रिपोर्ट. नीरज कुमार
बेगूसराय. कहते हैं इंसान यदि कुछ करने की ठान ले तो वह बिना मंजिल तक पहुंचे रुकता नहीं है. हालांकि इस मंजिल को पाने में कठिन परिश्रम करना पड़ता है. सरकार कई सरकारी योजनाएं चलाकर लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का दावा करती है, लेकिन बेगूसराय के मनोज कुमार के आगे सारे दावे फेल दिखते हैं. मनोज को सरकार से मदद नहीं मिली तो साहूकार के अधिक ब्याज पर भी कर्ज लेकर खुद को आत्मनिर्भर बनाकर सरकारी योजनाओं को आईना दिखा दिया.
बेगूसराय जिले के मटिहानी प्रखंड अंतर्गत नयागांव के रहने वाले मनोज कुमार ने न्यूज 18 लोकल को बताया कि यूट्यूब पर अगरबत्ती निर्माण के वीडियो को देखकर खुद निर्माण करने की सोची. क्योंकि अगरबत्ती का डिमांड जन्म लेने से लेकर मरने के बाद तक लोगों की जरुरतों का हिस्सा होता है. मनोज को भरोसा हीं नहीं विश्वास है कि देश मंदी के हालात में भी जाएंगी तो भी इस उद्योग पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. वहीं इस उद्योग को लगाने के लिए उन्होंने बताया महीनों तक उद्योग विभाग का चक्कर लगाया फिर भी उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाला लोन नहीं मिल पाया. अंत में थक-हारकर साहूकार से ब्याज पर दो लाख कर्ज लेकर अगरबत्ती निर्माण का खुद का स्टार्टअप शुरू किया. काम चल निकला और परिस्थितियां बदली तो आस-पास के लोगों को इससे जोड़कर रोजगार कर अवसर प्रदान किया. उनकी भी कमाई हो जा रही है और उनका परिवार भी ढंग से चल रहा है.
सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण मानसिक प्रताड़ना झेली
मनोज कुमार ने बताया इस आस में उद्योग विभाग का लगातार चक्कर लगाता रहा कि अब स्टार्टअप शुरू करने के लिए लोन मिल जाएगा. लेकिन किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिल पाई. इसको लेकर मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी. साहूकारों से पांच रूपए सैकड़ा ब्याज पर कई किस्तों में पैसे लेकर इस उद्योग को खड़ा किया. आज अपने बनाए प्रोडक्ट को मटिहानी प्रखंड के सभी गांव में में बिक्री कर रहे हैं. हर माह तीन लाख का अगरबत्ती बेच रहे हैं. इससे हर माह 30 से 35 हजार की कमाई हो रही है. साथ ही आस-पास के दस लोगों को रोजगार भी दिया है. वहीं यहां काम कर रहे अमरजीत कुमार ने बताया इनके अगरबत्ती उद्योग में मार्केटिंग का काम देख रहे हैं. 14 हजार तो हर माह मिल ही रहा है. साथ हीं अधिक सेल करने पर इंसेंटिव भी मिलता है. यहां काम के हिसाब से लोगों को हर माह वेतन दिया जा रहा है.
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