ऑटो सेक्टर ने सरकार से कई मांगें कर रखी हैं और उम्मीद है कि बजट 2023 में ये पूरी होंगी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. केंद्रीय बजट 2023 बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा. पिछले एक साल में फिर पटरी पर लौटते ऑटो सेक्टर को भी इस साल बजट से काफी उम्मीदें हैं. ऑटो सेक्टर की निगाहें कुछ खास बातों पर टिकी हैं और उनको लेकर सरकार से लंबे समय से मांग भी की जा रही है. इन सभी बातों को लेकर सरकार भी काफी गंभीर है और उम्मीद है कि इन पर इस साल बजट में बड़े फैसले भी किए जा सकते हैं, जो ऑटो सेक्टर को बड़ी राहत देंगे. ये ऑटो मैन्युफैचरर्स से लेकर वाहन खरीदार तक सभी के लिए बड़े फायदे का सौदा होंगे.
ऑटो सेक्टर की लंबे समय से मांग ईवी पर मिलने वाली Fame सब्सिडी, ऑटो पार्ट्स पर लगने वाले जीएसटी और ऑल्टरनेट फ्यूल को लेकर हैं. इनका सीधा सीधा असर एंड यूजर पर पड़ने वाला है. तो आइये आपको बताते हैं कि ऑटो सेक्टर की क्या मांगे हैं और क्या सरकार इन पर फैसला लेगी या नहीं….
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Fame का लाभ सीधा ग्राहकों को मिले
सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) की मांग है कि फेम सब्सिडी का सीधा लाभ ग्राहकों को दिया जाए न कि वो ऑटोमोबाइल इडस्ट्री से डायवर्ट किया जाए. इसके साथ ही फेम की समय सीमा को बढ़ाने की भी मांग की गई है. एसएमईवी के अनुसार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का मार्केट तेजी से बढ़ा है लेकिन अभी भी इसके और बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में फेम सब्सिडी की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए. फेम सब्सिडी को बढ़ाने मांग को सरकार मान सकती है, उसका कारण है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को शुरू से ही सरकार बढ़ावा दे रही है.
ऑटो पार्ट्स पर जीएसटी हो कम
वहीं ईवी के लिए पार्ट्स पर लगने वाले जीएसटी की रेट 18 से 28 प्रतिशत की है. इससे मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट काफी बढ़ जाती है. साथ ही सेल के बाद सर्विस के दौरान भी ग्राहक को किसी पार्ट को खरीदने पर ज्यादा टैक्स देना होता है. इसको लेकर एसएमईवी की मांग है कि ऑटो पार्ट्स पर लगने वाले जीएसटी को एक समान किया जाए और इसकी दर को कम किया जाए. जिससे ऑटो मैन्युफैक्चरर्स के साथ ही ग्राहकों पर भी भार कम पड़े. हालांकि सरकार ने भी इस मामले को लेकर गंभीरता दिखाई थी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस संबंध में जल्द ही कुछ करने का आश्वासन भी दिया था. अब माना जा रहा है कि बजट में सरकार इसको लेकर बड़ा कदम उठा सकती है.
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ऑल्टरनेट फ्यूल
ऑल्टरनेट फ्यूल जैसे बायोगैस या हाईड्रोजन से चलने वाली गाड़ियां या फ्लैक्स फ्यूल को लेकर भी सरकार बड़ी घोषणा कर सकती है और इन गाड़ियों पर भी सब्सिडी या किसी तरह की छूट दी जा सकती है. उसका कारण है कि ये गाड़ियां कम या न के बराबर प्रदूषण करती हैं और पॉल्यूशन की समस्या से जूझ रही सरकार के लिए ये कारें भी काफी राहत लाएंगी. ऑल्टरनेट फ्यूल कारों को लेकर ऑटो सेक्टर भी काफी समय से मांग उठाता आ रहा है.
एथेनॉल प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग
एथेनॉल को फिलहाल पेट्रोल के साथ मिक्स किया जा रहा है. ये एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है और इससे कारों की लाइफ बढ़ने के साथ ही पॉल्यूशन भी कम होता है. फिलहाल देश में 1G एथेनॉल का उत्पादन होता है लेकिन इसे बढ़ाने की जरूरत है. ये बायोमास पर बेस्ड है और इसे आसानी से बढ़ाया भी जा सकता है. इसके उत्पादन को जिला स्तर पर कने की मांग की जा रही है और सरकार इसको लेकर भी फैसला कर सकती है.
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