रिपोर्ट-शिवम सिंह
भागलपुर. बेमौसम बारिश होने के बाद से जिले के कई प्रखंड के खेत में लगे खरीफ फसल मक्के में फॉल आर्मी वर्म कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. कीट मक्के के पत्ते व दाना को पूरी तरह से क्षति पहुंचा रहे है. इसकी वजह से किसानों को उत्पादन कम होने चिंता सता रही है.
न्यूज-18 लोकल संवाददाता को किसानों ने बताया कि बेमौसम बारिश होने से एक बार तो फसल को नुकसान हुआ ही है. फिर से मक्के में फॉल आर्मी वर्म कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. कीट मक्के के दाना में के अंदर में लगता है.
जानिए किसानों ने क्या कहा
जो मक्के कापत्ता, दाना को पूरी तरह से बर्बाद कर रहा है.इससे उत्पादन पर काफी असर पड़ेगा. रंगरा के किसान मधुकर सिंह बताते है कि गेहूं खेत के बगल वाला खेत में लगे मक्के की फसलों में कीट का ज्यादा प्रकोप है, जबकि जहां चारों ओर सिर्फ मक्का ही लगा है. उस खेत में आर्मी वर्म कीट का प्रकोप कम देखने को मिल रहा है.
बताया कि 4 एकड़ खेत में मक्का की फसल लगाए है, जिसमें आधा से अधिक क्षेत्र में कीट का प्रकोप लग गया है. इस्माइलपुर के किसान ने बताया कि दियारा इलाके में भी मक्के की फसल में कीट का प्रकोप लगा है. फसल बर्बाद होने की चिंता में कुछ किसान हरा मक्का के पौधा को काटकर पशु चारा में उपयोग कर रहे है. किसान बताते है कि क्या करें कीट पत्ते समेत भूट्टा को खत्म कर रहे है. इसलिए हरा मक्का काटकर पशु चारा में उपयोग करने को मजबूर है.
इन उपाय से करें बचाव
पौधा संरक्षण पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ता है.यह कीट मक्का के अलावा ज्वार, बाजरा सहित अन्य फसलों को नुकसान पहुंचता है. इसके बचाव को लेकर किसान जैविक कीटनाशी नीम तेल, रासायनिक कीटनाशक इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एसजी या फिर लेम्डासाईहेलोथ्रिल 9.5 प्रतिशत को 2 लीटर पानी में मिलाकर मक्के के फसलों पर छिड़काव करें.
इसके छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है. बताया कि यह कीटनाशक बहुत तेजी से काम करता है. इस वॉर्म के अंडा देने की क्षमता बहुत अधिक होती है. दिन में करीब 150 से 200 अंडा देता है. वहीं इसकी उम्र 1 महीने होती है. बता दें कि यह किट 2019 में साउथ इंडिया में आया हुआ था.
उसके बाद वहां से यह बिहार में आ गया. किसानों को फेरोमेन ट्रैप का अपने फसलों में करना पड़ेगा. जिससे की फसल में अगर कहीं भी कीट की मार होती है, तो किसान को सबसे पहले यह पता चल जाएगा.
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