टेस्ट के आधार पर ही रेटिंग की जाएगी. क्रैश टेस्ट मौजूदा भारतीय नियमों को ध्यान में रखकर किए जाएंगे, जिससे कार निर्माता अपने वाहनों का टेस्ट भारत की इन-हाउस टेस्टिंग सुविधाओं में कर सकेंगे. क्रैश टेस्ट के आखिर में भारत एनसीएपी एक से लेकर पांच स्टार तक की सेफ्टी रेटिंग या स्टार रेटिंग प्रदान करेगा.
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इन वाहनों का होगा टेस्ट
परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, भारत NCAP ने क्रैश टेस्ट में वाहनों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें ‘स्टार रेटिंग’ देने का एक मैकेनिज्म तैयार किया है. भारत एनसीएपी टेस्ट ड्राइवर के अलावा आठ पैसेंजर तक बैठने की क्षमता वाले यात्री वाहनों पर लागू होगा. टेस्ट किए जाने वाले वाहन भारत में निर्मित या आयात किए जाने चाहिए और उनका वजन 3.5 टन से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
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