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खत्म होगा पेट्रोल-डीजल, इलेक्ट्रिक कारों का जमाना, इस गैस से 250 किमी चलेगी आपकी कार!

इलेक्ट्रिक कारों की अपनी सीमाएं हैं. ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन की ओर दुनिया बढ़ रही है.

इलेक्ट्रिक कारों की अपनी सीमाएं हैं. ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन की ओर दुनिया बढ़ रही है.

इलेक्ट्रिक कारों की अपनी सीमाएं हैं. इसलिए दुनिया भर के इंजीनियर्स और सरकारें वैकल्पिक ईंधन की तलाश में जुटी हुई हैं.

अब जमाना इलेक्ट्रिक कारों से आगे निकलता दिख रहा है. इलेक्ट्रिक कारों की अपनी सीमाएं हैं. ऐसे में इसे अगली पीढ़ी की तकनीक नहीं माना जा रहा है. आज एक ऐसे ईंधन की बात चल रही है जिसके लिए कच्चे माल की उपलब्धता बेहद सुलभ है. यहां कच्चे माल से मतलब पानी से है. इस पानी की बदौलत दुनिया सैकड़ों साल पहले एक ईंधन बना चुकी है. लेकिन, अब इसका उत्पादन किया जा रहा है. इस ईंधन से आपकी कार एक किलो में 250 किमी तक दौड़ेगी और शून्य प्रदूषण पैदा होगा. हम बात कर रहे हैं ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन की. भारत सरकार ने भी एक दिन पहले ही इस वैकल्पिक ईंधन में आरएंडडी के लिए 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है. दुनिया में इस ग्रीन हाइड्रोजन पर कई कारों का सफल ट्रायल ही नहीं बिक्री भी शुरू हो चुकी है. ये कारें एक किलो में 250 किमी तक का माइलेज देती हैं. इस मिशन का लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में ग्लोबल हब बनाना है. केंद्रीय कैबिनेट ने इस काम के लिए 19,744 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन
सबसे बड़ा सवाल यही है. दुनिया ने हाइड्रोजन का विकास करीब 150 साल पहले कर लिया था. लेकिन, शुरू में इस पर जोर नहीं दिया गया. 1970 के दशक में जब पेट्रोल-डीजल के भंडार को लेकर सवाल उठने लगे तब ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर विचार शुरू हुआ. उसके बाद से ही दुनिया की तीन बड़ी कार कंपनियां जापान की होंडा व टयोटा और दक्षिण कोरिया की ह्यूंडई ने इस पर काम किया. इन्होंने हाइड्रोजन से चलने वाली कारें पेश की.

दरअसल, हाइड्रोजन एक ऐसा गैस है जिसे पानी से निकाला जाता है. यह सुनने में बड़ा अच्छा लगता है कि पानी से भी कोई गैस बनाई जा सकती है, लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या इसकी प्रक्रिया है. जैसा कि हम स्कूल के टाइम से ही जानते हैं कि पानी यानी H2O यानी दो हिस्सा हाईड्रोजन और एक हिस्सा ऑक्सीजन से बना है. बस वैज्ञानिकों को इसी दो हिस्से वाले हाइड्रोजन के अणु को ऑक्सीजन से अलग करना होता है. यह एक बेहद जटिल प्रक्रिया है. पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसी जटिल प्रक्रिया को आसान करने में लगे हुए हैं. मौजूदा समय में इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में बिजली की जरूरत पड़ती है और बिजली का उत्पादन मुख्य तौर पर कोयले और जीवाश्म ईंधन यानी डीजल व गैस से की जाती है. फिर सवाल वहीं का वहीं रह जाता है कि जब कोयला और जीवाश्म ईंधन का ही प्रयोग करना है तो हाइड्रोजन क्यों?

इसी कारण आज ग्रीन हाइड्रोजन की बात चल रही है. ग्रीन हाइड्रोजन से मतलब यह है कि इस गैस को बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली भी ग्रीन स्रोतों से पैदा हुई हो. तो बिजली उत्पादन के ये ग्रीन स्रोत क्या हो सकते हैं. उसका एक मात्र स्रोत होगा सोलर बिजली. इस तरह सोलर ऊर्जा से पैदा बिजली से बनाए जाने वाले हाइड्रोजन को ग्रीन हाईड्रोजन कहा जाता है.

ग्रीन हाइड्रोजन से पहले दुनिया में जो हाईड्रोजन मौजूद है उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे- जीवाश्म ईंधन से बने हाइड्रोजन को ग्रे हाइड्रोजन कहा जाता है. मौजूदा समय में आज जो हाइड्रोजन उपलब्ध है वह यही है. इसी तरह से जीवाश्म ईंधन से ही पैदा हाइड्रोजन जिसमें कार्बन के उत्सर्जन को रोक लिया जाता है, उसे ब्लू हाइड्रोजन कहा जाता है.

सबसे बड़ी चुनौती
दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रीन हाइड्रोजन पैदा करने की है. रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक देश में आज जो ग्रीन हाइड्रोजन पैदा किए जा रहे हैं उसकी लागत 492 रुपये प्रति किलो है. ऐसे में ट्रेन हो या कार, इतनी महंगी गैस का इस्तेमाल कर उसे चलाना व्यावहारिक नहीं है. दुनिया के देश और कंपनियां इस लागत को कम कर 100 रुपये किलो के आसपास लाने की कोशिश में लगी हुई हैं.

टयोटा की कार देती है 250 किमी का माइलेज
हाइड्रोजन टेक्नलॉजी की दुनिया में टयोटा एक अग्रणी कंपनी है. इसने अगस्त 2021 में एक कार का सफल परीक्षण किया था. उस कार ने एक बार हाइड्रोजन भरवाने पर 1360 किमी का सफर पूरा किया था, जो हिसाब लगाने पर करीब 250 किमी प्रति किलो बैठता था. इस माइलेज को गिनिज वर्ल्ड बुक में दर्ज किया गया. वैसे भी दुनिया तमाम हाइड्रोजन कारें 150-200 किमी के बीच माइलेज देती हैं. इसमें सबसे प्रमुख है ह्यूंडई की नेक्सो (Hyundai Nexo). बीते साल जनवरी से नवंबर के बीच इस कार की 18,457 यूनिट्स बिकी थीं. चीन, अमेरिका सहित दुनिया के देशों में हाइड्रोजन कारें आम लोगों के लिए उपलब्ध हैं.

Tags: Electric Bus, Electric Car, Hydrogen

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