फिलिम-टीवी के एगो जियतार नवही कलाकार के मउवत के अझुराइल गुत्थी सझुरावे का दिसाईं होत उतजोग में कई गो खुलासा अचंभित करेवाला बा. मादकता के दरियाव में डूबल नामी-गिरामी हीरो-हीरोइन आ सुपर स्टारन के ड्रग्स के कारोबार में लिप्त जानिके अचरज होत बा. खाली चकाचौंध वाली फिल्मिए दुनिया ना, बेरोजगारी-असंतोष-कामचोरी-कुंठा-अवसाद -प्रेम में नाकामी जइसन कारनन का चलते आजु नवही नसाखोरी में डूबत-उतरात बाड़न. आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ जब पच्चीस हजार पढ़ुआ नवहिन के जांच का बाद पवलन कि साठ फीसद पढ़निहार निसा के लत के आदी बाड़न.
मुंबई-दिल्ली नियर महानगरन में त ई प्रतिशत पैंसठ से सत्तर ले पहुंचि चुकल बा. गांजा, अफीम, चरस, शराब एल एस डी, हशीश, कोकेन, स्मैक जइसन मादक द्रव्यन के सेवन आजु धड़ल्ले से हो रहल बा. सिरिफ एकरा नसाखोरिए में ना, बलुक एकरा तस्करियो में नवही लोग अगहर भूमिका निबाहत बा आ कई गो धाकड़ अधिकारी, इज्जतदार सफेदपोशन के संरक्षनो मिलि रहल बा. हेरोइन पाउडर के सिगरेट में भरिके पीए के निसा 'स्मैक' अनगिनत नवहिन के मउवत के कगार पर पहुंचा चुकल बा. पहिले सिगरेट में भरिके स्मैक का रूप में, फेरु पफ भा चेन का रूप में, स्नफिंग का रूप में आ अंत में इंजेक्शन से नाड़ी में हेरोइन पहुंचावे के लत निसाखोरी के चरम होला.
पोस्ता के कांच दाना के भूअर रस के खउलाके कांच अफीम बनेला आ ओही कांच अफीम से पहिले मार्फिन, फेरु मार्फिन से बनेला हेरोइन. इहे हेरोइन 'हार्स', 'जंक', 'बिग एच 'जइसन नांव से शोहरत पा चुकल बिया आ ई तमाम निसा के रानी मानल जाले. शराब के निसा त इतिहास रचे वाली लड़ाइयन, महामारी आ अकालो से बढ़िके भयावह आ जानलेवा साबित होत आइल बा. इतिहास गवाह बा कि पहिलका विश्वयुद्ध में एक करोड़ अदिमी मूवल रहे, जबकि 1913 से 1918 के ओही समय में शराब से मरे वालन के तादाद दू करोड़ रहे.
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एही से निसाखोरी के भयंकर नतीजा परिवार आ समाज के बरबादी के मरम छूवेवाला चित्र उकेरत भिखारी ठाकुर 'पियवा निसइल ' नाटक के सिरिजना कइले रहलन. एह तमाशा के जगहा-जगहा मंचन क के ऊ नवही पीढ़ी के चेतवले रहलन. आजु भोजपुरिया समाज एह निसाखोरी से फेरु बरबादी का ओरि बढ़ि रहल बा. शराब के अल्कोहल गुरदा के कोशिका के खरोंचिके खुरदुरा बना देला, जवना से खरोंचल जगहा पर कैल्शियम जमे लागेला आ खून के प्रवाह में बाधा पहुंचे लागेला. उहां के कोशिका मोट हो जाली स आउर गुरदा के दरद बढ़त चलि जाला. एकरा लगातार सेवन से ज्ञान आ तर्क-तंतु के ताकत खतम हो जाला.
बानी, मोटर ऐक्शन, दृष्टि --तमाम इन्द्री बेकाबू हो जाली स. ब्लड प्रेशर के बेमारी बढ़ि जाले. ई गैरजरूरी यौन उत्तेजना बढ़ावेला आ देखते देखत मउवत के मुंह में पहुंचा देला. निसाखोरी करेवाला नवही देह आ दिमाग के स्तर पर एह प निर्भर हो जाला. जदी हेरोइन के सेवन करेवाला के खाली बारह घंटा ले एह निसा से वंचित कऽ दिहल जाउ, त ओकर सउँसे देह पसेना से तर-ब-तर होके कांपे लागी, कमजोरी महसूस होखे लागी, बेचैनी घेरि ली. आंखि से पानी गिरे लागी आ आंखि दरद से फाटे लागी. देह के रोआं ठाढ़ हो जइहें स आ खून के उल्टी होखे लागी. हड्डी अंइठाए लगिहें स. फेरु त छत्तीस घंटा का बाद ओह निसाखोर के साइते बचावल जा सके.
मादक द्रव्य के रोजाना सेवन करेवाला नवही नामर्दी के शिकार हो जाला. ई जानलेवा निसा लीवर, किडनी, नर्वस सिस्टम के तहस नहस क के राखि देला आ आगा चलिके कैंसर, टीबी के रोगी बना देला. खाली भोजपुरिया समाजे ना ,सिरिफ जुवके ना, बलुक देस के अधिकतर पढ़निहार जुवक-जुवती निसाखोरी के आदी होत जात बाड़न. ई एगो स्टेटस सिंबल बनत जा रहल बा. तबे नू कोरोना महामारी में लॉकडाउन से अनलाक होते शराब दोकान पर खरीदारन के ठकचल भीड़ एह निसाखोरी के सच उजागर करत रहे.
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ई निसाखोरी मनुजता के कैंसर बा आ अगर एह दिसाईं ठोस डेग आउर क्रियाशीलता ना बरतल गइल, त ऊ दिन दूर नइखे, जब देश के कर्णधार नवही पीढ़ी के तमाम रचनाशीलता आ ओकर सोगहग अस्तित्व निसाखोरी के महासागर में विलीन हो जाई. (यह लेखक के निजी विचार हैं.)
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