भोजपुरी विशेष: मालवा अउरी भोजपुरी में का संबंध बा जानीं
भोजपुरी विशेष: मालवा अउरी भोजपुरी में का संबंध बा जानीं
बाकिर जे भोजपुरी के गरिमा नइखे जानत, ओकरा के ई बतावल जरूरी बा कि भोजपुरी भाषा के इतिहास सातवीं शताब्दी से भी पुरान ह.
भोजपुरी बोले में आत्मीयता आ गर्व त भोजपुरी वालन के होइबे करेला, महाराज विक्रमादित्य के राजा वंसज राजा भोज के भी भोजपुरी से बहुत प्रेम रहल हा. मालवा छेत्र आ भोजपुरी के एही संबंध के बतावत हवे लेखक
कई लोग ई शिकायत करेला कि कुछ प्राणी बड़का अफसर बनि गइला आ उच्चकोटि के रहन- सहन के बाद भोजपुरी बोले में लजाला. हालांकि अइसन लोग कमे संख्या में होइहें. बाकिर जे भोजपुरी के गरिमा नइखे जानत, ओकरा के ई बतावल जरूरी बा कि भोजपुरी भाषा के इतिहास सातवीं शताब्दी से भी पुरान ह. कुछ विद्वान लोगन के विचार से राजा भोज के जन्म सन 980 में भइल रहे. लेकिन कहल जाला कि पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार में भोजपुरी बोलला आ लिखला के इतिहास सातवीं शताब्दी से पहिले के ह. त राजा भोज के जन्म 980 में महाराजा विक्रमादित्य के नगरी उज्जैन में भइल. राजा भोज सम्राट विक्रमादित्य के वंशज रहलन.
पंद्रह साल के उमिर में उनुकर राज्याभिषेक हो गइल. माने ऊ राजा बनि गइले. राज्याभिषेक मालवा राजसिंहासन पर भइल. प्रसिद्ध संस्कृत के विद्वान डॉ रेवा प्रसाद द्विवेदी लिखले बाड़न कि राजा भोज के शासनन केरल के समुद्र तट तक रहे. उनही के परिजन लोग दू भाग में बंटि गइल लोग आ आपन शासन पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार में (ओह घरी पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार नामक कौनो स्थान ना रहे, बाद में ई नांव धराइल) स्थापित कइके एगो भोजपुर एहिजो बसावल लो. जबकि मध्यप्रदेश में पहिलहीं से भोजपुर नांव के एगो जगह रहे. मध्य प्रदेश के राजधानी भोपाल राजा भोज बसवले रहलन. कहल जाला कि संजोगवश एक बार एगो भोजपुरी भाषी से राजा भोज के भेंट हो गइल. ऊ भोजपुरिहा उनुका के भोजपुरी के कुछु मीठ गीत सुनवलसि आ ओकरा व्यक्तित्व में आत्मीयता रहे.
ओकरा लगे भोजपुरी में लिखल कुछ हस्तलिखित श्रेष्ठ किताब रहली सन. राजा बहुत चकित भइलन. तबे से राजा भोज के भोजपुरी से प्रेम हो गइल. एहीसे उनकर परिजन भोजपुरी वाला इलाका से प्रेम करे लागल लोग आ भोजपुरिया इलाका में बसि गइल लोग. एहिजे मालवी आ भोजपुरी के संगम भइल. भोजपुरी एतना प्रभावशाली रहे कि मालवा से लोगन के लेआ के भोजपुरी वाला इलाका में बसा दिहलसि. ओह घरी एक भाषा दोसरा भाषा के खींचत रहलि सन. भोजपुरी के मालवा क्षेत्र में ओही घरी से प्रवेश हो गइल.
राजा भोज स्वयं बहुत बड़ विद्वान रहले. कहल जाला कि ऊ धर्म, खगोल विद्या, कला, कोश रचना, भवन निर्माण, काव्य, औषधि शास्त्र पर केंद्रित किताब लिखले बाड़े. ऊ सन 1000 से 1055 तक राज कइलन. कुछ विद्वान कहेला लोग कि राजा भोज के 84 गो ग्रंथ में से 21 गो ग्रंथ बांचल बा. ऊ कई गो देशन के जीति लिहले. उनकर मेहरारू (पत्नी) के नाम लीलावती रहे आ ऊहो बहुत विद्वान रहली. राजा भोज आ रानी लीलावती के भोजपुरी प्रेम बहुत गहिर रहे. ऊ मध्यप्रदेश में कौनो कार्यक्रम होखे तो पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार के भोजपुरी के कलाकारन के जरूर बोलावसु. उनुकर गहिर इच्छा रहे कि भोजपुरी भाषा से उनुकर संबंध लगातार बनल रहे. कहल जाला कि उनुकर वंशज लोग बाद में भोजपुरिया लोगन से शादी- बियाह के संबंध भी बनावल लोग.
ओकरा बाद ओह परिवार के लोगन के अनगिनत शादी भोजपुरी बोले वाला लोगन से भइल. ई राजा भोज के भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम के कारण संभव भइल. ओह घरी बियाह- शादी सांस्कृति विरासत के समृद्धि देखि के होत रहे. भोजपुरिया इलाका ओह घरी सभ्यता आ संस्कृति के संगे- संगे विद्वता के क्षेत्र में भी बेजोड़ रहे.
त एतना समृद्ध भाषा के बोले में गर्व ना होखे त ओह आदमी के का कहल जाउ. भाषा दोसरकी महतारी कहाले. पहली महतारी जे जनम दिहल. आ दोसरकी महतारी ऊ भाषा जवन हमार महतारी के मुंह से सुने के मिलल. त भोजपुरी के एहसे सशक्त भाषा कहल जाला कि ओकरा में मनुष्य के कुल भावना आ चुनौतियन के विस्तार से वर्णन बा. अइसने रचना पाठक के दिल आ दिमाग में उतरि जाली सन. ओही परंपरा के पालन करे वाला साहित्यकार आ लेखक आजुओ बाड़े. जे भी भोजपुरी भाषा से जुड़ल कौनो काम करता आ चाहे कौनो रूप में भोजपुरी के समृद्ध करता ऊ प्रणाम करे के पात्र बा, आदर करे पात्र बा. जे कहता कि भोजपुरी में लिखला से केहू समृद्ध ना होई, विश्व स्तर पर प्रसिद्ध ना होई, ऊ भ्रम में बा. भोजपुरी दिन पर दिन ताकतवर भाषा होखल जातिया.
दुनिया भर में ओकरा के बोले वाला करोड़ो संख्या में बाड़न. अइसन मीठ बोली कहां मिली. रउवां कतनो तनाव में रहीं, तनिकी भर केहू भोजपुरिया मिठास से बोलि देउ- “ए छोड़ मरदे, भगवान जी बाड़े नू. सब भार तूंही लेब, ….. सब भगवान के दे द. ऊ जरूरे मदद करिहें.” बस देखीं, लागी कि रउरा कपार से का जाने कतना मन के बोझ उतरि गइल. तनी मंदिर के घंटी सुनि लीं, मये थकान आ तनाव पानी में बहि जाई.
एक हाली के बाति ह कि शादी- बियाह में लइका के पता लगावे महाराष्ट्र के एगो इलाका में दू जाना भोजपुरिहा गइल लो. उनुका घर में एगो कमासुत बियाह करे लायक लइका बा. गइल लो त पता चलल कि ऊ परिवार तो दू साल पहिले ई जगह छोड़ि के चलि गइल. राति हो गइल रहे. त ओह लोगन के ओहिजे ग्राम प्रधान के घरे ठहरे के परल. ग्राम प्रधान कहले कि हमरा घरे भोजन करीं सभे. भोजपुरिहा भाई लो कहल कि हमनी का खुद के बनावल भोजने करे नी जा. हमनी के गोइंठा, आटा, दाल आ आलू के इंतजाम क दीं. पइसा हमनीं का देब जा. ग्राम प्रधान पइसा ना लिहले आ पुछले कि गोइंठा का ह. ई बतावल लो कि गाय- भैंस के सूखल गोबर के गोइंठा कहल जाला. ओहिजा गोइंठा त ना रहे बाकिर सूखल गोबर संयोग से रहे.
बस भोजपुरिया भाई लोग कुछ बर्तन मांगि के आइल सामान से लिट्ठी, चोखा आ दाल बनावल लोग आ ग्राम प्रधान के कहल लो कि आजु रउवां हमनी के संगे भोजन करीं. ग्राम प्रधान एह व्यंजन के उत्सुकता में ओही लोगन के संगे भोजन कइले. भोजन क के ऊ लिट्टी- चोखा के दीवाना हो गइले. भोजपुरिया भाई लो कहल कि देखीं, जब भी रउवां लिट्टी- चोखा बनाईं त गाढ़ दाल जरूर बनाईं. लिट्टी जब शुद्ध घीव डालल दाल में डुबाइ के खाइब त स्वर्ग के आनंद मिली. ग्राम प्रधान कहले कि रउवां सभे त शुद्ध घीव मंगबे ना कइनी ह सभे. भोजपुरिया भाई कहल लो कि अब का का मांगी जा. बस आजु भोजन संपन्न भइल, ईश्वर के कृपा बा. ग्राम प्रधान कहले कि हमरा घर में शुद्ध घीव भरल बा. तनिको हम जनितीं कि ईहो लागेला त हम हाजिर क दीतीं. भोजपुरिया लोग रातिए भर में ग्राम प्रधान के दिल जीत लिहल लोग. त भोजपुरी के महिमा अपरंपार बा. एकर जतना तारीफ करीं, कमे बा.