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इलेक्ट्रिक स्कूटरों में क्यों लग रही आग? जानिए लिथियम-आयन बैटरी को इस्तेमाल करने का तरीका

पिछले एक सप्ताह में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की चार घटनाएं हो चुकी हैं.

पिछले एक सप्ताह में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की चार घटनाएं हो चुकी हैं.

आज आपको बताते हैं कि क्या सच में लिथियम-आयन बैटरी से खतरा होता है? ऐसी कौन सी स्थितियां है? जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों में देश के कई शहरों से इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटना सामने आई है. पिछले एक सप्ताह में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की चार घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें ओला इलेक्ट्रिक का S1 Pro भी शामिल है. इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में सेफ्टी को लेकर फिर से सवाल खड़े होने लगे हैं.

आज हम आपको बताते हैं कि क्या सच में लिथियम-आयन बैटरी से खतरा होता है? ऐसी कौन सी स्थितियां है? जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में आग लगने की घटना हो सकती है. तो आइए जानते कुछ सवाल-जवाबों में समझते हैं पूरा मामला.

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क्या होती है लिथियम-आयन बैटरी? क्या ये आम बैटरी से अलग होती है?
हम हर दिन लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल करते हैं, चाहे वह हमारा मोबाइल फोन हो या दूसरा इलेक्ट्रॉनिक सामान. सभी में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है. लिथियम-आयन बैट्रीज को एनर्जी स्टोरेज करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. यह प्रति घंटा 150 वॉट एनर्जी स्टोर कर सकती है. वहीं लीड-एसिट बैटरी करीब 25 वॉट प्रति घंटा एनर्जी स्टोर करती है और निकेल हाइड्राइड बैटरी प्रति घंटा 100 वॉट एनर्जी स्टोर कर सकती है. इन दोनों के मुकाबले लिथियम-आयन बैट्रीज की स्टोरेज क्षमता ज्यादा है.

कैसे इस्तेमाल करें यह बैट्री?
लिथियम-आयन बैट्री में कई सेफ्टी फंक्शन होते है. सबसे अहम बात इसके टेंपरेचर को मेंटेन करना. आपको सेल टेंपरेचर को मेंटेन करने के साथ ही करेंट्स और वॉल्टेज को भी मेंटेन करना पड़ता है. सभी लिथियम-आयन सेल में एक सेपरेटर होता है, जो कोर टेंपरेचर बहुत ज्यादा होने पर पिघल सकता है. इससे आयन का मूवमेंट बंद हो जाता है. बैटरी सिस्टम से जुड़ी दूसरा अहम जरूरत उसकी वेंटिलेशन की है. एक प्रेशर-सेंसिटिव वेंट बैट्री की दूसरे सेल्स को आग पकड़ने से रोक सकता है.

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कब लगती है आग?
लिथियम-आयन बैटरी में आग लगने की कई वजहें हो सकती हैं. इनमें मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, एक्सटर्नल डैमेज या खराब सॉफ्टवेयर शामिल हैं. खराब हो चुके या डमैज सेल में बहुत ज्यादा हीट पैदा हो सकती है. इसे ‘थर्मल रनवे’ कहा जाता है. इसमें एक सेल में पैदा हुई हीट दूसरे सेल में पहुंच जाती है. इससे एक चेन रिएक्शन बन जाता है, जिसके चलते उसमें आग लग जाती है.

आग रोकने के उपाय?

  • हमें बैट्री को ओवरचार्ज करने से बचना होगा.
  • बैट्री को सीधे धूप में भी नहीं रखना चाहिए.
  • पोर्टेबल बैट्री है तो आप इसे सोते वक्त बिल्कुल चार्ज नहीं करें.

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