शारदीय नवरात्रा शुरू हो रहल बा. कोरोना काल बा, एह से सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा के उत्सव त ओह लेखा ना होई, जइसन कि हर साल होखत रहे बाकि तबो लोग के उत्साह-उमंग त ओही लेखा बा. सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा में भले कमी होखो बाकि घर-घर में होखेवाला देवी पूजा के ले के त उत्साह-उमंग-आस्था-श्रद्धा में त कवनो कमी नइखे. कवनो वजह भी नइखे कमी होखे के. बलुक ई कहल जा सकत बा कि ई कोरोना काल के जल्दी खतम होखे के आस में, एकरा से निजात पावे खातिर श्रद्धा-भाव आउरी बढ़ल ही बा. जब नवरात्रा शुरू होखी त मूल त सभे जानत बा कि घरे-घरे पूजा-पाठ होखी. कलश के स्थापना होखी. देवी-दुर्गा के पाठ होखी. बाकि ई कुल के मूल में एगो अउरी चीज रही, देवी गीतन के गवनई शुरू होखी. देवी भजन, देवी गीत आ पचरा गीतन के गवनई शुरू होखी. हमनी के आज के बतकही इहे देवी गीतन के ही दुनिया प ही होखी. पारंपरिक देवी गीतन के दुनिया से गुजर के जब एह नवरात्रा के समझे के कोशिश करब भा एकरा के देखब तक एगो नया आयाम देखे के मिली.
रउआ अबकी के नवरात्र में जब सार्वजनिक दुर्गा पूजा में, मेला आदि में नइखे जाये के त घरे रह के देवी-दुर्गा के गीतन के दुनिया समझे के कोशिश करीं. देखब कि जब शास्त्रीय तरीका से, मने संस्कृत वाला श्लोक आदि से देवी-दुर्गा के पाठ होला, अराधना होला, त ओकरा में देवी-दुर्गा के रूप कईसन रहेला. देवी शक्तिशाली रहेली,चमत्कार के भी कथा-कहानी रहेला. देवी इंसानी दुनिया से अलग विशेष परिवार के सदस्य नजर अइहें. देवता परिवार के. दुश्मनन के मारत, संहार करत, कई गो चमत्कार करत. बहुत सावधान रहे के पड़ी कि कवनो गलती ना हो जाव देवी के अराधना में भा पूजा में. अब एही संगे रउआ देवी के गीतन के दुनिया से देवी के पूजा भा देवी आ भक्त के रिश्ता के स्वरूप समझे के कोशिश करीं. कवनो एगो पारंपरिक गीत उठा के देख सकत बानी. उदाहरण के रूप में भोजपुरी इलाका में सबसे लोकप्रिय पारंपरिक गीत निमिया के डाढ़ मइया के ही सुनीं. एह गीत के सुनब त एगो कहानी लेखा अहसास होखी. नीम के डाढ़ प देवी झुलुआ खेल रहल बाड़ी. उनका पियास लागत बा. उ उहां से चलत बाड़ी.
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त, अबकी कोरोना काल में जब आराम से घरे रहि के नवरात्रा आ दशहरा मनावे के संयोग जुटल बा त एह दुनिया के समझे के कोशिश करे के काम बा. जे लोकगीतन के दुनिया से, लोकपरंपरा से देवी—देवता से इंसानी दुनिया के रिश्ता समझ ली, उ जीवन में कबो धरम के ले के उन्मादी नइखे हो सकत. उ कब्बो अंधविश्वासी नइखे हो सकत.
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Tags: Bhojpuri Articles, Bhojpuri News, Durga Puja, Navratri
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