बिहार की सियासत में महागठबंधन इस वक्त दोराहे पर खड़ा है. रामनाथ कोविंद को जेडीयू के समर्थन देने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है.
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि नीतीश कुमार की वजह से ही राजद और कांग्रेस को सत्ता मिली है और सभी को इस सच को स्वीकार करना चाहिए. उधर, पार्टी के महासचिव के.सी. त्यागी ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है. हम चाहते हैं कि गठबंधन की उम्र लंबी हो, लेकिन नेता का चरित्र हनन और मर्यादा का उल्लंघन नहीं हो.
जेडीयू नेताओं के इस तरह के बयान से यह माना जा रहा है कि महागठबंधन के भविष्य को लेकर स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई है. हालांकि, फिलहाल पार्टी अभी पत्ते नहीं खोल रही है.
सूत्र बताते हैं कि 2 जुलाई को राज्य कार्यकारिणी की बैठक और उसके बाद 23 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बड़ा फैसला हो सकता है. ईटीवी/न्यूज18 को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दोनों बैठक में नीतीश कुमार को अधिकृत किया जा सकता है कि वो कुछ भी फैसला लें पार्टी पूरी तरह से उनके साथ है.
राजद भी जदयू के इस खेल को समझ रहा है. राजद प्रवक्ता अशोक सिन्हा कहते हैं कि गठबंधन तोड़ने की जो भी पहल करेगा उसे बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी.
सूत्रों के मुताबिक, राजद को आशंका है कि कुछ भी हो सकता है लेकिन पहल कौन करे. इस पर निगाहें टिकी हुई है. वहीं दूसरी तरफ राजद-जेडीयू में इस बात को लेकर काफी चर्चा है कि नीतीश और लालू में किसी हैसियत ज्यादा बड़ी है.
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि जदयू, राजद और कांग्रेस के नेताओं को समझना होगा कि बिहार में महागठबंधन को अविस्मणीय जीत मिली है और यह सिर्फ नीतीश की करिश्माई नेतृत्व के कारण संभव हो पाया है.
बहरहाल सूत्र बताते हैं कि जेडीयू के प्रवक्ताओं ने जिस तरह से राजद पर हमला तेज किया है वो बिना नीतीश कुमार के शह के संभव नहीं है.
इसी बीच नीतीश कुमार की मुलाक़ात अरुण जेटली से दिल्ली में जीएसटी के बहाने होने वाली है और खबर ये भी है कि नीतीश की मुलाकात नरेंद्र मोदी से भी होगी. उसके बाद अगर महागठबंधन में गतिरोध और तेज हो जाए तो ये कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2017, 15:58 IST