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CNG या LPG किट लगाने पर क्या होता है कार बीमा पॉलिसी पर असर? कैसे कर सकते हैं बदलाव?

सरकार ने BS-6 वाहनों में सीएनजी और ऑटो एलपीजी किट लगाने की मंजूरी दे दी है.

सरकार ने BS-6 वाहनों में सीएनजी और ऑटो एलपीजी किट लगाने की मंजूरी दे दी है.

सीएनजी या ऑटो एलपीजी का इस्तेमाल करने से वाहन को चलाने की लागत काफी कम हो जाती है. इससे माइलेज भी 30 से 40 प्रतिशत तक ब ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

कई कार कंपनियां फैक्ट्री फिट सीएनजी और ऑटो एलपीजी किट मुहैया करा रही हैं.
किट लगाई जाती है तो उसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में भी बदलाव करना होता है.
कार मालिक को बीमा पॉलिसी में बदलाव के लिए अप्लाई करना होता है.

नई दिल्ली. पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ सीएनजी और ऑटो एलपीजी किट की मांग बढ़ रही है. सीएनजी और ऑटो एलपीजी को न केवल पेट्रोल और डीजल का सस्ता विकल्प माना जाता है, बल्कि ये प्रदूषण भी कम करती हैं. हाल ही में सरकार ने BS-6 वाहनों में सीएनजी और ऑटो एलपीजी किट लगाने की मंजूरी दे दी है.

सीएनजी या ऑटो एलपीजी का इस्तेमाल करने से वाहन को चलाने की लागत काफी कम हो जाती है. इससे माइलेज भी 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. हालांकि, कई लोग सोचते हैं कि पुराने कारों में आफ्टर मार्केट सीएनजी या एलपीजी किट लगवाने से वाहन के बीमा पर असर होता है. इससे कार के इंजन की वारंट भी खत्म हो जाती है. तो आइए जानते हैं क्या ऐसा वाकई में होता है.

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बीमा पॉलिसी में करना होता है बदलाव
आजकल कई कार कंपनियां फैक्ट्री फिट सीएनजी और ऑटो एलपीजी किट मुहैया करा रही हैं. वहीं ज्यादातर लोग आफ्टरमार्केट किट फिटमेंट पर निर्भर हैं. इसमें एक बार मोटी लागत के बाद फ्यूल पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है. हालांकि, वाहन मालिकों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि कार की फ्यूल टेक्नोलॉजी को बदलने के लिए कार में कई मैकेनिकल बदलाव करने होते हैं. इसके चलते कार की बीमा पॉलिसी में भी महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत होती है.

परिवहन विभाग से लेनी पड़ती है मंजूरी
जब भी कोई पेट्रोल या डीजल कार में सीएनजी या ऑटो एलपीजी किट लगाई जाती है तो उसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में भी बदलाव करना होता है. इसके लिए राज्य परिवहन विभाग से मंजूरी लेनी पड़ती है. इसके लिए जिन दस्तावेजों को आरटीओ को जमा करने की आवश्यकता होती है, उनमें मौजूद आरसी बुक, बीमा पॉलिसी की कॉपी, एलपीजी या सीएनजी किट के लिए चालान, वाहन मालिक का केवाईसी आदि शामिल हैं. साथ ही, एक फॉर्म भरना होगा. अधिकारी दस्तावेजों की जांच और वाहन का निरीक्षण करने के बाद रेट्रो फिटमेंट को मंजूरी देते हैं.

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बीमा पॉलिसी में भी करवाना होता है बदलाव
कार के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में बदलाव करने के बाद कार मालिक को बीमा पॉलिसी में बदलाव के लिए अप्लाई करना होता है. वाहन मालिक को आरसी बुक, एलपीजी या सीएनजी किट के लिए चालान और पूरी तरह से भरा हुआ फॉर्म जमा करने की जरूरत होती है. इसके बाद बीमा कंपनी जरूरी प्रावधानों के साथ बीमा पॉलिसी में बदलाव कर देती है.

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