नई दिल्ली. लैंसेट के एक अध्ययन के मुताबिक सड़क सुरक्षा उपायों में सुधार करके भारत में हर साल लगभग 30,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है. अध्ययन में कहा गया है कि भारत में अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाने, दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट न पहनने और सीटबेल्ट के उपयोग न करने के कारण होती हैं.
अध्ययन में दावा किया गया है कि ड्राइवरों को केवल ओवरस्पीडिंग करने से रोक कर 20,554 लोगों की जान बचाई जा सकती है, जबकि हेलमेट पहनने को बढ़ावा देकर देश में 5,683 लोगों की जान बचाई जा सकती है. साथ ही, सीटबेल्ट के उपयोग करने से देश में हर साल 3,204 लोगों की जान बचाई जा सकती है.
नशे में गाड़ी चलाने से सबसे अधिक दुर्घटनाएं
अध्ययन के अनुसार नशे में गाड़ी चलाने से सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं. अध्ययन में न केवल भारत बल्कि वैश्विक रोड एक्सीडेंट को भी ध्यान में रखा गया है. UIt का दावा है कि विश्व स्तर हर साल सड़क हादसों में 13.5 लाख से अधिक लोगों की जान जाती हैं. इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मौतें लो और मिडिल इनकम वाले देशों में होती हैं.
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रोड सेफ्टी को डेवलपमेंट पॉलिसियों में शामिल किया जाए
सड़क दुर्घटनाओं और उससे होने वाले मौतों की संख्या को रोकने लिए अध्ययन में राजनीतिक और वित्तीय प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने और रोड सेफ्टी को मैनस्ट्रीम डेवलपमेंट पॉलिसियों में शामिल करने का आह्वान किया गया है.
कम आय वाले देशों मौतें जारी
इस अध्ययन के बारे में अमेरिका के जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के अदनान हैदर ने कहा कि अधिकांश रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, लेकिन दुख की बात है कि पिछले दशक से कम आय वाले देशों में मौतों की संख्या में वृद्धि जारी है, जबकि उच्च आय वाले देशों में प्रोग्रेस स्लो हो गया है.
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बचाई जा सकती है लोगों की जान
उन्होंने आगे कहा कि रोड सेफ्टी के लिए संयुक्त राष्ट्र का दूसरा डेकेड ऑफ एक्शन चल रहा है. यह 2021 से शुरू हुआ था और 2030 तक जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि हमारा काम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सड़क सुरक्षा उपायों की मदद से हम अमीर और गरीब सभी देशों में लोगों के जीवन को बचा सकते हैं.
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