रिपोर्ट : नीरज कुमार
बेगूसराय. आम तौर पर प्राथमिक विद्यालय के नाम सुनते ही जेहन में ऐसी तस्वीर उभरकर आती है कि शिक्षकों की अनुपस्थिति, छात्रों की घटती संख्या, वर्ग रूम की कमी होगी. लेकिन एक स्कूल ऐसा है, जहां सब कुछ इसके उलट देखने को मिलेगा. यहां पढ़ाई के लिए कमरे और शिक्षक हैं लेकिन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या नगण्य है. बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर बछवारा प्रखंड के तहत बिशनपुर रानीटोल स्थित प्राथमिक विद्यालय में 8 कमरे है, पढ़ाने के लिए दो शिक्षक भी नियुक्त हैं पर बच्चों की संख्या महज 11 है.
गंगा के कटाव वाले दियारा इलाके में हमेशा बाढ़ का खतरा रहता है. गंगा का जलस्तर ही तय करता है कि स्कूल कितने महीने खुला रहेगा. इस स्कूल तक पहुंचना भी एक बड़ी समस्या है और बाढ़ के दिनों में नाव ही एकमात्र सहारा रह जाती है. सड़क नहीं है, पगडंडी पर बाइक के सहारे इस स्कूल तक पहुंचा जा सकता है. ग्रामीणों की माने तो स्कूल में बच्चों की कमी की मुख्य वजहें यही हैं. लगातार कटाव का दंश झेलते बिशनपुर रानी टोल गांव के अधिकांश परिवार दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर चुके हैं. इस गांव में महज 10 घर ही बचे हैं, जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ाई करने आते हैं.
स्थानीय उपेंद्र यादव और शांतिदेवी ने शिक्षकों के स्कूल समय से आने की बात कही, तो शिक्षक रवि शंकर ने बताया इस विद्यालय के वर्ग प्रथम में 3, दूसरी में 2, तीसरी में 2, चौथी में 1 और पांचवी कक्षा में 3 बच्चों का नामांकन है. इन 11 बच्चों के लिए 2 शिक्षक नियुक्त हैं. इस स्कूल में 8 वर्ग कक्ष हैं. इसके अलावा किचन के लिए अलग से कमरे हैं. इस स्कूल में तकरीबन एक किलो चावल में ही मिड डे मील दो रसोइए तैयार करते हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक तकरीबन 14 वर्षों से विद्यालय की हालत यही है. स्कूल शुरू होने के समय यानी 2007 में यहां करीब 200 परिवार बसे हुए थे. तब 100 बच्चों का नामांकन था. बच्चों की संख्या बाद घटने लगी. इस इलाके के ज्यादातर परिवारों का पलायन हो चुका है. बछवाड़ा बीईओ निर्मला कुमारी ने बताया स्कूल से करीब 3 किलोमीटर की परिधि में कोई भी गांव नहीं रह गया है. इस स्कूल को अन्य किसी विद्यालय में मर्ज करने का प्रस्ताव अधिकारियों को भेजा गया है. इससे चिंता यह भी है कि मर्ज होने पर इन 11 बच्चों की शिक्षा का क्या होगा!
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Tags: Begusarai news, Primary School
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