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Bhojpuri में पढ़ें- विद्या के देवी हईं माता सरस्वती, गहिर बा इनकर पूजा के अर्थ; पढ़ीं एगो रोचक प्राचीन कथा

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ई त हमनी का जानते बानी जा कि माता सरस्वती विद्या के देवी हई आ अपना ज्ञान के हरदम समृद्धि कइल, ओकर सदुपयोग कइल, ज्ञानी व ...अधिक पढ़ें

ओह कथा का पहिले माता सरस्वती का बारे में कुछ लोकमान्यता के बारे में जानल रोचक बा. एगो मान्यता कहता कि सरस्वती जी ब्रह्मा जी के पत्नी देवी सावित्री जी से उत्पन्न बेटी रहली. दोसरका मान्यता कहता कि सरस्वती जी ब्रह्मा जी के मानस पुत्री हई जेकरा के ब्रह्मा जी अपना मुंह से प्रकट कइले. माने मंत्रोच्चार से प्रकट कइले. त प्राचीन कथा भी मानस पुत्री के मान्यता के पुष्ट करता. आईं ऊहे कथा जानल जाउ-

विष्णु जी के सलाह पर ब्रह्मा जी पृथ्वी पर प्राणी समुदाय के सृष्टि कइले. सबसे उन्नत प्राणी मनुष्य संसार में विचरे लागल. बाकिर मनुष्य शांत आ उदास नियर लागल. ब्रह्मा जी पूरा संसार बिना आवाज के कुछ विचित्र लागल. बिना संवाद, बिना अध्ययन, अध्यापन के संसार के लोगन में ज्ञानोदय कइसे होई? ब्रह्मा जी के संसार के ई उदासीन नियर नीरवता नीक ना लागल. ऊ अपना जल पात्र से अंजुरी में जल लिहले आ एगो दिव्य मंत्रपाठ कके अपना अंजुरी के जल पृथ्वी पर चारों ओर छिड़क दिहले. ओही जल में से एगो चार गो बांह (भुजा) वाली बहुते सुंदर, सफेद पहिरावा में हाथ में वीणा लेले एगो शक्ति रूपा देवी प्रकट भइली. ब्रह्मा जी के आज्ञा से ऊ वीणा झंकृत कइली आ समूचा पृथ्वी पर सकारात्मक संगीत फइल गइल. मनुष्य के जड़ता आ मूक भाव टूटि गइल आ प्रेम आ आदर से संवाद के परंपरा शुरू हो गइल. एकरा साथे एगो सुंदर वाद्य यंत्र से दैवी स्पंदन वाला संगीत आ गीत के परंपरा भी शुरू हो गइल. त सरस्वती जी के उत्पत्ति के अर्थ बा कि विद्या नीरस ना होला, बशर्ते ओकरा में गहिर डूबल जाउ आ ओकर सिस्टमेटिक पढ़ाई कइल जाउ. जइसे संगीत के एगो पद्धति बा ओहीतरे पढ़ाई- लिखाई आ शोध के भी एगो पद्धति बा. हर ज्ञान संगीत नियर आनंददायी होला आ हर सकारात्मक संगीत दिव्य होला आ मन, आत्मा के तृप्त करे वाला होला. एही से सरस्वती जी के ब्रह्मा जी के मानस पुत्री कहल जाला.

अब तनीं पौराणिक व्याख्या देखल जाउ. ज्ञान, कला, बुद्धि आ संगीत के देवी सरस्वती बहुते शांत, सौम्य आ रक्षा करे वाली हई. ज्ञान से भी मनुष्य आपन रक्षा क सकेला, एकर प्रतीक माता सरस्वती हई. जइसे वीणा के तार में संगीत के अनंत संभावना लुकाइल बा, ओहीतरे मनुष्य के भीतर भी अनंत संभावना लुकाइल बा. त जे मनुष्य अपना प्रयास से थक के निराश होता ओकरा खातिर माता सरस्वती के संदेश बा कि मनुष्य के जीवन में कभी भी सुअवसर आ सकेला. मनुष्य के हजार पराजय के बाद भी उत्साह में रहे के चाहीं. माता सरस्वती के रूप आ गुण इहो बतावता कि जीवन कभी भी नीरस आ अधूरा ना रहि सकेला, जदि हमनी का अपना ज्ञान के सही इस्तेमाल करीं जा.

मरते दम तक उत्साह से प्रयास करत रहे के चाहीं. माता सरस्वती के हाथ में माला बा. ई माला जप के प्रतीक बा. जप काहें कइल जाला? त मन के एकाग्र करे खातिर. त जब तक ले हमनी के कौनो काम में आपन सौ प्रतिशत एकाग्र ना होखब जा, सफलता ना मिली. माला के एगो अउरी अर्थ बा- एक हाथ में भगवान के राखे के परी आ दोसरका हाथ से काम करे के परी. माने मन में राखे के परी कि भगवान कर्ता हउवन आ हमनी का खाली माध्यम हईं जा. हमनी के शक्ति, भगवाने के शक्ति ह. माता सरस्वती के वाहन हंस ह. हंस नीर क्षीर विवेक के प्रतीक ह. दूध के दूध आ पानी के पानी करे वाला पक्षी ह. जब तक ले कौनो काम में सुबुद्धि आ विवेक ना लागी, ऊ काम उच्च कोटि के ना होई. सफेद रंग शांति, गहिर ज्ञान, सहनशीलता, क्षमा आ प्रेम के प्रतीक ह. एही से माता के पहिनावा सफेद रंग के बा.

माता सरस्वती विषय- विकार के खतम करे वाला हई. ज्योंही ज्ञान के उदय होई हमनी के भीतर से विकार खतम होखे लागी. एही से कई बार विद्वान आदमी के देव स्वरूप भी कहल जाला. बाकिर जेकरा में ज्ञान के घमंड आ गइल ऊ देव स्वरूप ना रहि जाला. ज्ञान के दुरुपयोग कके संहारक अस्त्र बनावे वाला के नाश हो जाला आ ओकर आवे वाली पीढ़ी विक्षिप्त हो जाली सन, दुख भोगेली सन. सरस्वती के पूजा के अर्थ बा सरस्वती जी के संदेश के ग्रहण कइल. सरस्वती जी प्रतीक हई कि विद्या से विनम्रता आवेला- विद्या ददाति विनयम्. माता के चेहरा में विनम्रता बा, आशीर्वाद दिहला आ रक्षा कइला के झलक बा. एही से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी लिखले बाड़े-
वर दे वीणा वादिनी वर दे.
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव
भारत में भर दे
काट अंध उर के बंधन- स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष- भेद- तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!

(विनय बिहारी सिंह भोजपुरी के जानकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.)

Tags: Basant Panchami, Bhojpuri, Happy Saraswati Puja

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