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क्यों नहीं होती रोल्स रॉयस कारों की क्रैश टेस्टिंग! बेहद दिलचस्प है वजह, जानकर आप भी कहेंगे...

रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं की जाती है. (News18.com)

रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं की जाती है. (News18.com)

रोल्स-रॉयस कार की कीमत 5 करोड़ रुपये से शुरू होती है. इन्हें दुनिया भर में जिसका पास पैसा है वो खरीद सकता है. यह जानकर ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

लोग नई कार खरीदते वक्त सेफ्टी रेटिंग को भी प्राथमिकता दे रहे हैं.
कारों के क्रैश टेस्टिंग के बाद 5 स्टार तक सेफ्टी रेटिंग दी जाती है.
Global NCAP की सेफ्टी रेटिंग को दुनिया भर में मान्य किया जाता है.

दुनिया भर में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं की वजह से आजकल ज्यादा सेफ कारों की मांग भी बढ़ने लगी हैं. अब लोग नई कार खरीदते वक्त सेफ्टी रेटिंग को भी प्राथमिकता दे रहे हैं. दुनिया भर में कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो कारों के क्रैश टेस्टिंग के बाद उन्हें 1 से लेकर 5 स्टार तक सेफ्टी रेटिंग देते हैं. इनमें से Global NCAP की सेफ्टी रेटिंग को दुनिया भर में मान्य किया जाता है. ये संस्था कई कार कंपनियों की क्रैश टेस्टिंग करती हैं, लेकिन दुनिया की सबसे महंगी लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं करती है.

रोल्स-रॉयस कार की कीमत 5 करोड़ रुपये से शुरू होती है. इन्हें दुनिया भर में जिसका पास पैसा है वो खरीद सकता है. यह जानकर आप भी एक पल के लिए हैरानी में पड़ गए होंगे कि दुनिया भर में सभी कार कंपनियों की क्रैश टेस्टिंग की जाती है तो रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग क्यों नहीं की जाती. यहां बता दें कि क्रैश टेस्टिंग न होने की पीछे की वजह बड़ी ही दिलचस्प है.

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क्या होता है क्रैश टेस्ट?
जब दुनिया भर में कोई कार कंपनी नई कार बनाती है तो पहले वे सुरक्षा के लिहाज इसे अपने हिसाब से क्रैश टेस्टिंग करते हैं. Global NCAP जैसी कुछ नॉन प्रॉफिटेबल संस्थाएं हैं, जो इन कारों की अलग से टेस्टिंग करती हैं. टेस्टिंग के दौरान किसी कार को हर संभव तरीके से क्रैश किया जाता है. इसके बाद इन कारों को स्टार रेटिंग दी जाती है. आपने कभी रोल्स रॉयस कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं देखी होगी, अगर कुछ वीडियो देखें भी होंगे तो वे एनिमेडेट या फेक होंगे.

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क्यों नहीं होती क्रैश टेस्टिंग
रोल्स रॉयल अपनी कार को कस्टमाइज तरीके से बनाती है. इसके बाद कंपनी खरीदने वाले व्यक्ति का पूरा डेटा रखती है. वहीं किसी भी टेस्टिंग एजेंसी को क्रैश टेस्ट के लिए 4 से 5 कारों की जरूरत होती है. अब कंपनी को इन संस्थाओं को कार उपलब्ध कराती नहीं है. इन्हें खुद नई कारों को खरीदकर टेस्ट करना होता है. ऐसे में रोल्स रॉयस की कारों की कीमत काफी ज्यादा होती है. इन्हीं खरीदकर क्रैश टेस्ट करना न मुमकिन होता है. क्योंकि क्रैश टेस्ट के बाद कार इस्तेमाल करने लायक नहीं बचती है. यही वजह है कि रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं होती है.

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