पुलिस पिटाई से इंजीनियर मौत मामला: मानवाधिकार आयोग ने कहा- दोषियों को ऐसी सजा दें कि फिर कोई दुस्साहस न करे

भागलपुर में पुलिस की पिटाई से सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष की हुई थी मौत (फाइल फोटो)
सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक की पुलिस पिटाई से मौत की खबर अखबारों में प्रकाशित होने के बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग (Bihar State Human Rights Commission) ने स्वत: संज्ञान लिया था.
- News18Hindi
- Last Updated: December 5, 2020, 12:04 PM IST
पटना/भागलपुर. बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग (Bihar State Human Rights Commission) ने पुलिसकर्मियों द्वारा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को पीट-पीटकर मार डालने के मामले में बिहार सरकार (Bihar Government) को सख्त निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही पीड़ित परिवार को सात लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा है. आयोग ने इस घटना पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि सभ्य समाज में इस तरह की घटना किया जाना अस्वीकार्य है. ऐसे मामलों में सरकार को दोषी पुलिसकर्मियों को ऐसा कठोर दंड दिया जाना चाहिए जिससे भविष्य में कोई पुलिसकर्मी ऐसा करने का दुस्साहस न कर सके.
बता दें कि कि ये राज्य मानवाधिकार आयोग ने ये टिप्पणी बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले की बिहपुर पुलिस की पिटाई से सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष कुमार पाठक की मौत के मामले में की है. साथ ही आयोग ने 7 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. सरकार को यह छूट दी गई है कि वह चाहे तो दोषी पुलिसकर्मियों से इस पैसे की वसूली कर सकती है. 10 फरवरी, 2021 से पहले मृतक की पत्नी को मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा. बता दें कि इस मामले में आरोपी थानेदार अभी तक फरार है.
दरअसल नवगछिया पुलिस जिला के बिहपुर थाना पुलिस द्वारा पुणे में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष कुमार पाठक की 24 अक्टूबर 2020 को बेरहमी से पिटाई की गई थी. उन्हें हाजत में भी मार पीटकर लहूलुहान कर दिया गया था. इसके कुछ घंटों बाद इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी. इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी रंजीत कुमार मंडल, संविदा पर प्रतिनियुक्त थानेदार के निजी चालक मोहम्मद जहांगीर राईन उर्फ आलम समेत कुछ अन्य पुलिसकर्मी का नाम आया था.
अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने इसपर स्वत: संज्ञान लिया था. बाद में इसको लेकर कई परिवाद प्राप्त हुए थे जिन्हें एक साथ मिला दिया गया. राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने इस मामले में सुनवाई के बाद घटना को लेकर भागलपुर के डीएम और नवगछिया के एसपी से रिपोर्ट तलब की थी. साथ ही मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति बताने को भी कहा था. डीएम-एसपी की रिपोर्ट आने के बाद आयोग ने इस मामले में सुनवाई के बाद मृतक की पत्नी स्नेहा पाठक को क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर 7 लाख रुपए के भुगतान का आदेश दिया है.ये है पूरा मामला
गौरतलब हो कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक हर साल की तरह इस साल भी शारदीय नवरात्र के नवमी पूजा के दिन 24 अक्टूबर को गोड्डा से बाइक से अपनी पत्नी और बच्ची के साथ अपना गांव बिहपुर के मड़वा पहुंचे थे. भ्रमरपुर से पूजा करने के बाद परिवार के सदस्यों के साथ लौटने के कारण मड़वा महंथ स्थान के पास बैरियर हटाने के मामूली विवाद में थानेदार सहित पुलिस के जवानों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी.
इतना ही नहीं पुलिसिया जुल्म यहीं खत्म नहीं हुई, पुलिसवाले उन्हें बिहपुर थाना लेकर चले गये और थाने में बेरहमी से बंदूक के कुंदे सहित लाठी डंडे से पिटाई की. जब आशुतोष मूर्च्छित हो गये और कराहने लगे तो पुलिसवालों ने उन्हें अमानवीय तरीके से एक निजी चिकित्सक के पास ले जाकर छोड़ दिया. इसके बाद इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गयी थी.
मृतक आशुतोष पाठक के चाचा प्रफुल्ल कुमार पाठक के बयान पर झंडापुर ओपी में बिहपुर के तत्कालीन थानेदार रंजीत कुमार, उनके निजी वाहन चालक सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है. इस मामले की पुलिस जांच कर रही है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी का भी दावा भी कर रही है.
बता दें कि कि ये राज्य मानवाधिकार आयोग ने ये टिप्पणी बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले की बिहपुर पुलिस की पिटाई से सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष कुमार पाठक की मौत के मामले में की है. साथ ही आयोग ने 7 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. सरकार को यह छूट दी गई है कि वह चाहे तो दोषी पुलिसकर्मियों से इस पैसे की वसूली कर सकती है. 10 फरवरी, 2021 से पहले मृतक की पत्नी को मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा. बता दें कि इस मामले में आरोपी थानेदार अभी तक फरार है.
दरअसल नवगछिया पुलिस जिला के बिहपुर थाना पुलिस द्वारा पुणे में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष कुमार पाठक की 24 अक्टूबर 2020 को बेरहमी से पिटाई की गई थी. उन्हें हाजत में भी मार पीटकर लहूलुहान कर दिया गया था. इसके कुछ घंटों बाद इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी. इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी रंजीत कुमार मंडल, संविदा पर प्रतिनियुक्त थानेदार के निजी चालक मोहम्मद जहांगीर राईन उर्फ आलम समेत कुछ अन्य पुलिसकर्मी का नाम आया था.
अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने इसपर स्वत: संज्ञान लिया था. बाद में इसको लेकर कई परिवाद प्राप्त हुए थे जिन्हें एक साथ मिला दिया गया. राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने इस मामले में सुनवाई के बाद घटना को लेकर भागलपुर के डीएम और नवगछिया के एसपी से रिपोर्ट तलब की थी. साथ ही मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति बताने को भी कहा था. डीएम-एसपी की रिपोर्ट आने के बाद आयोग ने इस मामले में सुनवाई के बाद मृतक की पत्नी स्नेहा पाठक को क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर 7 लाख रुपए के भुगतान का आदेश दिया है.ये है पूरा मामला
गौरतलब हो कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक हर साल की तरह इस साल भी शारदीय नवरात्र के नवमी पूजा के दिन 24 अक्टूबर को गोड्डा से बाइक से अपनी पत्नी और बच्ची के साथ अपना गांव बिहपुर के मड़वा पहुंचे थे. भ्रमरपुर से पूजा करने के बाद परिवार के सदस्यों के साथ लौटने के कारण मड़वा महंथ स्थान के पास बैरियर हटाने के मामूली विवाद में थानेदार सहित पुलिस के जवानों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी.
इतना ही नहीं पुलिसिया जुल्म यहीं खत्म नहीं हुई, पुलिसवाले उन्हें बिहपुर थाना लेकर चले गये और थाने में बेरहमी से बंदूक के कुंदे सहित लाठी डंडे से पिटाई की. जब आशुतोष मूर्च्छित हो गये और कराहने लगे तो पुलिसवालों ने उन्हें अमानवीय तरीके से एक निजी चिकित्सक के पास ले जाकर छोड़ दिया. इसके बाद इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गयी थी.
मृतक आशुतोष पाठक के चाचा प्रफुल्ल कुमार पाठक के बयान पर झंडापुर ओपी में बिहपुर के तत्कालीन थानेदार रंजीत कुमार, उनके निजी वाहन चालक सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है. इस मामले की पुलिस जांच कर रही है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी का भी दावा भी कर रही है.