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भोजपुरी में पढ़ें - पंचक में परि गइल बा एबेरी के चैती नवरात

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पंचक में नवरात के धूमधाम से पूजा होई. काहें से कि ई पूजा जगन्माता के ह. देवी के ह. त जहां देवी जी के आगमन बा ओइजा पंचक ...अधिक पढ़ें

रउरा सब जानते बानी कि पांच गो नक्षत्रन के मेल के पंचक कहल जाला. पंचक योग हर महीना में आवेला. लगातार पांच गो बिसेस नक्षत्र से होके जब चंद्रमा चलिहें त ऊ पंचक कहाई. त ई कौन- कौन नक्षत्र ह लोग? धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद आ रेवती. चंद्रमा एक राशि में अढ़ाई (2/1/2) दिन रहेले. त जब दू गो राशि में जइहें त पांच दिन पूरा हो जाई. एही पांच दिन में पांच गो नक्षत्र से होके चंद्रमा चलत चल जाले. दोसरा शब्द में कहल जाउ त जब चंद्रमा कुंभ आ मीन राशि में रहेले त ई योग बनेला. पंचक में कौनो शुभ काम ना कइल जाला. बाकिर ए बेरी चैती नवरात पंचक के बीच में परि गइल बा. अतवार (रविवार) 19 मार्च 2023 के सबेरे 11 बजिके 17 मिनट पर पंचक सुरु होता आ 23 मार्च 2023 के दुपहरिया बाद 02 बजकर 08 मिनट पर खतम होता. चैती नवरात 22 मार्च से सुरू होता, त नवरात के पहिले, दू दिन पंचक बा. ज्योतिष शास्त्र कहले बा कि अतवार से जौन पंचक सुरू होला ओकरा के “रोग पंचक” कहल जाला. एह पांच दिन में संबंधित आदमी के शारीरिक आ मानसिक कष्ट रहेला. कई लोगन के बिना कौनो कारण के शरीर आ मन खराब रहेला. एहू में धनिष्ठा पंचक सबसे खराब कहल जाला. ओघरी कौनो शुभ काम भा यात्रा ना करेके चाहीं. धनिष्ठा में अग्नि भय रहेला. माने आग लागे के घटना ढेर होली सन. एसे सावधान रहे के कहल बा.

बाकिर पंचक में नवरात के धूमधाम से पूजा होई. काहें से कि ई पूजा जगन्माता के ह. देवी के ह. त जहां देवी जी के आगमन बा ओइजा पंचक होखे तबो डेराए के बात नइखे. देवी हर तरह के अशुभ समय के नाश क देली आ शुभता के स्थायी बीज बो देली. एगो अउरी शुभ कारन बा. ज्योतिष कहता कि नवरात के समय मीन राशि में पांच गो ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु आ नेपचुन) एके साथे संयोग बनाके गोचर करत रही लोग त एकरा कारन कई गो शुभ योग एह दिन बनी. जइसे- गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग, धर्मात्मा आ राज लक्षण योग भी एह दिन बनल रही. त देखीं हो गइल नू पंचक योग के नाश. एही से कहल बा कि जब भी कष्ट, अशुभता आवे त भगवान के भक्ति करेके चाहीं. त डेराए वाला कौनो बात नइखे.
अब जब पंचक योग के बात चलिए गइल बा त ओकरा डिटेल में तनीं झांक लिहल जाउ. “मुहूर्त चिंतामणि” में पंचक का बारे में लिखल बा-

अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः.
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके..

(अर्थ- पंचक में तिनका आ काठ के संग्रह से अग्नि भय, चोर भय, रोग भय, राज भय आ धनहानि संभव बा.)
एइजा काठ के प्रयोग माने छत बनवावल, खटिया- पलंग बनवावल से लेके काठ के तरह- तरह के निर्माण आ नया चीज में प्रयोग मना कइल बा. अउरी का कहल बा?
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आपके शहर से (पटना)

धनिष्ठ-पंचकं ग्रामे शद्भिषा-कुलपंचकम्.
पूर्वाभाद्रपदा-रथ्याः चोत्तरा गृहपंचकम्.
रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लक्षणम्..

मान्यता ह कि जदि धनिष्ठा में जनम-मरन होता, त ओह गांव-नगर में पांच गो अउरी जन्म-मरन होई. शतभिषा में जनम- मरन होई त ओही कुल में, पूर्वा में जनम- मरन होई त ओही टोला में, उत्तरा में होई त ओही घर/खानदान में आ रेवती में होई त दोसरा गांव-नगर में पांच गो बच्चा के जनम आ पांच लोगन के मृत्यु संभव बा.

त सरकार एगो निहोरा बा, एगो डिस्क्लेमर बा. एकरा पर रउरा सब बिसवास करीं, ई हम नइखीं कहत. हम त खाली ई कहतानी कि पंचक का बारे में का लिखल बा, ई देखीं. रउरा एकरा पर रिसर्च क सकेनीं आ ओकर रिजल्ट पर चर्चा क सकेनीं. हमनीं का एडवांस जुग में बानी जा. प्राचीन रिसर्च के नया सिरा से जांच क सकेनी जा. हमनी का पंचक पर रिसर्च क के आपन शोध परिणाम प्रस्तुत क सकेनी जा. त एकरा के अंधबिसवास से ऊपर उठि के नया चिंतन के आलोक में देखल जा सकेला.

चलीं, फेर ज्योतिष पुनरावलोकन पर लवटीं जा. रउरा कहि सकेनीं कि मीन राशि पर त शनि के साढ़े साती चलता. तब कइसे शुभ योग बनी? त सरकार, जौना समय नवरात रहेला, ओह घरी कौनो ग्रह शांत रही. देवी के शुभ प्रभाव से कुल ग्रह लोग अपना औकात में रहेला. देवी मां के एही से जगन्माता कहल बा. जे देवी (मां दुर्गा, काली, सरस्वती आदि) के भक्त बा, ओकरा त अउरी निश्चिंत रहे के चाहीं. अउरी एगो बात कहल बा. जे महामृत्युंजय के नियमित जाप करता ओकरों कौनो चिंता के बात नइखे. कहल बा कि हर परेशानी के बेजोड़ उपाय महामृत्युंजय जाप ह. त देखीं, हमनी के भगवान केतना सरल उपाय दे देले बाड़े. जीवन बा त सुख- दुख अइबे करी. बाकिर हमनी के दृढ़ मानसिक अवस्था में रहे के चाहीं. सुख में त आनंद रहबे करी. बाकिर दुख में कइसे राहत मिली, एकर उपाय भगवान क देले बाड़े. बस ओकरा पर अमल करेके बा.

कई लोग नवरात का बादो “दुर्गा सप्तशती” के पाठ करत रहेला. ओकरा से बिसेस लाभ मिलेला आ बिघिन- बाधा, फालतू चिंता- फिकिर खतम होला. जीवन सोझा सरल ढंग से चलेला.

( डिसक्लेमर – लेखक वरिष्ठ पत्रकार और ज्योतिष के जानकार हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

Tags: Bhojpuri article, Chaitra Navratri

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