केन माइल्स जिन्होंने कार रेसिंग के इतिहास को बदल दिया. (फोटो साभार विकिपीडिया)
नई दिल्ली. कई लोगों ने फिल्म फोर्ड वर्सेज फरारी देखी होगी और इसे एक फिल्म की तरह देख कर भूल भी गए होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये एक सच्ची घटना है. एक आदमी की जीतने की जिद ने इतिहास में दो बड़े बदलाव कर दिए थे. ये बात 1966 की है, ये वो दौर था जब एग्जॉटिक और रेस कार के तौर पर फरारी को देखा जाता था और वहीं फोर्ड रेस कार के मैदान में अपना पैर जमाने की कोशिश कर रही थी. फ्रांस और अमेरिका की कंपनी के बीच जबर्दस्त टकराव था और हर रेस में फरारी- फोर्ड को धूल चटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी.
इस दौरान दो नाम जो लगभग गुमनामी में थे वे अचानक सामने आए. इनमें से एक नाम था कैरोल शैल्बी का, आज कार इंजन ऑयल के नाम पर शैल कंपनी को सभी लोग पहचानते हैं ये शैल्बी की ही कंपनी थी. दूसरा नाम था रेस कार इंजीनियर और ड्राइवर कैनेथ हैनरी जेर्विस माइल्स यानी केन माइल्स का. केन एक ब्रिटिशर थे, लेकिन अमेरिका में बस गए थे. फोर्ड के कुछ बड़े अधिकारियों ने अच्छे रेसर्स ढूंढने के लिए छोटे गांवों का रुख किया और इस दौरान एक दालल के तौर पर शैल्बी उनसे टकराया. शैल्बी और केन का बड़ा सफर यहीं से शुरू हुआ.
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फोर्ड नापसंद करता था केन माइल्स
केन कभी भी फोर्ड की कारों को पसंद नहीं करता था. केन के अनुसार फोर्ड की कारों का वजन जबर्दस्ती बढ़ा हुआ था. इसी के चलते उसने उस समय की बेहतरी फोर्ड कार जो आज भी दुनिया भर में स्पीड और लग्जरी में बड़ा नाम है उसे सिरे से नकार दिया था. ये कार थी फोर्ड मस्टेंग. हालांकि केन की बात मान बाद में मस्टेंग में बदलाव किए गए लेकिन ये कहानी से कुछ इतर है. वहीं फोर्ड आम आदमी की कार थी, इसलिए अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकती थी और फोर्ड के अधिकारी अपने आप को भगवान से कम नहीं समझते थे. वे किसी से भी सीधे तौर पर बात नहीं करते थे यही बात केन को पसंद नहीं थी.
हैनरी का सपना था ले मैंस जीतना
जिस तरह इन दिनों ग्रांप्री दुनिया की सबसे बड़ी कार रेस है, उस दौरान ले मैंस को जीतना किसी भी कंपनी के लिए सपना हुआ करता था. इस रेस पर एक छत्र राज फरारी का था और हैनरी फोर्ड को इस रेस को किसी भी कीमत पर जीतना था. हैनरी के लिए ये सपने से ज्यादा सनक बन गई थी. इसी दौरान एक कार की टेस्टिंग केन ने खुद हैनरी को कार में बैठा कर दी. हैनरी ने उसी समय केन को अपनी रेस के लिए मुख्य ड्राइवर के तौर पर चुन लिया.
फिर ले मैंस जीता फोर्ड
इसके बाद फोर्ड को रेस जिताने के लिए कारों में बड़े बदलाव किए. यहीं से जन्म हुआ फोर्ड जीटी मॉडल का जो आज दुनिया में भर में रेस का साइन बन गया है. केन माइल्स ने जीटी 40 को जन्म दिया. ये रेस कार टेक्नोलॉजी थी और इसी पर कार का नामकरण भी हो गया. 1966 में केन माइल्स ने फोर्ड की टीम का रेस में प्रतिनिधित्व किया. हालांकि पीआर के चलते रेस के अंतिम लैप में हैनरी फोर्ड ने केन को धीरे होने और कंपनी के ही दूसरे रेसर को जीतने का संदेश भिजवा दिया. केन यहीं पर टूट गया. केन जिसके बल पर पहली बार फोर्ड ने ले मैंस में जीत दर्ज की थी उसने दूसरी पोजिशन पर संतोष किया. फोर्ड की टीम ने इस रेस को शानदार तरीके से जीता. शैल्बी भी इस दौरान टूट कर रह गया लेकिन दोनों के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि वे फोर्ड से झगड़ा मोल लेते इसलिए वे शांत रह गए. लेकिन केन का नाम इतिहास में दर्ज हो गया. केन के इस रेस को जितवाने के बाद फरारी का दिवाला निकल गया. फोर्ड अब अमेरिका की ही नहीं दुनिया भर की सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर सामने आई.
जिस कार को दिया जन्म उसी में मौत
केन ने Ford GT40 Mk II को डिजाइन किया. ये उस समय की फास्टेस्ट कार थी और शैल्बी के साथ वो इसके लगातार टेस्ट कर रहे थे. ऐसे ही एक टेस्ट के दौरान जब केन की कार 200 मील प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ चुकी थी अचानक पलट गई. कार की स्पीड ज्यादा होने के चलते ये कुछ पलों में ही आग का गोला बन गई. केन की मौत उसी कार में हुई जिसको उसने जन्म दिया और रेसिंग कार्स का इतिहास बदल दिया.
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