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देश को दी सबसे सस्ती मोटरसाकिल, फिर अलग हो गई हीरो और होंडा की राह, ये रही असली वजह

होंडा की चालाकियों को समझ पवन मुंजाल ने ही अलग होने के निर्णय पर जोर दिया था.

होंडा की चालाकियों को समझ पवन मुंजाल ने ही अलग होने के निर्णय पर जोर दिया था.

देश को सबसे सस्ती मोटरसाइकिल देने वाली कंपनी हीरो होंडा अब दो अलग अलग ब्रांड्स हैं. दोनों ही कंपनियों ने अपनी राहें अलग ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

हीरो और होंडा ने पार्टनरशिप के साथ ही एक दूसरे का कंपीटीटर न होने का भी समझौता किया था.
हालांकि होंडा ने बाद में अपनी मोटरसाइकिल बाजार में उतार दीं.
2010 में दोनों कंपनियों की राह अलग हो गई.

नई दिल्‍ली. हीरो होंडा, ये दो शब्द अपने आप में एक मोटरसाइकिल को डिफाइन करने के लिए काफी थे. ये वो कंपनी थी जिसने लोगों को अफोर्डेबल मोटरसाइकिल का मतलब बताया और देश के ऑटोमोबाइल मार्केट में एक अलग क्रांति को पैदा किया. लोगों की जुबान पर रहने वाला ये नाम दरअसल हीरो और होंडा दो कंपनियों को मिलाकर बना था. लोग लंबे समय तक इसे एक ही कंपनी समझा करते थे. देश को लंबे समय तक सबसे सस्ती मोटरसाइकिल देने वाली ये कंपनी दो कंपनियों की पार्टनरशिप से बनी थी. लेकिन एक ऐसा भी दौर आया जब इन दोनों कंपनियों ने अलग-अलग रास्ते ले लिए. इसके साथ ही 2 नए बाइक ब्रांड्स ने देश में दस्तक दी. लेकिन मुनाफा, नाम और लोगों का विश्वास जीतने के बाद भी आखिर ऐसा क्या हुआ जो हीरो और होंडा को अलग होना पड़ा. क्या होंडा को कोई लालच था या फिर ये बिजनेस की नई स्ट्रैटेजी थी. लेकिन हमेशा से कहा यही गया कि होंडा ने हीरो को धोखा दिया.

हीरो की बात की जाए तो इसकी नींव ब्रजमोहन लाल मुंजाल ने 1956 में रखी थी और ये 29 सालों में ही सबसे बड़ी साइकिल बनाने की कंपनी के तौर पर सामने आई. 80 के दशक तक हीरो अपनी साइकिलों को एक्सपोर्ट करने लगी. इसी दौरान मुंजाल ने देखा कि मोटरसाइकिल का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है. इस दौरान इंडिया में मोटरसाइकिल के नाम पर कुछ ही ऑप्‍शन थे. और जो थे वो भी किफायती किसी भी लिहाज में नहीं थे. अब मुंजाल ने इसके लिए प्लान किया और किसी विदेशी कंपनी के साथ बेहतर टेक्नोलॉजी की मोटरसाइकिल को इंडिया में लॉन्च करने की योजना पर काम करना शुरू किया.

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इसी के चलते ब्रजमोहन ने होंडा को बिजनेस प्रपोजल भेजा. होंडा भी इस दौरान इंडियन मार्केट में उतरने की सोच रही थी और हीरो का प्रपोजल उसे पसंद आ गया. दोनों कंपनियों ने 1984 में एक एग्रीमेंट तैयार किया, इसके तहत हीरो मोटरसाइकिल की बॉडी मैन्युफैक्चर करेगा और होंडा इंजन सप्लाई करेगी. इसके साथ ही एक और समझौता हुआ, वो था कि दोनों ही कंपनियां कभी भी राइवल्स के तौर पर अपना प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगी.

अब आई वो बाइक जिसने किया राज
1985 में हीरो होंडा की पहली मोटरसाइकिल CD 100 लॉन्च हुई. मोटरसाइकिल ने मिडिलक्लास या कहें वर्किंग क्लास को अपना दिवाना बना दिया. लोगों को स्कूटर से ज्यादा माइलेज मोटरसाइकिल में मिल रहा था, साथ ही ये लुक्स में कमाल की थी. हीरो होंडा की सक्सेस देख बजाज ने भी मोटरसाइकिल बनाने में हाथ आजमाया, वहीं सुजुकी, यामाहा और टीवीएस ने भी देश में एंट्री ले ली.

अब एक बुरा दौर आया, जापानी करेंसी में उछाल के साथ ही स्पेयर पार्ट्स महंगे होने लगे और हीरो के लिए किफायती बाइक बनाना दिनों दिन मुश्किल होने लगा. साथ ही कंपीटीटर्स भी हीरो के मार्केट को तोड़ने लगे. लेकिन लोगों का विश्वास कंपनी नहीं तोड़ना चाहती थी और इसी के चलते हीरो ने नुकसान में लोगों को किफायती मोटरसाइकिल लंबे समय तक बेची. 1990 में डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेग्युलेट होने के बाद कंपनी को कुछ आराम आया और फिर एक बार प्रॉफिट का दौर शुरू हो गया. कुछ ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट 10 मिलियन डॉलर को भी पार कर गया.

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अभी तक ये कहानी काफी अच्छी दिख रही थी लेकिन हीरो और होंडा में अनबन का दौर शुरू हो गया था. होंडा कुछ ज्यादा चालाक निकली थी. दरअसल हीरो होंडा की मोटरसाइकिलें इंडिया के साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान में ही एक्सपोर्ट हो रही थीं. लेकिन होंडा अमेरिका और रूस जैसे विकसित देशों में अपनी मोटरसाइकिलों को एक्सपोर्ट कर रही थी और हीरो पर ये करने की पाबंदी थी.

अब हीरों चाह कर भी होंडा से अलग नहीं हो सकती थी क्योंकि इंजन के लिए वे होंडा पर ही निर्भर थे. अब हीरो ने इंजन मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू किया. हालांकि हीरो ने इस इंजन के साथ बाइक मार्केट में नहीं उतारी थी. होंडा को जब इस बात का पता चला तो दोनों कंपनियों के बीच की अनबन बढ़ने लगी.

ये अनबन इतनी बढ़ी की करार होने के बाद भी होंडा ने 1999 में होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपनी एक अलग कंपनी बना ली और होंडा के बैनर तले मोटरसाइकिलें लॉन्च करना शुरू कर दिया. ये मोटरसाइकिलें सीधे हीरो होंडा की मोटरसाइकिलों को टक्कर देने लगीं. साथ ही एक्टिवा के साथ होंडा ने स्कूटर सेगमेंट में भी एंट्री मार ली. अब होंडा अपनी कंपनी के साथ ही हीरो होंडा से भी प्रॉफिट उठाने लगी.

यहां पर सामने आए ब्रजमोहन मुंजाल के बेटे पवन मुंजाल और उन्होंने होंडा की इस मनमानी का खुलकर विरोध किया. उन्होंने होंडा को अपनी मोटरसाइकिलें बेचना बंद करने या फिर हीरो से करार तोड़ने की साफ बात कही. ये अनबन अब बाहर आने लगी. लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि होंडा से अलग होकर हीरो का अस्तित्व ही नहीं बचेगा. लेकिन पवन को खुद पर और अपनी कंपनी पर पूरा यकीन था. 16 दिसंबर 2010 को हीरो और होंडा अलग हो गईं. होंडा ने कंपनी के अपने 26 प्रतिशत शेयर 1.2 अरब डॉलर में हीरो को ही बेच दिए. ये उस दौरान हुई सबसे बड़ी डील्स में से एक थी.

और कहीं पीछे रह गई होंडा
हीरो ने इसके बाद अपनी अलग बाइक मार्केट में उतारीं. और जो लोग हीरो की काबलियत पर शक कर रहे थे उनका मुंह हीरो ने खास अंदाज में बंद किया. हीरो देश की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन कर सामने आई. आज हीरो की मोटरसाइकिल का प्रोडक्‍शन दुनिया भर में सबसे ज्यादा है. वहीं होंडा की मोटरसाइकिलें कुछ ज्यादा चमत्कार नहीं दिखा सकीं.

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