विधानसभा चुनाव के बीच पहले मुंगेर में पुलिस लाठीचार्ज और फायरिंग (Munger Police Firing) में एक युवक की मौत पर मचा बवाल थमा भी नहीं था कि भागलपुर (Bhagalpur) में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पुलिस पिटाई से मौत ने तूल पकड़ लिया है. सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक (Software Engineer Ashutosh Pathak) की बेरहमी से हुई पुलिस पिटाई से हुई मौत मामले में न्याय की आवाज बुलंद होने लगी है. न्याय की मांग को लेकर युवाओं ने आंदोलन का आगाज किया और मड़वा एवं भ्रमरपुर में कैंडल मार्च निकालकर रोष जताया और न्यायिक जांच (judicial investigation) की मांग की.
बता दें कि मामले में आरोपी निलंबित थानेदार रंजीत कुमार (Suspended SHO Ranjit Kumar) घटना के बाद से ही फरार है. बिहपुर में पुलिसिया जुल्म के कारण इंजीनियर आशुतोष पाठक की मौत मामला पुलिस कार्यशैली को जहां कठघरे में खड़ी करती है, वहीं निलंबित थानेदार की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाने को लेकर सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं. आरोप यह लग रहा है कि बिहार पुलिस आरोपी थानेदार को बेदाग बचाने में लग गई है. इन सबके बीच नवगछिया एसपी स्वप्नाजी मेश्राम का डीएम को न्यायिक जांच मांग करते हुए आवेदन देना कहीं इस मामले को ठंडे बस्ते में भेजने की तैयारी तो नहीं है.
बता दें कि मामले में नवगछिया एसपी स्वप्नाजी मेश्राम ने डीएम प्रणव कुमार को पत्र लिखकर मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. जिस पर डीएम ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश से मामले की जांच और मॉनीटिरिंग के लिए न्यायिक पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त करने के लिए प्रे करने की बात कही. न्यायिक जांच की मांग को लेकर नवगछिया एसपी की ओर से आवेदन दिए जाने की पुष्टि रेंज के डीआईजी सुजीत कुमार ने भी की है.
बैरियर हटाने के विवाद में की पिटाई
गौरतलब हो कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक हर साल की तरह इस साल भी शारदीय नवरात्र के नवमी पूजा के दिन 24 अक्टूबर को गोड्डा से बाइक से अपनी पत्नी और बच्ची के साथ अपना गांव बिहपुर के मड़वा पहुंचा था. भ्रमरपुर से पूजा करने के बाद परिवार के सदस्यों के साथ लौटने के कारण मड़वा महंथ स्थान के पास बैरियर हटाने के मामूली विवाद में थानेदार सहित पुलिस के जवानों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी. इतना ही नहीं पुलिसिया जुल्म यहीं खत्म नहीं हुई, पुलिसवाले उन्हें बिहपुर थाना लेकर चले गये और थाने में बेरहमी से बंदूक के कुंदे सहित लाठी डंडे से पिटाई की. जब आशुतोष मूर्च्छित हो गया और कराहने लगा तो पुलिसवालों ने उन्हें अमानवीय तरीके से एक निजी चिकित्सक के पास ले जाकर छोड़ दिया. इसके बाद इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गयी. जब पुलिसिया जुल्म की जानकारी ग्रामीणों को मिली तो आक्रोशित ग्रमामीणों ने उनके शव को एनएच - 31 पर घंटों रखकर प्रदर्शन किया. पुलिसिया जुल्म का रोष ग्रामीणों में खासकर युवाओं में अब भी है. हालांकि मौके की नजाकत को देखते हुए नवगछिया एसपी ने आरोपी थानेदार को तत्काल ही निलंबित कर दिया, लेकिन आरोप है कि इतने बड़े जुल्म के खिलाफ उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय उन्हें फरार होने का मौका दिया.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2020, 13:21 IST