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'मैं नया लेखक हूं, बेगूसराय से सपोर्ट चाहिए'...हाथ में पोस्टर लेकर सड़क पर खड़ा यह युवा

वीरा की शपथ पुस्तक के लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नि दीपिका ने अपनी जर्नी का का सारांश शेयर करते हुए बताया कि देश की राज ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट. नीरज कुमार

    बेगूसराय. जिले की सड़कों पर इन दोनों लेखक दंपति का किताब बेचने का नायाब तरीका लोगों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है. देखने और जानने के लिए लोगों की भीड़ भी जुट रही है. दरअसल, वीरा की शपथ पुस्तक के लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नी बेगूसराय की मुख्य सड़क पर रोजाना 8 से 10 घंटे खड़े होकर अपने हाथों में पोस्टर लेकर किताब को बेचते नजर आ रहे हैं.

    उस पोस्टर में लिखा हुआ है ‘मैं नया लेखक हूं और बेगूसराय से सपोर्ट चाहिए’. शहर के जीडी कॉलेज के पास पति-पत्नी एक टेबल लगाकर किताबें बेच रहे हैं. वहां से गुजरने वाले युवक और युवती एक बार रुक कर उनकी किताब देख भी रहे हैं और खरीद भी रहे हैं. खास बात यह है कि सिर्फ एक टेबल है जिस पर कुछ किताबें रखी हुई है. बैठने के लिए इनके पास कुछ भी नहीं है.

    22 जिलों में बेगूसराय से मिल रहा है अधिक सपोर्ट

    वीरा की शपथ पुस्तक के लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नि दीपिका ने न्यूज 18 लोकल से अब तक की जर्नी का का सारांश शेयर करते हुए बताया कि देश की राजधानी दिल्ली से इस सफर की शुरुआत की थी.

    दिल्ली के अलावा नोएडा, गुड़गांव, जयपुर, पटना, गया, बिहारशरीफ सहित 22 बड़े शहरों में अपनी पुस्तक का स्टॉल लगाने के बाद अब बेगूसराय पहुंचे है. यहां अपनी पुस्तकों का सेल लगाएं हैं. उन्होंने बताया कि सभी जिले से सबसे ज्यादा सपोर्ट बेगूसराय से ही मिल रहा है. अब तक 15 हजार किताबें स्टॉल लगाकर बेच चुके हैं. शहर दर शहर स्टॉल लगाकर किताब बेचने का यह सिलसिला अभी जारी रहेगा.

    नियति, प्रेरणा और संघर्ष सहित प्रेम का मिश्रण है किताब

    लेखक अरूण कुमार ने बताया कि कभी जीवन में लेखक बनने के बारे में सोचा नहीं था. मैथ और साइंस का स्टूडेंट था. परंतु पत्नी के प्रेरित करने के बाद कुछ लिखना शुरू किया. आज मेरी किताब लोगों को खासकर युवाओं को पसंद आ रही है. यह कोई पहला या अंतिम संस्करण नहीं है.

    हर साल इसके संस्करण में बढ़ोतरी होगी. इस किताब की विशेषता यह है कि इसमें जो कहानी उन्होंने लिखी है, वह नियति, प्रेरणा, संघर्ष और प्रेम के आस-पास घूमती है. इस किताब में शायरी, गजल, दोहे, रोमांस सबका मिश्रण है. इस वजह से युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग लोग भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. वहीं दीपिका ने बताया कि बिहार में किताब को बेचना मुश्किल लगता था, लेकिन बिहार से इतना अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. इसके बारे में कल्पना भी नहीं की थी.

    Tags: Begusarai news, Bihar News

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