नई दिल्ली. होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड (Honda Cars India Limited) ने बुधवार को ग्रेटर नोएडा के दो कारखानों (Greater Noida Plants) को औपचारिक रूप से बंद करने का ऐलान किया है. इस कारखाने को बंद करने से एचसीआईएल का देश में सीआर-वी (CR-V) और सिविक (CIVIC) मॉडल का उत्पादन भी थम गया है. इन दोनों ही मॉडल का प्रोडक्शन इसी कारखाने में किया जाता था. बता दें इस कारखाने को बंद करने से हजारों लोगों की नौकरी पर संकट (Job Insecurity) बन आया है. कंपनी ने बताया कि साल 1997 में अस्तित्व में आए संयंत्र में उत्पादन बंद करने का निर्णय विनिर्माण गतिविधियों को पुनर्गठित करने के प्रयास का हिस्सा है.
1995 में स्थापित हुआ था कारखाना
आपको बता दें साल 1995 में होंडा कार्स के प्लांट की ग्रेटर नोएडा में स्थापना हुई थी. साल 1997 में यहां कारों का प्रोडक्शन शुरू हुआ था. होंडा सिटी, सीआर-वी, होंडा सिविक सहित ज्यादातर मॉडल यहीं पर तैयार होते थे. यहां पर रोजाना करीब 440 और सालभर में लगभग एक लाख कारें बनती थीं. कंपनी में 900 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे थे.
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चलता रहेगा शोध व अनुसंधान का काम
एचसीआईएल ने एक बयान में कहा, ‘उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला की क्षमता का लाभ उठाकर परिचालन को टिकाऊ बनाने के लिए कंपनी ने घरेलू बिक्री तथा निर्यात को लेकर राजस्थान के टपूकड़ा में तत्काल प्रभाव से वाहनों और कल-पुर्जों के लिए विनिर्माण गतिविधियों को सुदृढ़ करने का निर्णय किया है.’ बयान में कहा गया है कि मुख्य कार्यालय के कार्य, वाहन, दो-पहिया वाहनों के लिए देश में अनुसंधान एवं विकास केंद्र तथा कल-पुर्जों से जुड़े कार्य (गोदाम समेत) ग्रेटर नोएडा से पहले की तरह चलते रहेंगे.
आखिर क्यों बंद किए कारखाने
HCIL के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले तीन महीनों से बिक्री में तेजी के बावजूद, कुल मिलाकर उद्योग के लिए मौजूदा बाजार स्थिति अनिश्चित बनी हुई है. कोरोना की वजह से भी कारों की बिक्री में काफी गिरावट देखने को मिली. कर्मचारी कमेटी के सदस्य ने बताया कि कंपनी में 906 कर्मचारी थे. 27 जनवरी से 17 फरवरी के बीच 278 कर्मचारियों को वीआरएस दिया गया.
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सूत्रों ने कहा कि फिलहाल कंपनी अपनी संपूर्ण वाहन श्रृंखला के लिए राजस्थान के टपूकड़ा प्लांट पर निर्भर करेगी. होंडा कार्स ने इस साल की शुरुआत में इस प्लांट से जुड़े लोगों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना यानी वीआरएस पेश की थी, ताकि प्लांट की उत्पादकता और क्षमता बढ़ायी जा सके. टापुकड़ा प्लांट की क्षमता 1.8 लाख वाहन सालाना है. इसके अलावा ग्रेटर नोएडा संयंत्र की स्थापित उत्पादन क्षमता एक लाख इकाई सालाना है. दूसरी तरफ, टपूकड़ा कारखाने की क्षमता 1.8 लाख इकाई सालाना है. राजस्थान स्थित इस कारखाने में करीब 5,500 कर्मचारी कार्यरत हैं.undefined
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2020, 18:43 IST